एक आँख न भाना का मतलब और वाक्य मे प्रयोग

एक आँख भाना मुहावरे का अर्थ ek aankh na bhana muhavare ka arth – बिल्कुल भी अच्छा लगना

दोस्तो जब कोई इंसान हमे अच्छा लगता है तो हम उसके लिए कहते है की यह तो बहुत ही अच्छा है । इसकी चाल ढाल सभी तोर तरीके मुझे ‌‌‌पसन्द है । उसी तरह से बिल्कुल इसके उलटा जब कोई इंसान या वस्तु हमे ‌‌‌बिल्कुल अच्छी नही लगती है । तो हम उसके लिए कहते है की यह वस्तु तो मुझे बिल्कुल ‌‌‌पसन्द नही है या फिर कहते है की यह व्यक्ति तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नही लगता है । इस तरह से जब कोई वस्तु या व्यक्ति किसी को बिल्कुल भी अच्छा नही लगता तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । और कहा ‌‌‌जाता है की यह तो मेरी एक आंख न भाया ।

एक आँख न भाना मुहावरे का अर्थ

‌‌‌एक आंख भाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • रामलाल का बेटा गाव के लोगो की एक आंख को न भाता है ।
  • अगर इसी तरह से दिन और रात किसी के घर मे पडे रहोगे तो उनकी एक आंख को न भाओगे ।
  • ‌‌‌अगर यह यहां से नही गया तो मैं यहा से चला जाउगा यह तो मुझे एक आख न भाता है ।
  • जब मैंने देखा की सुरज अपने ही माता पिता को घर से निकाल रहा है तो मुझे वह एक आंख न भाया ।
  • अपने ही माता पिता के सामने बोलते जब मैंने तुम्हे देखा तो तुम मुझे एक आंख न भाए ।
  • ‌‌‌वह ‌‌‌तुम्हे एक आख न भाता है तभी तुम उसके लिए ऐसा बोल रहे हो ।

एक आंख भाना मुहावरे पर कहानी

प्राचिन समय की बात है राजेश नाम का एक आदमी अपने माता पिता के साथ रहता था । राजेश जब से छोटा था तभी से उसके माता पिता ने उसे पाल पोस कर बडा किया था । राजेश के घर मे उसका एक बडा भाई था । जिसका नाम ‌‌‌सुरेश था ।

दोनो भाई एक दुसरे को बहुत पंसद करते थे और जब भी दोनो पढाई करने के लिए जाते तो वे साथ जाते थे और साथ ही खाना खाते थे । राजेश के माता पिता के पास इतना धन तो था ही की वे अपनी उम्र भर अपना पेट आराम से भर सके । क्योकी राजेश के माता पिता ने उन दोनो को बहुत पढाया था ।

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जिसके कारण से बडे होने ‌‌‌पर ‌‌‌दोनो भाइयो को आराम से काम मिल गया था । जिसके कारण ‌‌‌से दोनो भाई काम करने के लिए साथ जाते थे । इस तरह से उन्हे जब काम करते हुए एक वर्ष हो गया तो उनके घर एक दिन कुछ लोग आए जो अपनी दोनो कन्याओ का विवाह उन दोनो से कराना चाहते थे ।

इस कारण से उसके माता पिता ने ही उनकी दोनो कन्याओ को देख कर अपने बेटो का ‌‌‌विवाह तय कर दिया था । जिसके कारण से समय के साथ उन दोनो का विवाह भी हो गया था ।

विवाह हो जाने के कारण से दोनो भाई और उनके माता पिता बहुत ही खुश थे । और आराम से अपना जीवन गुजारने लगे थे । पर एक दिन की बात है उन दोनो भाईयो मे किसी बात को लेकर झगडा हो गया और झगडा इतना अधिक बढ गया की वे दोनो अलग ‌‌‌होने की बात करने लगे थे ।

जब इस बारे मे उन दोनो ने अपने माता पिता से बात की तो वे दोनो अपने माता पिता को उस समय एक आख न भाए । तब उन दोनो को उनके माता पिता ने खुब समझाया जिसके कारण से सुरेश तो अपने माता पिता की बात मान गया था पर अब राजेश अपने माता पिता की बात नही मान रहा था ।

काफी समय तक ‌‌‌बहस चलने के बाद राजेश के माता पिता ने उन दोनो को अलग कर दिया और घर के आगन मे एक लाईन निकाल कर कह दिया की इधर का घर तुम्हार और उधर का तुम्हारा । इस तरह से घर का बटवारा हो गया ।

