कान पकड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग Meaning of idiom and use in sentence in Hindi

कान पकड़ना मुहावरे का अर्थ kaan pakadana muhaavare ka arth – अपनी गलती स्वीकार करना ।

दोस्तो आज इस संसार में हर कोई अपने जीवन में कभी न कभी कुछ ऐसा कर देता है जो गलत होता है । इस तरह से गलत किए गए ‌‌‌काम को, कोई मान लेता है तो कोई नही मानता है । मगर जो लोग अपनी गलती को मान लेते है ‌‌‌उनके द्वारा अपनी गलती को स्वीकार कर लिया जाता है । और इस तरह से जब कोई भी ‌‌‌व्यक्ति किसी भी तरह की गलती को स्वीकार करता है तो इसे कान पकडना कहा जाता है ।

कान पकड़ना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग Meaning of idiom and use in sentence in Hindi

कान पकडना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग (use in sentence in Hindi)

1.जब राहुल चोरी करते हुए पकडा गया तो उसने गाव के लोगो के सामने कान पकड लिए ।

2. जब मुजरिम को पुलिस के डंडे पडने लगे तो उसने तुरन्त कान पकड लिए ।

3. भिड को अपनी तरहफ आते देख कर ‌‌‌ठगाखोर ने अपने कान पकड लिए ।

4. जब किसन को उसके ‌‌‌पिता ने शराब पिते देख लिया तो किसन को कान पकडने पडे ।

5. जब राहुल गुंडागर्दी करते हुए अपने पिता के सामने आ गया तो वह कान पकड कर खडा हो गया ।

‌‌‌6. जब कुंदन समय पर अपना कर्जा नही उतार पाया तो उसने जमीदार के सामने कान पकड कर कहा की आइंदा ऐसा नही होगा ।

7. जब यह बार बार कान पकड रहा है तो आपको इसे माफ कर देना चाहिए ।

‌‌‌कान पकडना मुहावरे पर कहानी (story on idiom In Hindi)

दोस्तो प्राचीन समय की बात है किसी नगर में एक धनवान राजा रहा करता था । राजा के पास धन दोलत की कोई कमी न होने के कारण से उसका जीवन बडा मोज मस्ती से चल रहा था । मगर राजा न्याय का पक्का था अगर इस बिच उसका स्वयं का बेटा भी आ जाता तो राजा न्याय करने से पिछे नही हटता ‌‌‌था ।

यही कारण था की राजा को उस नगर का हर कोई व्यक्ति पंसद करता था । मगर एक ऐसा दिन आ ही गया जब राजा के सामने उसका ही बेटा ‌‌‌मुजरिम बन कर खडा हो गया था ।

 दरसल बहुत समय पहले की बात है राजा अपने राज्य से बाहर गया हुआ था और उसने अपने बेटे को न्याय की कुर्सी पर बैठा दिया था । राजा के पास एक तो ‌‌‌धन था और दूसरा की वह राज्य का राजा था इसी बात का फायदा उसका बेटा उठा कर अपनी ही प्रजा को कई तरह के कष्ट देने लगा था ।

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जब भी राजा का बेटा अपने राज्य में जाता तो वह लोगो से तरह तरह का काम करवाता था और लोगो को खुब परेशान किया करता था । ‌‌‌क्योकी राजा का बेटा होने के कारण से कोई भी उसे कुछ नही कहता था । और दूसरा कारण यह भी था की वहां पर राजा नही था तो ‌‌‌शिकायत किससे की जा सकती थी ।

दरसल राजा एक समझोते के कारण से अपने पास के ही राजा के पास गए हुए थे और उन्हे इस समझोते में बहुत ही अधिक समय लगने वाला था । जिसके कारण से प्रजा को ‌‌‌कष्टो का सामना कर ‌‌‌रही ‌‌‌थी । ऐसा कोई नही था जो की राजा के बेटे के सामने बोल सके ।

मगर एक बार यह दिन आ गया क्योकी एक बार राजा का बेटा अपने राज्य में ‌‌‌सैर करते हुए जा रहा था तो उसे एक झोपडी दिखी जिसमें से अच्छी खाने की खुशबू आ रही थी राजा के बेटे से यह खुशबू सहन नही हो रही थी और न ही वह उस झोपडी ‌‌‌मे बन रहे खाने को खा सकता था क्योकी वह बहुत ही निर्धन था जिसके कारण से उसने ऐसा नही किया ।

मगर इसके ही विपरित उसने अपने सेनिको को भेज ‌‌‌कर  झोपडी में खाना बना रहे एक वृद्ध व्यक्ति के पास से खाना छिन कर जमीन पर गिराने का कहा । क्योकी राजा का बेटा था तो सेनिक उसकी बात को मान लेते थे और ‌‌‌ऐसा ही कर चुके थे ।

