नाकों चने चबाना मुहावरे का अर्थ naakon chane chabaana muhaavare ka arth – बहुत परेशान करना।
दोस्तो आज के जमाने मे हर कोई दुसरो को परेशान करता ही रहता है । अगर कोई व्यक्ति किसी को बहुत परेशान कर रहा है तो उसके लिए कहा जाएगा कि उस व्यक्ति ने तो उसे नाकों चने चबा दिया । इस तरह के लोगो को इस बात से कोई भी फर्क नही पडता है की दुसरे उसके बारे मे क्या सोचते होगे । ऐसे लोगो को खुद को पता भी नही होता है की वे कर क्या रहे है। वे तो बस जो मन मे आता है वह करने लग जाते है। इस मुहावरे का सिधा सा अर्थ यही है की ऐसी वस्तु जो बहुत परेशार कर दे ।
नाकों चने चबाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग || nako chane chabana use of idioms in sentences in Hindi
कृष्ण जी ने कंस के हर एक राक्षस को मारकर कंस को नाकों चने चबा दिए ।
महाराणा प्रताप ने दुश्मनो को मार कर अन्य दुश्मनो को नाकों चने चबा दिए ।
भारत मे आए अग्रेजो को भारत के लोगो ने नाकों चने चबाना सुरु किया तब उन्हे पता चला की यहा के लोग भी बलवान हैं।
रमेश ने नकों चने चबाए तब जाकर राघव को समझ मे आया की उसने इससे पगा लेकर बहुत बुरा किया।
नाकों चने चबाना मुहावरे पर कहानी || nako chane chabana story on idiom in Hindi
एक समय की बात है रमेश नाम का एक आदमी अपने गाव मे बहुत खुशी के साथ अपना जीवन गुजार रहा था । उसके घर मे उसके अलावा उसकी पत्नी व एक बेटा था । रमेश को गाव के लोग कहुत मानते थे । यहा तक की जब भी गाव के लोग रमेश से कुछ कहते तो रमेश लोगो की पुरी सेवा करता था इस कारण जो भी काम होता तो लोग रमेश को करने के लिए कहते थे ।
इस कारण दुसरे लोगो को रमेश अच्छा नही लगता था । वे लोग सोचते थे कि रमेश मे ऐसा क्या है जो हम लोगो मे नही जो गाव के लोग उसे ही इतना महत्व देते है । हमे बिलकुल भी नही देते है । उन्ही लगो मे से एक राघव था जो बहुत अमीर था । यहा तक की जो भी कुछ उसके फायदे का काम होता था उसे वह जरुर करता था ।
राघव रमेश को गाव के लोगो मे निचा दिखाना चहता था इस कारण वह रमेश को बुरा बनाने मे लग गया । रमेश के पास एक खेत था जो राघव ने किसी तरहे से अपने कब्जे मे कर लिया था । अब रमेश के पास कुछ भी नही था और कमाने के लिए उसे कोई और रास्ता भी नही दिख रहा था इस कारण वह राघव के पास काम कागने लगा था ।
राघव ने उसे काम तो दे दिया था पर वह काम गाव के लोगो के खिलाफ था । उनके खेतो को हडपने का काम था राघव ने रमेश से कहा की अगर तुम यह काम कर लोगे तो तुम्हे मे पुरे दस खेत दुगा । रमेश कुछ समय सोचने के बाद कहा की मै गाव के लोगो को धोका नही दे सकता हूं ।
इस कारण मै तुम्हारा काम नही करुगा । राघव को रमेश की ना सुनकर बहुत दुख हुआ और वह तभी से रमेश को अपना दुश्मन मानकर उसका घर बार सब हडप लिया और उसे रास्ते पर ला दिया था । रमेश को भी इस बात से घुस्सा आ गया की राघव का जब मेने काम नही किया तो वह मेरे साथ ऐसा कर रहा है फिर भी वह चुप रहा ।
एक बार राघव ने रमेश के पास कुछ गुंडो को भेजा और उसने जो भी कमाई की थी वह छीन लाने को कहा । गुंडो ने वेसा ही किया जैसा राघव ने कहा था । इसी तरह से जब भी रमेश राघव के सामने आता तो वह लोगो के साथ होकर उसका मजाकर बनाने लगता और उसे गलिया देता था । इस तरह से राघव रमेश को नाकों चने चबाता रहा ।
फिर भी रमेश राघव को कुछ नही कहता था । रमेश मुश्किल से तो काम कर कर कामाकर लाता था और जब वह दुकान से समान लाने जाता तो उसे समान भी नही मिलता था । क्योकी राघव ने सभी दुकानदारो से कह दिया था कि रमेश को आप लोग कुछ भी नही देना । इस तरह से रमेश धिरे धिरे परेशान होने लगा था ।