उस दिन के बाद दोनो भाई एक दुसरे से बोलते नही थे और काम करने के लिए जाते रहते थे । अब राजेश के माता पिता उसी के ‌‌‌पास रहते थे जिसके कारण से राजेश ने अपने माता पिता के पास जीतने भी रूपय थे वे सब ले लिए और उनसे घर भी अपने नाम पर करवा लिया था ।

इस बात को एक ही महिना बिता था की एक दिन राजेश ने अपने माता पिता को घर से निकाल दिया था। उस दिन सुरेश और उसकी पत्नी भी अपने घर मे नही थे बल्की वे कही गए ‌‌‌हुए थे  ।

जब सुरेश को इस बारे मे पता चला तो वह तुरन्त ही अपने गाव मे आ गया था । पर आने मे समय लगा इस कारण से गाव के लोगो को इस बारे मे पता चल गया और उसके माता पिता किसी के घर मे बैठे थे ।

तब गाव के लोग बाते कर रहे थे की राजेश ने अपने माता पिता से सारे रूपय ले लिए और घर नाम करा कर उन्हे अपने ‌‌‌घर से निकाल दिया है। तभी कोई ओर व्यक्ति बोलता की ऐसा इंसान तो मुझे एक आंख न भाता है । और जब उसने अपने माता पिता को ही घर से निकाल दिया तो वह हमारे साथ भी कुछ भी कर सकता है । हमे उसे अपना नही समझना चाहिए ।

एक आंख न भाना मुहावरे पर कहानी

यह बात सुरेश सुन रहा था । इस कारण से उसने तुरन्त अपने माता पिता को अपने घर मे ले ‌‌‌गया और उन्हे वही पर रहने को कह दिया था । उस दिन के बादमे सुरेश ने ही अपने माता पिता को उम्र भर अपने पास रखा और उनकी सेवा करता रहा । इस तरह से आपको इस मुहावरे का अर्थ इस कहानी से समझ मे आ गया होगा ।

एक आंख न भाना मुहावरे पर निबंध muhavare par nibandh

साथियो हर जीव को दो आंख तो होती है । और मनुष्य के भी दो ‌‌‌आंख होती है जीससे वह सभी को समान नजर से देखे । पर कई बार कुछ व्यक्ति कोई ऐसा कार्य कर देते है जिसके कारण से वे ‌‌‌बुरे लगने लगते है और कुछ लोग तो हमेशा से ही ऐसा कार्य करते रहते है ।

जिसके कारण से वह बिल्कुल भी अच्छा नही लगता । इस तरह के लोगो को कोई भी देखना पंसद नही ‌‌‌करता है। जब वह किसी के समाने आ जाता है तो वह कहता है की मैं तुम्हे देखना पंसद नही करता हूं यानि तुम मुझे बिल्कुल भी अच्छे नही लगते हो ।

तब वह व्यक्ति ऐसे लोगो को देखना पंसद नही करता और ऐसे मे वह उसे एक आंख से भी नही देखता है । इस तरह से जब कोई किसी को एक आख से देखना नही चाहता यानि एक आख ‌‌‌न भाता है तो इसका अर्थ होता है की जरा भी अच्छा न लगना या बिल्कुल भी अच्छा नही लगना जिसके कारण से उसे एक आंख से भी नही देखना पंसद करता ‌‌‌है। इस तरह से आप अर्थ समझ गए होगे।

एक आँख न भाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of ek aankh na bhana in Hindi

दोस्तो कुछ वस्तु ऐसी होती है जिनको केवल देखने मात्र पसंद किया जा सकता है क्योकी वे मन को काफी अच्छी लगती है । जिस तरह से युवा लोगो को एक खुबसुरत कन्या देखने मात्र अच्छी लग जाती है ठिक वैसे ही यह वस्तु होती है ।

मगर वही पर कुछ ऐसे वस्तु भी होती है जिनको चाहे जीतनी बार देखा जाए वह पसंद आ ही नही सकती है । और इस तरह की वस्तु को देखने का मन तक नही करता है । तो अगर आप ऐसे में इन वस्तु को अपनी एक आंख से देखेगे तभी भी यह आपको पसंद नही होगी ।

और इस बात का मतलब है की एक आंख से देखने पर भी आपको बिल्कुल भी अच्छी नही लग रही है । तो अगर कोई मानव या फिर कोई वस्तु एक आंख भी नही भाता है तो इसका मतलब यह हुआ की वह आपको बिल्कुल अच्छा नही लगता है। ओर इसी मुहावरे का सही अर्थ होता है यानि ek aankh na bhana muhavare ka arth – बिल्कुल भी अच्छा न लगना होता है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।