जान के लाले पड़ना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

जान के लाले पड़ना मुहावरे का अर्थ jaan ke laale padna muhavare ka arth  – प्राण बचाना कठिन लगना

दोस्तो जब कोई किसी मुसीबत मे फस जाता है । तो वह उसमे से निकलने का ‌‌‌अनेको प्रयास करता है और चाहता है की वह इससे निकल जाए । पर जब वह उसमे और फसता जाता है । तब उसे लगने लग जाता है की अब हम इस ‌‌‌मुसीबत मे से नही निकल ‌‌‌सकता है । तब वह अपनी हार मान लेता है । इस तरह से उसे जब प्राण बचाना कठिन लगने लग जाता है । तो इसे ही जान के लाले पडना कहा जाता है ।

जान के लाले पड़ना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

जान के लाले पडना मुहावरे का ‌‌‌वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • गाव मे इतनी तेज बारीस आई की गाव के लोगो के जान के लाले पडते देर नही लगी ।
  • जब चोर पुलिस के हाथे चढ गया तो उसके जान के लाले पड गए ।
  • अगर तुमने मेरी बात नही मानी तो ऐसी जगह भेजुगा की जान के लाले पड जाएगे ।
  • मेने कहा था की रात को इधर से मत जाना पर तुमने मेरी बात नही सुनी अब जान के लाले ‌‌‌पढ गए तब तुम्हे मेरी बात सही लग रही है ।
  • डाकूओ के साथ लडाई करने के कारण श्यामलाल को डाकू ने पडकर अपने साथ ले गए जिससे उसकी जान के लाले पड गए ।
  • अगर इसी तरह से बार बार तुमने मेरे साथ झगडा किया तो एक दिन तुम्हारी जान के लाले पड जाएगे ।

जान के लाले पडना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

किसी समय की बात है एक गाव था उस गाव मे अनेक लोग रहते थे । गाव के मुखिया का नाम धर्मवीर था । वह नाम के अनुसार ही सबके साथ धर्म करता रहता था । इस कारण से लोग भी उसे बहुत मानते थे । साथ ही जो भी लोग उससे मदद मागने के लिए आते वह उन लोगो की मदद कर देता था । उसके पास पैसो की कोई कमी नही थी ।

‌‌‌उसके घर मे उसकी पत्नी और एक बेटा रहता था । बेटा बहुत ही नालायक था । वह अपने पिता की एक भी बात नही सुनता था और जैसा चाहता था वैसा ही करता था । उस मुखिया का एक ही बेटा था इस कारण से वह उसे ज्यादा कुछ कहता नही था  ।

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उसी गाव से जब शहर जाना होता तो एक गाव पार करने के बाद एक जंगल आता था । दोनो गाव के ‌‌‌लोगो का मानना था की उस जंगल मे एक भेडिया रहता है । साथ ही उन्होने यह भी सुन रखा था की शहर जाते समय ज्यादातर लोगो का धन लूटेरे लूट लेते है ।

यह सब बाते होने के कारण जब भी लोग शहर जाते तो एक साथ जाते थे और पैसो लेकर जो भी कोई जाता तो वह अपने गाव के लोगो को साथ ले जाता था । जिसके कारण भेडिये से ‌‌‌ बच सके और साथ ही लूटेरो से भी बच जाए । मुखिया को भी इस बारे मे पता था ।

इस कारण से वह कभी भी किसी गाव के आदमी को अकेले नही जाने देता था । साथ ही अगर कोई रात को जाता तो वह उसे पकड भी लेता था । जिसका गाव के लोगो ने उससे कहा था । गाव के लोग भी रात को किसी के साथ नही जाते थे ।

मुखिया का बेटा जब बढा ‌‌‌हुआ तो वह और अधिक शरारत करने लगा था । वह अब किसी की बात भी नही सुनता था । उसका मानना था की मुझे कोई कुछ नही कर सकता है। वह अपने आप पर नाज करता था । इस कारण से एक दिन ‌‌‌उसने अपने पिता को बताए बिना ही शहर जाने के लिए निकल गया था ।

उसके पास धन की कोई कमी नही थी । इस कारण से उसने अपने साथ धन भी ले ‌‌‌लिया था । जब उसे जाते समय उसके दोस्तो ने देख लिया तो वे उसे रोकने लगे । तब मुखिया के बेटे ने उन्हे भी अपने साथ ले लिया था । अब धर्मवीर का बेटा और उसके दोस्त एक साथ होकर अपने गाव से निकल गए थे ।

