भृकुटि तन जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

भृकुटि तन जाना मुहावरे का अर्थ bhrikuti tan jana muhavare ka arth – अधिक क्रोधित होना ।

दोसतो भृकुटि आंख की उपरी हड्डी पर पाए जाने वाले बालो को कहा जाता है । जो क्रोधित होन पर उपर की ओर उठने लगते है । इस तरह से भृकुटि उपर की ओर उठने को भृकुटि तन जाना कहा जाता है । क्योकी यह ‌‌‌क्रोधित होन पर ही तनती है । जिसके कारण से जब कोई व्यक्ति बहुत क्रोधित हो जाता है तो इस मुहावरे का प्रयोग करते हुए भृकुटि तन जाना कहा जाता है ।

भृकुटि तन जाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग bhrikuti tan jana muhavare ka vakya me prayog

  • ‌‌‌रामलाल जब भी तुम्हे देखता है तो उसकी भृकुटि तन जाती है आखिर बात क्या है ।
  • जब अध्यापक ने महेश से पूछा गया प्रशन का जबबा सुना तो उनकी भृकुटि तनते देर नही गली ।
  • हरीदेव बडा नेक आदमी है मगर जब भी उससे पैसे मागे जाए तो उसकी भृकुटि तन जाती है ।
  • जब से पहलवान ने राजवीर को कुस्ती मे हरा दिया ‌‌‌तब से राजवीर जब भी पहलवान का देखता है तो ‌‌‌उसकी भृकुटि तन जाती है ।
  • तुम तो मेरे से दूर ही रहना क्योकी तुम्हे देखने मात्र मेरी भृकुटि तन जाती है ।
  • पवन ने पुलिस को रिस्वत लेते देखा तो उसकी भृकुटि तन गई और वह पुलिस को मारने लगा ।
  • जब पुजा ने अपनी पडोसन से गालिया सुनी तो उसकी भृकुटि तन गई और दोनो ‌‌‌मे झगडा होने लगा ।

‌‌‌भृकुटि तन जाना मुहावरे पर कहानी bhrikuti tan jana muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी गाव मे जीवन नाम का एक लडका रहा करता था । उसके घर मे उसके पिता और उसकी मां रहा करती थी । साथ ही उसके दादा दादी भी उनके साथ रहते थे । जीवन के पिता एक बैंक मे काम करते थे । साथ ही उसके दादाजी अपने स्वयं का बिजनेस चलाते थे । जिसके  ‌‌‌कारण से उनके घर में बहुत अधिक धन आता था ।

जिसके कारण से जीवन के दादजी गाव के सबसे अमीर व्यक्ति थे । मगर उनकी गाव मे काफी इज्जत होती थी । इसका कारण यह था की दादाजी जब गाव किसी मुसीबत मे होता तो उनकी मदद करने से पिछे नही रहते थे । जिसके कारण से उन्हे गाव का हर कोई मददगार मानता था । ‌‌‌

इसी के विपरीत जीवन के पिता थे यानि वे कभी भी गाव के लोगो की मदद नही करना चाहते थे । मगर अपने पिता के होने के कारण से वे यह नही कर पा रहे थे ।क्योकी जीवन के दादजी जीवन के पिता की बात नही सुनते थे बल्की कहते थे की अगर इन पैसो से गाव के लोगो की मदद की जाए तो कोई बुरा नही है ।

अब रहा जीवन जो ‌‌‌अपने पिता की तरह ही था मगर वह बात बात पर क्रोधित हो जाया करता था । यह उसकी सबसे बडी गलती थी । क्योकी वह क्रोधित हो कर किसी को भी कुछ भी बोल देता था । इस बारे मे जीवन के पिता को अच्छी तरह से मालूम था ।‌‌‌ क्योकी जीवन ने अपने पिता के सामने भी इस तरह से क्रोधित होकर कर कई बार जबान लडाने लगा था ।

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मगर इस बारे मे दादाजी को कुछ नही पता था । मगर कहते है न जो गलत होता है वह कभी न कभी सामने आ ही जाता है तो दादाजी के सामने भी यह बात आते देर नही लगी । क्योकी जब जीवन 24 वर्ष का हो गया ‌‌‌तो वह किसी व्यत्ति से झगडा कर कर अपने घर आया था ।

