कटे पर नमक छिड़कना मुहावरे का अर्थ

कटे पर नमक छिड़कना मुहावरे का अर्थ और एक प्रसिद्ध कहानी

कटे पर नमक छिड़कना मुहावरे का अर्थ kate par namak chhidakna muhavare ka arth – दुखी व्यक्ति को और दुखी करना ।

दोस्तो जब मनुष्य के शरीर पर कही कट लग जाता है तो वहां से खुन बहार आने लग जाता है और यह आपको पता है । मगर जब उसी कटे हुए स्थान पर नमक को लेकर छिड़का जाता है तो इससे उस ‌‌‌व्यक्ति को काफी पीड़ा सहनी पड़ती है या कह सकते है की दुख सहना पड़ता है क्योकी कटे हुए स्थान पर नमक लगाना दुख या पीड़ा देता है । जिसके कारण से कहा जा सकता है की उस व्यक्ति के शरीर पर पहले ही कट लग जाने के कारण से वह काफी पीड़ा या दुख में है और नमक को छीड़क कर और दुखी किया जा रहा है ।

‌‌‌इस तरह से कटे पर नमक छिड़कना मुहावरे का अर्थ दुखी को और दुखी करना हो जाता है जो की आपको समझ में आ गया होगा ।

कटे पर नमक छिड़कना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • किसन साहब आप क्यो मेरे कटे पर नमक छिड़क रहे हो ।
  • रामलाल का तो काम ही कटे पर नमक छिडकने का है तो वह भला ऐसा क्यो नही करेगा ।
  • हरीदेव ‌‌‌की बेटी घर से भाग गई जिसके कारण से हरीदेव काफी दुखी था मगर उसका पड़ोसी बार बार बेटी इसी बारे में बात कर कर हरीदेव के कटे पर नमक छिड़क रहा है ।
  • ‌‌‌महेश अभी विदेश से अच्छा धन कमा कर आया था मगर वह सब चोरी हो गया और तभी गाव के लोग अपना उधार वापस माग कर कटे पर नमक छिड़कने का काम करने लगे ।
  • सिमला के बेटे का अभी अभी देहांत हुआ है और पड़ोसन उसे भला बुरा कह कर कटे पर नमक छिड़क रही है ।
  • रामु के घर में आग लग जाने के कारण से सब कुछ नष्ट हो गया ‌‌‌और तुम उससे अपना उधार धन वापस माग रहे हो अरे यह तो कटे पर नमक छिड़कने की बात हुई ।
  • इस तरह से किसी के कटे पर नमक नही छिड़कना चाहिए ।

‌‌‌कटे पर नमक छिड़कना मुहावरे पर कहानी

दोस्तो आज के लगभग 50 वर्षों पहले की बात है हमारे आस पास ही एक गांव हुआ करता था और उस गाव में नंदलाल नाम का एक आदमी था जो की किसी तरह का व्यापार शुरू करने की योजना बना रहा था तो उसने काफी सोच समझ के साथ अपने शहर में एक दुकान खोल ली ।

हालाकी आपको बता दे की उसे ‌‌‌न तो इस बारे में इतना नोलेज था की दुकान को कैसे चलाया जाता है और न उसके पास धन था । हालाकी आपको भी पता हैकी दुकान को खोलने में धन लगता है मगर नंदलाल को लगा की अच्छा धन हासिल होगा तो उसने लोगो से धन उधार ले लिया । और अपने दुकान में तरह तरह के कपड़े लाकर रखने लगा था ।

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इस तरह से दुकान अच्छी बन ‌‌‌गई और उसका काम भी अच्छा बन गया था । अब नंदलाल को जो भी देखता उसे लगता था की इसका जीवन तो सफल है यह अच्छा धन कमा रहा है और यही देख कर नंदलाल का विवाह हो गया था । विवाह के बाद लगातार एक वर्ष तक दुकान काफी अधिक अच्छी चली जिसके कारण से नंदलाल और उसकी पत्नी ने बेवजह पैसे खर्च करने लगे थे ।