जब वे पास के गाव मे गए तो लोगो ने उन्हे रोक लिया पर किसी तरह से वे उन्हे उल्लू बनाकर वहां से ‌‌‌निकल गए थे । धिरे धिरे वे जंगल की और बढने लगे थे तो उसका एक मित्र घबरा गया और डर डर कर चलने लगा था । तब धर्मवीर यानि मुखिया के ‌‌बेटे ने उसे कहा की तुम क्यो डर रहे हो ।

यहां पर कुछ नही है और रही बात भेडिये की तो मै उसे मार दूगा । तभी उन लोगो को अचानक एक भेडिया आते हुए दिख गया था । उसे ‌‌‌देखकर धर्मवीर के बेटे को अपनी जान के लाले पडे हुए नजर आने लगे थे । पर उसके मित्रो ने उसे किसी तरह से वहां से निकाल लिया था ।

इस तरह से उन्होने जंगल तो पार कर लिया था । पर जैसे ही जंगल पार हुआ वहां पर कुछ लूटरे आ पहुंचे । लूटेरो को देखकर मुखिया का बेटा घबरा गया । जिसके कारण लूटेरो को पता चल ‌‌‌गया की इसके पास कुछ न कुछ है । तब लूटेरो ने उन्हे पकड लिया ओर रस्सी से बांध दिया था ।

जब रात बित गयी तो लूटेरो ने उन्हे अपने साथ ले गए और फिर उन लडको से काम करवाने लगे थे । इस तरह से काम करते हुए उन्हे एक रात बित गई थी । अभी भी उन लूटेरो ने उन लडको को छोडा नही था ।

इसी तरह से उन लूटेरो ने ‌‌‌उन लडको से 15 दिनो तक काम करा लिया था । जिसके कारण मुखिया का बेटा और बाकी लडको को लगने लगा था की यहां से निकलना मुसीकल है । तब उन लूटेरो ने रात को उन्हे उसी जंगल मे वापस छोड दिया था ।

जंगल मे चले जाने के कारण उन लडको को लगने लगा की आज तो हम नही बच सकते है । अगर यहां से शहर की तरफ गए तो वे ‌‌‌लोग हमे मार देगे और गाव की तरफ गए तो भडिया हमे मार देगा । इस तरह से उन लडको की जान के लाले पड गए थे ।

वे कर भी क्या सकते थे । इस कारण से गाव की तरफ जाने लेगे थे । जैसे ही जंगल के बिच मे पहुचे तो उन्हे वहां पर भडिया नजर आया जिसे देखने मात्र ही सभी डर गए । जब वह उनके नजदिक आने लगा तो कोई ‌‌‌पेढ पर चढ गया तो कोई छूप गया ।

इस तरह से उस भेडिये से बचने की कोशिश करने गले थे । काफी समय बाद भेडिया वहां से गया और वे सभी जंगल से भाग कर अपने गाव पहुंच गए थे । जब गाव गए तो सभी लोग उन्हे देख कर खुश हो रहे थे ।

जान के लाले पडना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

तब मुखिया ने अपने बेटे ‌‌‌से पूछा की कहा गए थे । तब उसके मित्रो ने सारी ‌‌‌बात बता दी जिसे सुनकर मुखिया ने कहा की आज तो तुम बचकर आ गए हो अगर फिर कभी जाओगे तो बच ही नही पाओगे।

इस तरह से गाव के लोगो को पता चला की ये लडके ऐसी मुसीबत मे फस गए थे की इनके जान के लाल पडे नजर आए । इस तरह से आप समझ गए होगे की इस कहानी से मुहावरे का मतलब क्या है ।

जान के लाले पड़ना मुहावरे पर निबंध || jaan ke laale padna essay on idioms in Hindi

दोस्तो जैसा की आपने उपर मुहावरे को समझा और एक कहानी को भी पढा था । तो जब आपने कहानी को पढना शुरू किया था तो आपको यह केवल कहानी नजर आ रही थी । मगर जैसे जैसे कहानी का अंत होने लगा तो आपको समझ में आ गया की यह कहानी असल में मुहावरे को समझा रही है ।

क्योकी आपने कहानी में पढा था की किस तरह से बच्चे भेढ़िया का सामना करते है और अपने प्राण बचाने की कोशिश करते है । उस समय उन्हे लग रहा था की प्राण बचाना कठिन है मगर काफी कोशिशों के बाद में अपने आप को बचा सके ।

और इसी समय jaan ke laale padna मुहावरे का सही रूप में प्रयोग हुआ था । तो इसका मतलब है की कहानी कह रही है की jaan ke laale padna muhavare ka arth  – प्राण बचाना कठिन लगना होता है । और इस बात को आप समझ सकते है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।