उस दिन यह हुआ था की जीवन अपने कुछ साथियो के साथ रात के समय मे किसी व्यक्ति के घर के बाहर बैठ कर गाली गलोच कर रहा था । क्योकी वह घर एक गरीब व्यक्ति का था जिसके कारण से जीवन को लगा की वह उसे कुछ नही कहेगा । मगर ऐसा नही हुआ क्योकी वह ‌‌‌व्यक्ति जीवन की गाली गलोच सुन कर थकने लगा ।

साथ ही उसके घर मे उसकी पत्नी और एक बेटी भी रहती थी। जिन्हे भी जीवन की यह गाली गलोच साफ सुनाई दे रही थी । जिसके कारण से आखिर मे वह व्यक्ति थक हार कर जीवन के पास चला गया और उसे सुनाने लगा । जिसके कारण से जीवन अपने दादाजी के नाम पर उछलने ‌‌‌लगा और उस व्यक्ति को बुरा भला कहने लगा था ।

जिसके कारण से दोनो मे झगडा होने लगा । जब झगडे की आवाज आस पास के लोगो ने सुनी तो वे वहां आ गए और उन दोनो को अलग कर दिया । साथ ही लोगो ने जब पूछा की किस कारण से झगडा कर रहे थे तो उस व्यक्ति ने सारी बाते बता दी ।

जिसे जानने के बाद मे वे लोग ‌‌‌उस व्यक्ति को अपने साथ लेकर जीवन के दादाजी के पास चले गए और जीवन की ‌‌‌करतूतो के बारे मे बताने लगे । यह जान कर जीवन के पिता ने उन लोगो से कहा की आज के बाद मे वह ऐसा काम नही करेगा । ऐसा कहने के बाद मे जीवन के दादाजी ने उसे बुलाया और बहुत ही बुरी तरह से सुनाना शुरू कर दिया ।

जिसे सुन कर जीवन ‌‌‌क्रोधित होने लगा था और उस व्यक्ति की तरफ देख रहा था । यह देख कर जीवन के पिता ने कहा की नालायक मैं तुम्हे समझा रहा हूं और तुम्हारी भृकुटि तन रही है । इतना कहने के बाद मे दादाजी ने लोगो को अपने घर मे भेज दिया और फिर जीवन को और डाटने लगा । जिसे सुन सुन कर जीवन को क्रोध आ रहा था ।

‌‌‌जब इस बात को आधी रात बित गई तब भी जीवन इसी बारे मे सोच रहा था । साथ ही वह सोच रहा था की यह सब उस आदमी के कारण से हो रहा है । ऐसा सोच कर जीवन चुपके से अपने घर से निकल गया । और धिरे से अपने साथियो को भी बुलाकर ले आया ।

फिर वे सभी उस आदमी के घर गए और उसके घर को जला दिया ।‌‌‌ मगर यह कांड करते हुए भी उसे किसी ने देख लिया । जिसके कारण से घर जलने लगा था । जिसके बारे मे उस आदमी को पता नही चला मगर जब गर्मी लगने लगी तो उसकी आंखे खुल तो उसने देखा की घर मे आग लगी हुई है ।

जिसके कारण से उसने तुरन्त अपने घर के बाकी सदस्यो को जगाया और घर से बाहर लेकर आ गया । जिसके कारण ‌‌‌से किसी की जान नही गई । मगर उनका घर पूरी तरह से जल गया । जिस व्यक्ति ने जीवन को घर जलाते हुए देखा था जब उसने उस आदमी को बताया तो वह तुरन्त जीवन के घर चला गया । और जीवन के दादाजी को आवाज लगाने लगा था ।

आवाज सुन कर जीवन के दादाजी घर से बाहर निकले और पूछने लगे की भाई अब क्या हुआ इतनी रात ‌‌‌को क्यो आवाज लगा रहे हो । तब उस आदमी ने कहा की आपके जीवन ने मेरा घर जला दिया । यह सुन कर दादाजी ने कहा की नही जीवन घर मे ही है ।