 ‌‌‌हालाकी आपको बता दे की अभी तक धन जो उधार पर लिया गयाथा वह वापस नहीचुकाया गया था । जिसके कारण से नंदलाल पर काफी दबान बन सकता था और ऐसा हुआ । क्योकी अगल ही वर्ष दुकान में जो वस्तु थी वह सब बिक गई और अब नई वस्तु लाने के लिए धन नही था । तो मजबुरन नंदलाल को दुकान पर ताला लगाना पड़ गया था ।

‌‌‌दोस्तो यह सब देख कर नंदलाल से लोग अपने पैसे वापस मागने लगे थे । मगर उसके पास देने को कुछ नही था तो वह लोगो के समाने नजरे निची कर कर आगे बढ जाता था ।इसी तरह से चल रहा था की एक कुछ महिनो के बाद में नंदलाल के घर में एक नन्हे बच्चे का जन्म हुआ जो की एक लड़का था ।

‌‌‌जैसे ही बच्चे का जन्म हुआ घर में सब खुश थे नंदलाल भी और उसकी पत्नी थी । मगर अब धन चाहिए तो वह कहा से मिल सकता था । बल्की नंदलाल और उसकी पत्नी इसी तरह से जीवन गुजार रहे थे और जब नंदलाल का बेटा बड़ा हुआ तो लोग उससे अपना उधार मागने लगे थे  ।

दसरल नंदलाल के बेटे का नाम किसन था और किसन भला ‌‌‌कहा से उधार चुका सकता था क्योकी उसके पास उधार चुकाने के लिए कुछ नही था । समय बित रहा था मगर उधार चुकाने का नाम ही ले रहा था । इसी तरह से जब किसन की उम्र 25 वर्ष के करीब हो गई तो लोगो ने उसे सलाह दी की विदेश जाकर आ जाओ ।

ताकी धन अच्छा हासिल हो जाए और सब रूपय उधार के चुका दिए जाए । और लोगो ‌‌‌की बात किसन को अच्छी लगी तो वह अपने पिता का उधारचुकाने के लिए विदेश काम करने के लिए चला गया । वहां पर उसने खुब काम किया और अच्छा धन हासिल किया । मगर वह धन घर पर नही भेजता था बल्की अपने ही पास रखता था ।

क्योकी उसे लग रहा था की धन घर पर भेजा गया तो वह धन भी ऐसे ही खर्च हो जाएगा और उधार ‌‌‌चुकाया नही जाएगा ।ऐसी सोच हमारे किसन के अंदर थी । मगर कहते है नाकी मुसीबत इतनी जल्दी नही जाती है और ऐसा ही किसन के साथ हुआ था आप कहानी सुनते रही आपको काफी मजा आने वाला है । आगे बढते है

जब किसन को विदेश में काम करते हुए समय बित रहा था तो उसके पिता नंदलाल और माता उसे घर आने को कहते थे मगर ‌‌‌वह यह कह देता था की इतनी जल्दी घर आ जाउगा तो धन कैसे हासिल होगा । और यही कारण रहा था की किसन विदेश कुल 5 वर्षों तक काम कर कर आया था ।

अब किसन की उम्र लगभग 30 के करीब जा पहुंचीथी । जैसे ही किसन अपने घर पर आया तो उसके पास धन का एक बड़ा हिस्सा था । तो उसने कुछ धन उसी समय उधार चुकाने में दे ‌‌‌दिया । अब दो चार आदमी और रहे थे जिनका उधार चुकाना था । मगर वह संभव नही हुआ क्योकी रात होने के कारण से किसन को लगा की कल धन दे देगे ।

मगर रात को ही एक ऐसी घटना होती है की किसन का सब कुछ लूट जाता है । दरसल किसन के घर में रात को चोरी हो जाती है जिसके कारण से किसन की तीन वर्षों की कमाई चुरा ली ‌‌‌गई । अब इस बारे में अगले दिन किसन को पता चला तो वह काफी अधिक दुखी हो गया ओर जोर जोर से विलाप करने लगा ।

हालाकी दोस्तो अब तीन वर्षों की कमाई कितनी होती है और वही चोरी हो जाती है तो काफी दुख तो होकर ही रहेगा । और ऐसा ही किसन के साथ हुआ था । मगर इस बात के बारे में गाव के लोगो को नही मालूम ‌‌‌था । जिसके कारण से जो दो चार आदमी बचे थे जिनका धन चुकाना था वह सुबह सुबह किसन के पास आ जाते है और कहने लग जाते है की अपने पापा नंद का उधार धन वापस दे दो  ।मगर उनको नही मालूम था की किसन का सारा धन चोरी हो गया है ।

