नीलाम होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

नीलाम होना मुहावरे का अर्थ neelam hona muhavare ka arth – बिक जाना ।

दोस्तो वर्तमान में लोग अपने जरूरत का काम करने के लिए कुछ ज्यादा ही धन उधार लेने लगे है । और आजकल वे ज्यादातर बैंको से धन लेते है जिसे लोन लेना कहा जाता है । ‌‌‌इस लोन को जब बैंक देती है तो इसके बदले में कुछ ऐसा रखती है जो इससे भी अधिक मुल्यवान हो जैसे घर, खेत ।

अब इस लोन को वापस चुकाने के लिए एक निश्चित समय होता है अगर इस समय में पूरा लोन नही चुकाया जाता है तो बैंक के द्वारा कार्यवाही की जाती है और इसी के चलते बैंक उसके घर या खेत जिसके उसने कागजात ‌‌‌दिए थे । उसे बेचने लग जाती है और बहुत से लोग उसकी किमत ‌‌‌अलग अलग को लगाते है ।

जिसकी किमत सबसे अधिक होती है उसे ही वह घर या खेत मिलता है और बैंक को अपना पैसा मिल जाता है । इस तरह से बैंक ने बोली लगा कर घर या खेत को बेचा था ‌‌‌और इसे घर या खेत नीलाम किया जा चुका है कहा जाता है । ठीक इसी तरह से अगर कुछ भी बोली लगा कर बेचा जाता है तो इसे नीलाम होना कहा जाता ‌‌‌है।

नीलाम होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

निलाम होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

  • नट्टूलाल की जमीन कल नीलाम हो गई थी ।
  • कर्जा समय पर न उतारने के कारण से महेश का घर कल नीलाम हो गया ।
  • किशोर बडा सातिर है जब उसे पता चला की उसका घर अब नीलाम होने वाला है तो उसने तुरन्त अपना कर्जा उतार दिया ।
  • महेश्वरी ने जब से कर्जा उठाया है तब उसे ‌‌‌कर्जा उतारने की फिकर खाई जा रही है क्योकी उसे पता है की कर्जा न देने कारण से उसका घर नीलाम हो जाएगा ।
  • सेठ से कर्जा लेने के कारण से और उसे सही समय पर वापस न देने के कारण से लालूचंद का घर नीलाम हो गया ।
  • पकोडारामजी की अगर उसके भाई ने पैसे देकर मदद न की होती तो आज उसका घर भी नीलाम हो जाता ।
  • ‌‌‌अपने ऐशो आराम के लिए उठाए बैंक से लोन के कारण से आज तुम्हारा घर नीलाम हो गया ।
  • ‌‌‌पेंशिल भाई के द्वारा लिए गए लोन को समय पर न भराने के कारण से बैंक ने उसका घर नीलाम कर दिया ।

‌‌‌नीलाम होना मुहावरे पर कहानी (‌‌‌हवेली की नीलामी)

दोस्तो प्राचीन समय की बात है किसी नगर में एक सेठ रहता था और उसका एक ही बेटा था ।सेठ बडा ही धनवान था जिसके कारण से उसने एक सानदार सी हवेली करा रखी थी जो देखने में उस राज्य के राजा ‌‌‌के महल से भी सुंदर लगती थी । मगर सेठ के इस तरह से धनवान ‌‌‌होने के कारण से राजा को बडा बूरा लगता था । क्योकी उस नगर में राजा को अधिक धनवान होना चाहिए था वहा अगर सेठ जैसे लोग धनवान होते है तो राजा का महत्व नही रहता है ।

मगर राजा बडा ही अच्छा आदमी था जिसके कारण से उसने सेठ को महत्व दिया और अपने बराबर समझता था । इस तरह से दोनो में काफी गहरी दोस्ती ‌‌‌थी । अगर राजा को किसी चिज की जरूरत पडती तो वह सेठ से पैसे ले लेता था और वही अगर सेठ को जरूरत पडती तो वह राजा से ले लेता था ।

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हालाकी सेठ के पास इतना अधिक धन था की उसे धन लेने की जरूरत नही पडती थी । मगर अन्य वस्तुओ का उपयोग करने के लिए वह राजा से कुछ न कुछ लेता ‌‌‌रहता था । ‌‌‌इसके साथ ही सेठ पैसो का बडा लालची था जिसके कारण से वह धन को कभी भी ज्यादा खर्च नही करता था ।

इसी आदद के कारण से वह राजा के बराबर बैठ पाता था । मगर सेठ का जो बेटा था जिसका नाम पैंसिल था । वह बडा ही आलशी था और वह सब कुछ घर बैठे ही चाहता था । ‌‌‌मगर यह सब सेठ को जरा भी पसंद नही आता था जिसके कारण से सेठ ने राजा से इस बारे में साहयता मागी ।

