मन बहलाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

मन बहलाना मुहावरे का अर्थ man behlana muhavare ka arth – किसी कार्य में लगकर मन प्रसन्न करना ।

दोस्तो जब कोई व्यक्ति दुखी होता है तो उसका किसी काम में मन नही लगता है।  मगर वह फिर भी किसी न किसी तरह के कार्य को करता है और अपना मन लगाने की कोशिश करता है । ताकी उस कार्य में उसका मन ‌‌‌लग जाए और उसका मन प्रसन्न हो जाए या आनन्द लेने लग जाए ।

तो इसी तरह से किसी कार्य में लगकर मन को प्रसन्न करने की बात होती है तो उसे मन बहलाना होता है । क्योकी यहां पर साफ नजर आ रहा है की मन नही लग रहा है मगर फिर भी मल को बहलाया जाता है ।

मन बहलाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • ‌‌‌राहुल जब पहली बार अध्ययन करने के लिए शहर गया तो अकेला होने के कारण से उसे अध्ययन कर कर अपना मन बहलाना पड़ा ।
  • कंचन जब अपने ससुराल आई तो मोबाइल देख कर अपना मन बहलाने लगी ।
  • पहली बार अपने माता पिता से इतनी दुर जाने के बाद में सभी कन्या को मन बहलाना पड़ता है ।
  • पति के देंहात के बाद में सरला को ‌‌‌अपना मन बहलाकर रहना पड़ रहा है ।
  • जब बेटा विदेश चला गया तो उसकी मां घर में मन बहलाकर रहने लगी ।
  • आज के समय में हर कोई मन बहलाकर जीवन गुजार रहा है ।

मन बहलाना मुहावरे पर कहानी

दोस्तो प्राचीन समय में ही नही बल्की आज भी ऐसी बहुत सी बाते होती रहती है जिसमें व्यक्ति को मन बहलाकर रहना पड़ता है। ‌‌‌और एक स्त्री के जीवन में यह एक बार जरूर होता है । क्योकी जब स्त्री का विवाह हो जाता है तो वह पहली बार अपने माता पिता से दूर चली जाती है जिसके कारण से उसका घर में मन नही लगता है मगर फिर भी उसे रहना पड़ता है । तो इसी तरह की कुछ कहानी है –

अभी कुछ ही वर्षों पहले की बात है । मेरी एक सहेली हुआ ‌‌‌करती थी जिसका नाम कंचन था । कंचन काफी अधिक समझदार थी और पढी लिखी भी थी ।यहां तक की उसने अध्ययन को अच्छी तरह से पढा था और ऐसा भी हो सकताथा की वह नोकरी लग जाए ।

इस कारण से कंचन अध्ययन करने के बाद में एक वर्ष तक तैयारी करती रही थी । कंचन के घर में उसका एक भाई और उसके माता पिता थे । तो इस तरह ‌‌‌कंचन का परिवार ज्यदा बड़ा नही था । अब रही बात यह की कंचन के पिता क्या करते थे तो आपको बता दे की उसके पिता पुलिस विभाग में काम करते थे । और यह बात सुनते ही आप समझ गए होगे की कंचन धनवान घर से आती थी।

मगर कंचन और उसके घर के सभी सदस्य काफी अच्छे स्वभाव के थे ।क्योकी वे कभी भी अपने धन पर ‌‌‌घमंड नही करते थे । दोस्तो अब लड़की हो या लड़का जीवन में एक ऐसा समय जरूर आता है जब विवाह किया जाता है । हालाकी वह बात अलग है की लड़की का पहले विवाह हो जाता है और लड़के का विवाह काफी उम्र क बाद में किया जाता है ।

इसी तरह से कंचन के साथ हुआ था । क्योकी कंचन के पिता जिस पुलिस विभाग में काम ‌‌‌करते थे वही पर एक लड़का काम करता था जो की कंचन के पिता के दोस्त का लड़का था । जिसके कारण से कंचन के पिता को उस लड़के बारे में सब कुछ मालूम था और वह लड़का इतना अच्छा था की कंचन के पिता को वह पसंद आ गया । दरसल उस लड़के का नाम किशोर था ।

‌‌‌किशोर काफी अधिक होसियार था और पुलिस विभाग के कैस को पल भर में हल कर देता था और यही बात कंचन के पिता को सबसे अधिक पसंद आती थी । क्योकी एक पुलिस वाले के लिए तो यह जरूरी होता है की वह कैस को जल्दी ही हल कर दे ।जो की किशोर अच्छी तरह से कर रहा था ।

जब कंचन के पिता ने अपनी बेटी से और अपने ‌‌‌घर के सदस्यो से पूछा तो सभी को वह लड़का पसंद था और फिर कंचन के पिता ने अपने मित्र से पुछा तो दोनो राजी हो गए । और इसी तरह से किशोर भी मना नही कर सका था । क्योकी कंचन काफी अधिक खुबसुरत थी । और दोनो और लड़का लड़की पंसद होने के कारण से कंचन ओर किशोर के विवाह की तैयारी दोनो पक्ष करने लगे थे ‌‌‌।

तैयारी काफी धुम धाम से चल रही थी । अब पुलिस विभाग में काम करने वाले की शादी थी तो हल्की कैसे हो सकती थी । पुरे शहर को सजा दिया गया और दूर दूर तक के लोगो को शादी में बुलाया गया था । और यह सब देख कर लोग भी कहने लगे थे वहां क्या धनवान घर है ।