जिसके कारण से वृद्ध व्यक्ति को अन्न जमीप पर गिराना अच्छा नही लगा और दूसरा की वृद्ध व गरीब होने के बाद भी उसके साथ ऐसा हो रहा है जो सही नही है यह सोच कर उस वृद्ध व्यक्ति ने राजा के बेटे के खिलाफ आवाज उठा दी । जीसके कारण से राजा के बेटे ने उसे पकड लिया और कारागार में ‌‌‌डाल दिया ।

दो दिन बित जाने पर राजा के बेटे ने माफी के रूप में उस वृद्ध व्यक्ति को वापस छोड दिया था । मगर अब भी वृद्ध व्यक्ति न्याय की गुहार लगा रहा था मगर उसे न्याय देने वाला कोई नही था क्योकी जीसका काम न्याय करने का था वह स्वयं ही कष्ट दे रहा था तो भला न्याय करता कोन । मगर इस ‌‌‌में वृद्ध व्यक्ति को किसी प्रकार का सहयोग नही मिला था ।

एक महिना बित गया तब जार राजा के आने की सुचना प्रजा को मिली जिसे पा कर सभी खुश हो रहे थे । मगर इसी बिच में राजा के बेटे ने पूरे राज्य में ढंका बजवाया और यह घोषणा की जो भी राजा के बेटे के खिलाफ आवाज उठाएगा और राजा से उसकी ‌‌‌शिकायत ‌‌‌करेगा उसका सिर कलम होते देर नही लगने वाली है ।

यह सब सुन कर राजा के बेटे के खिलाफ कोई नही बोलने वाला था मगर राजा के बेटे को केवल उस वृद्ध की संका थी जिसके कारण से राजा के बेटे ने कुछ सेनिको को भेज कर उसे भी पिटवा दिया और कहा की जो हमने किया है वैसा ही करना । अगले ही दिन राजा अपने राज्य में ‌‌‌आया तो कोई भी खुश न था और देखने में कोई भी दूखी नही लग रहा था ।

जिसके कारण से राजा को वही कुछ संका हो गई क्योकी राजा के आते ही जो लोग अपनी ‌‌‌शिकायते उन्हे बताने लग जाते है वे आज चुप चाप फिर रहे है ।  अगले ही दिन राजा ने राज्य के बिचो बिच सभा का ‌‌‌आयोजन किया । जिसमे राज्य के सभी लोगो को भाग लेना था तो भिड जमा हो गई । मगर राजा ने सबसे पहले यही प्रशन रखा की आपकी समस्या क्या है जिसका मुझे निवारण करना है । मगर कोई नही बोला ।

 तभी बिच में से आवाज आई की आपका बेटा । यह सुन कर राजा चोक गया और कहने लगा की कोन है जो मेरे बेटे को अपनी समस्या ‌‌‌बताने की हिम्मत कर बैठा है । तभी सभी लोग उस व्यक्ति की तरफ देखने लगे थे जिसने ऐसा कहा था । तब सभी को पता चला की यह तो वही वृद्ध व्यक्ति है जिसने कई दिनो से आवाज उठाई थी।

मगर राजा की वाणी को सुन कर भी उस वृद्ध व्यक्ति ने कहा की आपका बेटा ही मेरा और प्रजा का मुल समस्या का कारण रहा है ‌‌‌। यह सुन कर फिर से राजा ने कहा की हे मुर्ख वृद्ध व्यक्ति तु जो कह रहा है वह तुम्हे पता तो है की क्या कह रहा है । तब उस व्यक्ति ने कहा की राजा साहब मुझे पता है की मैं क्या कह रहा हूं । इस तरह से फिर उस वृद्ध व्यक्ति को सेनिको ने पकड लिया ।

तब राजा ने कहा की इसे मेरे पास लेकर आओ । ‌‌‌तब सेनिक उसे पकड कर राजा के पास लेकर चले गए । मगर अब भी वह वृद्ध व्यक्ति राजा को कह रहा था की आपका बेटा ही हमारी समस्या का मूल कारण बना हुआ है। मगर अब राजा को विश्वास हो चुका था की कुछ न कुछ बात जरूर है । तब राजा ने उस वृद्ध व्यक्ति को पूछा की मेरा बेटा आपकी समस्या का कारण कैसे है ।

‌‌‌कान पकडना मुहावरे पर कहानी (story on idiom In Hindi)

इतने ‌‌‌में राजा का बेटा बोल पडा की यह मुर्ख वृद्ध ऐसे ही ……….. ‌‌‌इतने में राजा ने उसे रोक दिया और कहा की तुम चुप रहो इस वृद्ध को बोलने का मोका दो । जिसके बाद में राजा ने उस वृद्ध की पूरी बात को सुनी  ।