जब नंद ने इस बारे में उन लोगो को बताया तो उनको इस बात पर विश्वास नही हुआ और ‌‌‌उन्होने बार बार कहा की सच में धन चोरी हो गया है ।मगर वे लोग नही मान रहे थे वे कहते थे की धन नही देने की सोच कर आप लोग नाटक कर रहे हो । तब किसन के पिता नंद नेकहा क्यो हमारे कटे पर नमक छिड़क रहे हो ।

कुछ समय के बाद में किसन के पास गाव के अन्य लोग भी आ गए । तो उन लोगो नेकिसन से पूछा तो पता ‌‌‌चला की तीन वर्षों का धन चोरी हो गया है यह जान कर गाव के लोग चोक गए । क्योकी तीन वर्षों का धन चोरी होना कोई मामूली बात नही है ।

मगर तभी वे दो चार आदमी बोलने लगे की यह नाटक कर रहा है तब गाव के लोगो ने कहा की यह क्योकी इसके कटे पर नमक छिड़क रहे हो । यह कोई नाकट नही कर रहा है अगर नाटक करता तो बाकी ‌‌‌लोगो को धन नही देता था । तो इस तरह से लोगो के कहने पर वे दो चार आदमी वहां से चले गए ।

अगले दिन फिर से जब उन्होने किसन को देखा तो वह काफी दुखी था यह देख कर उन लोगो को समझ में आ गया की किसन का धन सच में चोरी हुआ है। ओर वे किसन के पास जाकर पूछने लगे की कितना रूपया चोरी हो गया है । यह सुन कर ‌‌‌किसन और दुखी हो गया और यह देख कर चुप चाप वे लोग वहां से चले गए क्योकी उन्हे पता चल गया था की इस बात के कारण से किसन को दुख पहुंच रहा है ।

हालाकी लोगो का क्या है अब जो भी आता वह किसन से इसी बारे में बात करता था । किसी को यह फिकर नही थी की हम जो किसन से पूछ हरे है वह उसे पीड़ा पहुंचाने का ‌‌‌काम कर रही है । इस तरह से किसन के लिए हर कोई कटे पर नमक छिड़कने के लिए आते थे ।

इस तरह से दोसतो आपको इस कहानी से यह समझ में आया होगा की लोग किस तरह से हमे दुखी देख कर ओर दुखी करते रहते है ।

कटे पर नमक छिड़कना मुहावरे पर निंबंध

दोस्तो जब आप दुखी होते हो और आपसे कोई ऐसी बाते करे जीसके ‌‌‌कारण से आपका दुख और बड़ जाता है । जैसे किसी का धन चोरी हुआ था ओर उससे जो भी घर में आता है वह यही पूछता है की भाई तुम्हारा धन कैसे चोरी हो गया । तो आपको मालूम होगा की यह बात किसन को और दुख पहुंचाने का काम करती है ।

इसी तरह से और बहुत सी बाते होती है जिसके कारण से दुख पहुंचता है । अभी कुछ समय ‌‌‌पहले हमारे आस पास एक व्यक्ति की मोत हो गई थी । जिसके कारण से उसके घर के सभी सदस्य काफी दुखी थे । एक दिन के बाद में जो भी उस घर में आता था तो वह उस आदमी के बेटो से पूछता की आपके पिता की मोत कैसे हुई तो यह सुन कर वह कहानी तो नही सुनाने लग सकते है । बल्की वह जैसे ही यह सुनते है अंदर से ‌‌‌दुखी हो जाते है । मगर दोस्तो यह तो सभी को मालूम है की जो चला जाता है वह वापस नही आता है ।

मगर लोग जो बार बार घर के ही सदस्यो से ऐसा कुछ पूछते है तो दुख वाली बात है और यह कटे पर नमक छिड़कने के समान होती है । तो इस मुहावरे का अर्थ दुखी को और दुखी करना होता है और यह आप समझ चुके है ।

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