‌‌‌इस विवाह में मुझे भी जाना था तो मैं भी चला गया और मैंने देखा की विवाह में गरीब से लेकर अमीर तक सभी लोग आए है  । यानि गरीबी और अमीरी का जरा सा भेदभाव नही हो रहा है  और यह बात मुझे काफी पसंद आई थी । दोस्तो जैसे ही विवाह का समय आया तो किशोर और कंचन को बुलाया गया ओर दोनो को विवाह के लिए अग्नि ‌‌‌के सामने बैठा दिया था । और फिर पंडित जी मंत्र वगैरह पढने लगे थे । और यह सब हम देख रहे थे ।

कंचन मेरी सहेली थी तो मैं भला खाना खा कर कैसे आ सकती थी । बल्की मैं उसी के साथ थी । जब विवाह का कार्य पूरा हो गया तो मैंने और कंचन ने दोनो ने एक साथ खाना खाया ।

कंचन ने बताया की उसे किशोर काफी पसंद है ‌‌‌और वह उसे अच्छी तरह से जानती है तभी वह उसके साथ विवाह कर रही है । तो मैंने भी कहा की कंचन अच्छी बात है अगर तुम्हे पसंद है तो सादी तो करनी ही है । और तुम वैसा ही कर रही हो मुझे इस बात से खुशी है की आज तुम्हारी शादी हो गई ।

इस तरह से हम बाते करने लगे थे । ऐसा ही चल रहा था और समय बितता हुआ ‌‌‌सुबह होने लगी थी और कंचन की विदाई का समय आ गया था । तो कंचन ने मुझसे कहा की बहन मैं अपने माता पिता से दूर जा रही हूं मुझे अच्छा नही लग रहा है ।

तब मैंने कहा की कंचन ऐसा होता है क्योकी तुम पहली बार अपने माता पिता से दूर जा रही हो । मगर कोई बात नही कुछ दिनो तक मन बहलाना और फिर तुम्हे कुछ अलग‌‌‌ नही लगेगा । इस तरह से कुछ ही समय बाद में कंचन की विदाई हो गई थी । और विदाई होने के बाद में कंचन अपने ससुराल चली गई और मैं भी अपने घर चली गई थी । क्योकी विवाह संपन्न हो चुका था ।

उस दिन तो कंचन को जरा सा समय नही मिला मुझसे बाते करने का मगर अगले ही दिन वह मुझे फोन करती है और कहती है की बहन ‌‌‌घर में ऐसे ही बैठी थी तो मन बहलाने के लिए तुम्हे फोन मिला लिया । तब मैंने भी कहा की चलो अच्छी बात है । और फिर हम विवाह से जुड़ी बाते करने लगी थी ।

हम दोनो ने खुब बात की और काफी समय बित गया तब कंचन ने कहा की बहन अब ठिक है कल बाते करते है । क्योकी काफी समय बित गया था तो जाहिर है की बाते ‌‌‌बंद करनी पड़ती है ।

अगले दिन फिर से कंचन का फोन आ जाता है और वह फिर से कहती है की मन बहलाने के लिए तुमसे बाते कर रही हूं । तब मैंने भी कह दियाकी तुम तो केवल मन बहलाने के लिए ही फोन करती हो ।

मगर कंचन ने कहा की नही ऐसी बात नही है जब पहली बार अपने माता पिता से और तुम्हारे जैसे अच्छे दोस्त ‌‌‌से इतनी दूर आई हूं तो मन नही लग रहा है और यही कारण है की मुझे हर कार्य में मन बहलाना पड़ता है । तब मैंने भी कहा की हां वह बात तो है । जब लड़की पहली बार ससुराल जाती है तो ऐसा जरूर होता है । और फिर हम अपनी बाते करने लगे थे ।

इस तरह से दो तीन दिनो तक कंचन का फोन लगातार आने लगा था और फिर वह अपने ‌‌‌माता पिता के पास आ गई और अपने माता पिता के पास आने के बाद में हम कम ही बात करते थे । बल्की जब भी बाते करनी होती तो मैं कंचन के घर चली जाती थी । और वही पर बाते करते थे ।

तो इस कहानी से मुझे एक बात पूरी तरह से समझ में आ जाती है की जब कन्या का विवाह होता है और वह अपने माता पिता से दूर जाती है ‌‌‌तो उसका मन नही लगता है और मन बहलाने के लिए ही सभी कार्यों में खुशी ढूंढनी पड़ती है । यानि यह कह सकते है की किसी कार्य में लगकर मन प्रसन्न करना पड़ता है और ऐसी जब बात होती है तो इस मुहावरे का प्रयोग होता है ।

‌‌‌मन बहलाना मुहावरे पर निबंध

साथियो मन बहलाना जो मुहावरा होता है उसे समझने के लिए यह बाते काफी जरूरी होती है । अगर आप इस बात को पूरी तर हसे समझ लेते है की मन बहलाना क्या है तो हमारा भी दावा है की आप जीवन में इस मुहावरे को नही भूल पाओगे ।

दोस्तो जिस तरह से हमने कहानी में पढ़ा की कंचन ससुराल ‌‌‌में जाकर अपना मन बहलाने लग जाती है तो वह असल में किसी कार्य में लगती है या फिर किसी कार्य को करती है और उस कार्य में अपने मन को प्रसन्न करती है । तो इस तरह से असल जीवन में ही है क्योकी हमने कहानी भी तो आपको असली बताई है ।

तो आप इस मुहावरे का प्रयोग करते है तो एक बात का ध्यान रखे की जहां पर किसी कार्य में लगकर मन प्रसन्न करने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का प्रयोग होता है ।

आशा है की जीवन में इस मुहावरे को कभी नही भूल पाओगे । अत: दोस्तो खुश रहो और खुश रहो और खुश हरो ।

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