तब उस आदमी ने उस व्यक्ति से दादाजी को सारी सचाई सुनाई । जिसे सुन कर जीवन के दादाजी को यकिन नही हो रहा था । जिसके कारण से दादाजी उसे अपने घर मे देखने के लिए ‌‌‌चला गया । मगर जब जीवन अपने कमरे मे नही मिला तो दादाजी को उस आदमी की बात सच लगने लगी थी ।

तब दादाजी ने उस समय उस आदमी को अपने घर मे रहने को कहा और कहा की सुबह होने पर बात करेगे । क्योकी जीवन के दादाजी गाव के लोगो की मदद करते ही रहते थे जिसके कारण से वह आदमी आराम से मान गया ।

इसी तरह से सुबह होने ‌‌‌के बाद ‌‌‌उस आदमी से कहा की भाई तुम्हारा जो भी नुकसान हुआ है वह मुझे बता दो । तब उस आदमी ने कहा की मेरा तो सब कुछ नष्ट हो गया । यह सुन कर जीवन के दादाजी ने कहा की ठिक है मैं तुम्हे अब पक्के मकान बनाकर दुगा और तुम्हारे घर मे सभी आवश्यक वस्तु मोजुद होगी ।

‌‌‌भृकुटि तन जाना मुहावरे पर कहानी bhrikuti tan jana muhavare par kahani

साथ ही कहा की जब तक घर नही बन जाता तब तक ‌‌‌हमारे पास ही रहना । जिसके कारण से वह आदमी दादाजी के पास ही रहने लगे थे । मगर अब दादाजी ने जब सुबह अपने बेटे को घर आते हुए देखा तो उसे बहुत सुनाने लगा और कहने लगे की रात को कहा था । साथ ही कहा तुम्हारे जैसा लकडा अगर हमारे घर मे नही होता तो बहुत ही अच्छा रहता ।

मगर अब उसका पिता भी अपने बेटे को ‌‌‌ऐसा ही कहने लगा था । साथ ही दादाजी ने कहा की तुमने दो बाते क्या सुन ली भृकुटि तन गई । जिसके कारण से तुम इन लोगो की जान तक लेने को तैयार हो गया । तब दादाजी ने उसे सजा सुनाते हुए कहा की तुम आज से मेरे साथ साथ रहोगे ।

क्योकी जीवन के पास कोई और चारा नही था क्योकी अगर वह अपने दादाजी की बात नही ‌‌‌मानता है तो उसे अपना घर भी छोडना पड सकता था । जिसके कारण से फिर जीवन अपने दादाजी की बात मान कर उनके साथ ही रहने ‌‌‌लगा था । इसी तरह से फिर उस आदमी का घर तैयार होने के बाद मे वे अपने घर चले गए ।

इस तरह से फिर जीवन अपने दादाजी के साथ रहकर काम करने लगा था और ऐसे कार्यो से दूर होने लगा था । इस तरह ‌‌‌से आप इस मुहावरे का अर्थ समझ गए होगे ।

भृकुटि तन जाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of bhrikuti tan jana  in Hindi

दोस्तो आपको आंखो के बारे में पता है अरे वही जिसके कारण से हम सब कुछ देख पाते है उन्ही आंखो की हम बात कर रहे है । और यह जो आंखे होती है इनके उपर की ओर जो बाल होते है यानि हम आंख की पलको की बात नही कर रहे है बल्की इसके उपर जो भौंह होती है उनकी बात कर रहे है और यही असल मे भृकुटि होती है ।

और आपने शायद यह देखा होगा की जब कोई क्रोधित होता है तो ऐसे में उसककी यह भृकुटि जो होती है वह तन जाती है । मतलब सामन्य रूप में न रह की अन्य रूप का आकार ग्रहण कर लेती है। और इसे ही तन जाना कहा जाता है।

क्योकी यह क्रोधित होने के कारण से होता है तो इसका मतलब है की  bhrikuti tan jana muhavare ka arth – अधिक क्राधित होना होता है। और जहां पर भी अधिक क्रोधित होने की बात होती है वही पर इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।