जब रमेश अपने परीवार के लिए खाने को कुछ ला नही पाता था तो वह अपनी पत्नी व अपने बेटे को अपने ससुराल भेज दिया था । और खुद राघव के पास जाकर काम करने लगा था। राघव उससे जुते साफ करवाता था अपने पैरो मे रखता था । और जब भी उससे कोई गलती हो जाती तो राघव उसे मारने लग जाता था।
रमेश की हालत भी बहुत खराब होती जा रही थी पर फिर भी राघव रमेश को आजाद नही किया और उस पर अपना क्रोध निकालता रहाता था । इस तरह से रमेश बहुत परेसान हो गया और एक दिन राघव के पास जाकर कहने लगा की अब मै कुछ भी नही कर सकता हूं आप मुझे यहा से जाने दो । राघव ने रमेश की एक भी नही सुनी और उसे आजाद नही किया ।
गाव के एक आदमी ने देखा की रमेश को तो राघव मारता है और उसे समय पर खाना भी नही देता तो वह यह बात गाव के लोगो को बताने के लिए चला गया । गाव मे जाकर अपने लोगो से कहा की वहा पर राघव रमेश को नाकों चने चबा रहा है और हम यहा पर चुप बेठे है ।
तब सभी गाव के लोग राघव के पास जाकर रमेश को आजाद कराया और राघव से रमेश का खेत वापस दिलाया था। इस तरह से आप समझ गए होगे की नाकों चने चबाना मुहावरे का अर्थ क्या है।
नाकों चने चबाना मुहावरे पर निबंध || nako chane chabana essay on idioms in Hindi
साथियो आज का समय ऐसा है की हर कोई दुसरो को दुख देता जा रहा है । वे दुसरो को अनेक कारणो से दुख देते है। जिस तरह से किसी की बात न मानने के कारण उस पर दुखो का पहाड गिरा देते है और जब तक वह बहुत पेरेशान होकर माफी नही मागता तब तक उसके दुख कम नही होते है ।
- नाक में दम करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
- दाल न गलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
- कमर कसना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
- अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
- हाथ साफ करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग
ऐसे लोग होते ही ऐसे है इस कारण वे यह नही सोचते है की दुसरो को दुखा नही देना चाहिए इससे दुसरो को हानी पहूंचती है । वे तो बस जो आत है वेसा ही करते रहेते है । अगर कोई इन लोगो को समझाने लगे तो ये लोग उसे भी दुख देने लग जाते है । जब वह बहुत अधिक परेशान हो जाता है तब वह कहता है की अब तक तो मै आपको सह रहा था पर अब और नही ।
इस तरह के लोगो को घुस्सा भी जल्दी आ जाता है । इस कारण वे दुसारो की बात सुन नही सकते और जो भी उनसे उलझता है। उसे नाको चने चबाने लग जाते हैं । इस मुहावरे का सही अर्थ तो यही है की अगर किसी को बार बार ताने दिए जाए बार बार उनसे झगडा करने लगे तो वह अंत मे कहता है की भाई अब बस करो अब तो आप लोगो ने मुझे नाकों चने चबा दिया है । इस तरह से आप इस मुहावरे का अर्थ समझ गए होगे ।
नाकों चने चबाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of nako chane chabana in Hindi
अगर नाक से चने चबाने की कोशिश कर रहे हो तो आपको बता दे की ऐसा कभी कर मत लेना । क्योकी मुहावरे को समझने का मतलब यह नही होता है की आप उसे अपने जीवन में लागू कर ले । जैसे की इस मुहावरे में कहा जा रहा है की नाको चने चबाना ।
तो इसका मतलब यह नही है की आप अर्थ समझने के लिए नाक से चने चबाने की कोशिश करने लग जाओ । अगर ऐसा करने की कोशिश भी तो आप समझ लेना की इससे आपको काफी पेरशानी का सामनाक करना पड़ सकता है ।
वैसे अगर इस मुहावरे के अर्थ की बात करे तो इसका मतलब होता है बहुत अधिक परेशान करना है । वैसे आपको पता है की आज के समय में ऐसे बहुत से लोग है जो की हमे समय समय पर परेशान करते रहते है । तो आपको बता दे की इस तरह से जो परेशान करने का काम करते है तो उनके लिए कहा जाता है की यह तो मेरी नाको चने चबाने की कोशिश कर रहा है ।