जिसके कारण से राजा को पता चला की उसका बेटा उसी की प्रजा के साथ क्या क्या कर चुका था । यह सब ‌‌‌सुनने के बाद में राजा का बेटा कहने लगा की यह जो कह रहा है वह गलत है । मगर राजा को यह सब मालूम हो गया था की यह जो कह रहा है वह सत्य है ।

क्योकी वह वृद्ध और कोई नही था बल्की राजा की सेना का ही एक हिस्सा था यानि पहले एक सेनिक रह चुका था जिसके कारण से राजा उसे जानता था और उसे यह भी पता चला की ‌‌‌उसके बेटे ने राज्य के लोगो पर खुब कष्ट ढाए है ।

जब इस बारे में प्रजा से पूछा तो कोई नही बोल रहा था मगर राजा ने कहा की आप भले ही मेरे बेटे से डर गए है मगर यह सैनिक कभी युद्ध भूमी में किसी से डरा नही था तो यह मेरे बेटे से कैसे डर जाता और यही कारण है की आज इसने यह सब बात मुझे बताने की हिम्मत की ‌‌‌है ।

यह सुन कर एक व्यक्ति और बोल पडा की महाराज यह बात सत्य है । तब राजा के बेटे ने सोचा की मेरी पोल खुल रही है ‌‌‌और मैंने जीसे कष्ट दिए थे वह कभी हमारा सैनिक था । जिसके कारण से उसने तुरन्त राजा के सामने अपने कान पकड लिए ।

तब राजा ने कहा की अब अपनी गलती स्वीकार करने से क्या होगा अब तो मुझे न्याय के रूप में तुम्हे सजा देनी होगी । तब राजा ‌‌‌ने उसे कारागार में कुल 10 वर्ष रहने को कहा मगर ‌‌‌तभी वह वृद्ध बोल पडा की महाराज ऐसा न करे तो अच्छा होगा बल्की इसे मेरे पास रहने दे और यह मेरे पास रह कर ही लोगो के बारे में जान पाएगा ।

यह सुन कर राजा ने मन ही मन सोचा की अगर यह इस वृद्ध के पास रहेगा तो लोगो को कितने कष्ट झेलने होगे यह समझ जाएगा ‌‌‌और उसे यह भी याद आया की एक बार उसके पिता ने भी अपने मंत्री को यही सजा दी थी जिसके कारण से वह पूरी तरह से सूधर गया था ।

यह सब सोचने के बाद में राजा ने अपने बेटे को एक वर्ष तक वृद्ध की सेवा करने को कहा क्योकी सबसे अधिक कष्ट वृद्ध को ही झलने पडे थे । मगर अब भी राजा का बैटा कान पकड रहा था मगर अब ‌‌‌क्या होने वाला था क्योकी उसके बारे में सभी को मालूम चल गया था और उसे सजा भी मिल गई थी ।

इस तरह से राजा ने अपना न्याय किया और अपने बेटे को ही सजा दे दी ।

इस तरह से आप इस कहानी से मुहावरे के अर्थ के बारे में समझ गए होगे ।

‌‌‌कान पकडना मुहावरे पर कहानी (story on idiom In Hindi)

कान पकडना मुहावरे पर निबंध (essay on idiom in Hindi )

दोस्तो मनुष्य के जो कान होते है वह उसके ‌‌‌सीर के हिस्से में लगे होते है । और इन्ही कान का उपयोग करते हुए वह आपस में बोलचला की भाषाओ को सुनता रहता है । और ज्ञान हासिल करता रहता है और इसे ईसाई धर्म में महत्व के रूप में देखते है क्योकी इसी धर्म में सबसे अधिक कान को पडने की बात होती है और कहा जाता है की अगर कोई व्यक्ति कभी भी अपने ‌‌‌जीवन में बुरा कर चुका है।

 जो उसे नही करना चाहिए था तो इस बारे में किसी और को नही बल्की गॉड के सामने यानि चर्च में कान पकड कर गॉड के सामने अपना जुर्म कबूल करना चाहिए, ताकी पाप का नास हो सके । ‌‌‌इस तरह से कान पकड कर गलती को स्वीकार किया जाता है । इस तरह से इशाई धर्म में होता है ।

मगर अन्य धर्मो में भी कान को ‌‌‌पकडने पर गतली को स्वीकार कर लिया है ‌‌‌या गलती को स्वीकार कर रहा है यह कहा जाता है । और यही कारण होता है की कान पकडना मुहावरा बन चुका है और इसे मनुष्य जीवन में प्रयोग किया जाता है । क्योकी यह गलती को स्वीकार करने के स्थान पर प्रयोग होता है तो गलती को स्वीकार करना ही इस मुहावरे का अर्थ होता ‌‌‌है।

इस तरह से आप इस मुहावरे के बारे में बहुत कुछ जान गए होगे ।

क्या कभी आपने अपने जीवन में कान पकडे है बतान न भूले ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।