कठपुतली होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

कठपुतली होना मुहावरे का अर्थ kathputli hona muhavare ka arth— वश में होना ।

दोस्तो आपको पता होगा की जो यह कठपुतली होती है वह उंगलियो के इशारो पर चलती रहती है । और इन्हे उंगलियो के इशारो पर नचाया जाता है । तो इसका मतलब होता है की कठपुतली किसी के वश में रहती है जो वह कहता है वैसे ही करती रहती है ।

इस तरह से जब कोई कठपुतली हो जाता है तो इसका मतलब हुआ की वह किसी के वश में है । इस आधार पर कठपुतली होना मुहावरे का अर्थ वश मे होना होता है ।

कठपुतली होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

कठपुतली होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग  || kathputli hona use of idioms in sentences in Hindi

1.            वह मेरे हाथो की कठपुतली है ।

2.            रामू को मैं जैसा कहूगा वह वैसा ही करेगा क्योकी वह मेरे हाथो की कठपुतली है ।

3.            जितने भी सरकारी कर्मचारी है वे सरकार के हाथो की कठपुतली है ।

4.            अरे वह तो सरकारी बाबू है जिसको सरकार जैसा कहेगी वैसा ही करेगा तभी ऐसे लोगो को कहा जाता है की वह तो सरकार की कठपुतली है ।

5.            नंदकिशोर सेठ के पास काम करता है और सेठ जैसा कहता है वह वैसा ही करता है सही मायने में कहे तो नंदकिशोर सेठ के हाथो की कठपुतली है ।

6.            मुझे किसी की कठपुतली होना अच्छा नही लगता तभी मैं किसी के निचे काम नही करना चाहता हूं ।

7.            मैं क्या आपके हाथो की कठपुतली हूं जो आप जैसा कहेगे मैं वैसा ही करूगा ।

कठपुतली होना मुहावरे पर कहानी || kathputli hona story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक गाव हुआ करता था जहां पर नंदकिशोर नाम का एक आदमी रहा करता था वह हमेशा अपने आप में मस्त रहता था और वह जीवने में हमेशा आजाद रहना चाहता था ।

जब नंदकिशोर छोटा था तो अपने पिता से कहता की मैं तो अपने स्वयं का काम करूगा क्योकी दूसरो के निचे मुझे काम करना पसंद नही है और इसी तरह से जब नंदकिशारे बडा होता गया था तो सोचता था । मगए एक समय ने नंद​किशोर की इसी सोच को पूरी तरह से बदल दिया था ।

दरसल नंदकिशोर जो था वह जब बड़ा हुआ था तो उसके पिता ने उसका विवाह तय कर दिया ​और विवाह होने के कारण से नंदकिशोर काफी खुश था । मगर जब विवाह का समय आया तो नंदकिशोर का कन्या केसाथ विवाह हो गया ।

अब विवाह हो जाने के बाद में नंदकिशोर के साथ एक कन्या भी उसकी पत्नी के रूप में रहने लगी थी और जो कुछ नंदकिशोर की पत्नी को चाहिए होता था वह चंदकिशोर लेकर आता था और इसके लिए जितने भी पैसे लगते थे वह नंदकिशोर के पास से ही लगते थे । तब नंदकिशोर को अहसास हुआ की उसे काम करने की जरूरत है ओर इसी जरूरत को पूरा करने के लिए वह कभी कभार मजदूरी करने के लिए जाने लगा था ।

समय बित गया और अब नंदकिशोर के विवाह को दो वर्ष हो गए और अब नंदकिशोर को अहसास हुआ की उसे केवल इतना ही काम नही करना है बल्की उसे अब घर को भी चलाना होगा और यह सब सोचने के बाद में नदंकिशोर ने किसी के पास हमेशा के लिएर काम करने की सोच ली और इसी कारण से वह गाव के सेठ के पास जा पहुंचा ।

सेठ जो था उसे मालूम था की नंदकिशोर एक अच्छा लड़का है तो उसे काम पर रख लिया और इस तर हसे फिर नंदकिशोर सेठ के पास काम करने लगा था । समय जो था वह तेजी से बित रहा था और इसी के चलते नंदकिशोर को सेठ से अच्छे रूपय भी मिलने लगे थे जिन्हे देख कर नंदकिशोर को लालच आने लगा और वह मन लगा कर सेठ के पास काम करने लगा था और यह सब देखने के कारण से सेठ ने भी उसे कुछ ज्यादा पैसे देने की सोच ली और ऐस ही किया था ।

 अब नंदकिशोर को पता चल गया की सेठ उसके लिए फायदेमंद हो सकता है ओर तभी सेठ को भी लगा की नंदकिशोर को जितने रूपय दिए जा रहे हे उतना काम तो करवाना ही चाहिए और इसी बात को सोच कर नंदकिशोर से सेठ जो चाहे वह काम करवा लेता था और नंदकिशोर पैसे पाने के लिए वह काम भी कर देता था ।

तो इसी तरह से दिन दिन बित रहे थे और अब एक समय ऐसा आ गया जब नंदकिशोर को सेठ जैसा कहता था वह वैसा ही करता था और यह सब देखने के कारणसे कुछ लोगो ने नंदकिशोर को काफी बार कहा की तुम तो सेठ की कठपुतली हो जिससे सेठ जैसे चाहे वह काम करवा लेता है । मगर नंदकिशोर ऐसा नही समझता था क्योकी उसे पता था की वह पैसे प्राप्त करने के लिए ही यह काम कर रहा है ।

तब एक दिन की बात है दरसल गाव में मिटीग चल रही थी जिसमें नंदकिशारे और सेठ भी साथ में ही उपस्थित हो गए और बिच सभा में सेठ ने नंदकिशोर से तरह तरह के काम करवा लिए और यह सब देख कर सभी हंसते हुए कहने लगे की देखो सेठजी के हाथो की कठपुतली काम कर रही है ।

कठपुतली होना मुहावरे का अर्थ

मगर यह सुन कर नंदकिशोर को बुरा लगा और सेठ ने भी यह सब सुना था तो सेठ ने उसी समय लोगो के बिच में कहा की यह मेरे बेटे के जैसा है जो की अपना समझ कर मेरा सारा काम कर रहा है वरना मजदुरो को इतने रूपय देने के बाद भी काम नही करते है यह तो मेरे बेटे के जैसा है । ऐसा कहने पर नंदकिशोर को काफी अच्छा लगा और अब उसे लोगो से कुछ लेना देना नही रहा था ।

नंदकिशोर को सेठ की बाते इतनी अच्छी लगी की वह और अधिक मन लगा कर उसके पास काम करने लगा था और इसका नतीजा यह हुआ की नंदकिशोर भी अपने जीवन में तरकी करने गला था । मगर अब भी लोग तो नंदकिशोर को सेठ की कठपुतली कह रहे थे मगर नंदकिशोर इस बात की और ध्यान नही देता था बल्की अपने जीवन को इसी  तरह से आगे बढाता रहा ।

तो इस तरह से दोस्तो कहानी में समझ मे आया होगा की कठपुतली होने का मतलब वश में होना होता है । अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर दे ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।