तब राजा ने एक योजना बनाई और सेठ को समझाया की तुम कुछ दिनो के लिए नगर से दूर चले जाओ । और पिछे से तुम्हारे बेटे का धन खत्म करते रहेगे और एक समय ऐसा आएगा की तुम्हारा बेटा मेरे से कर्जा ले लेगा और ‌‌‌वह समय पर उसे नही उतार पाएगा तो तुम्हारा घर निलाम कर देगे ।

यह सुन कर सेठ को जरा भी अच्छा नही लगा क्योकी उसके जीवित रहते हुए उसका ही घर नीलाम हो । मगर फिर से राजा के समझाने से वह समझ गया और उसे समझ में आ गया की यह एक नाटक होगा । तब सेठ ने राजा से कहा की मैं कही और नही बल्की आपके महल में ही ‌‌‌भेष बदल कर रहुगा और अपने बेटे के जीवन के बारे में जानता रहुगा । तब राजा ने कहा की ठिक है।

इस तरह से राजा और सेठ की योजना के तहत सेठ का राज्य से बाहर जाने का नाटक किया और वह महल मे भेष बदल कर रहने लगा । ‌‌‌तब सेठ देखता की उसका बेटा उसका धन ‌‌‌खुब उडाने लगा है । यह देख कर सेठ वापस जाना चाहा मगर राजा ने उसे रोक लिया और कहा की नही हम तुम्हारे बेटे को पूरा सूधार कर ही रहेगे और सेठ को रोक लिया ।

तब राजा ने अगले ही दिन सेठ के बेटे को बुलवाया और कहा की तुम्हे जो भी चाहिए वह मुझे से ले लेना तुम्हारा ‌‌‌पिता इस समय राज्य में नही है । वरना वह मुझसे ही सब कुछ लेता था । इस तरह से कहने पर सेठ के बेटे ने सोचा की पिताजी जब यहां से सब कुछ लेते है तो मैं भी ले लेता हूं ।

इसी तरह से फिर हर दिन सेठ का बेटा राजा से विभिन्न तरह के उत्पाद ‌‌‌लेता और ‌‌‌ऐशो अराम का जीवन बिताता । कुछ ही समय बिता था की राजा ‌‌‌ने सेठ से योजना बनाई और घर में डाका डलवाने का नाटक कर दिया और पैंसिल को अहसास दिला दिया की उसका सब कुछ चोरी हो गया है ।

जिसके कारण से पैंसिल बहुत ही डर गया क्योकी वह सोचने लगा की अगर पिताजी को इस बारे में पता चला तो मेरा क्या होगा । इसी सोच के कारण से वह राजा के पास मदद मागने के लिए आया ‌‌‌और कहा की मेरे घर में डाका पड गया है और सब कुछ चोरी हो गया है । यह सुन कर राजा ने कहा की ऐसा केसे हो सकता है । हमारे राज्य में डकेती ।

इसी के साथ राजा ने कहा की ऐसा तो कभी भी नही हो सकता है । क्योकी हमने तो ऐसा कभी नही सुना है । ‌‌‌इस तरह से राजा फिर कह रहा था की पैंसिल तुमने ही जरूर उन रूपयो को कही छिपाया होगा और अब डकेती का नाटक कर रहे हो । तुम्हारे पिता के आने के बाद में यह सब उन्हे बताना ।

यह सुन कर पैंसिल डर गया और उसने राजा से कहा की राजा साहब आप मेरी मदद करे और मुझे धन दे ताकी मैं अपने पिता के आने से पहले और ‌‌‌अधिक धन कमा सकु । तब राजा ने पैंसिल को कुछ धन दिया । मगर पैंसिल अपनी आदतो से बाज नही आया और वह उस धन को भी मोज मस्ती में उडाले लगा था । कुछ समय बित जाने पर मैंसिल ने अपनी हवेली राजा के यहां गिरवी रखी और खुब सारा धन ले लिया । ‌‌‌

और फिर इस धन को मोज मस्ती में उडाता था । यह देख कर सेठ को लग रहा था की उसका धन खर्च हो रहा है । मगर राजा ने उसे बताय की यह जहां धन देता है वह भी हमारा आदमी है । जिसके कारण से धन अधिक लेता है और इसे वस्तु कम देता है । ‌‌‌

एक माह हो गया मगर अभी तक राजा का कर्जा न तो उतरा था और न ही सेठ के आने के बारे में उसके बेटे के पास कोई सुचना थी । जिसके कारण से राजा ने पैंसिल को अपने पास बुलाया ओर कहा की अगर दो दिनो में मेरा धन मुझे नही मिला तो तुम्हारा घर नीलाम हो जाएगा ।

 यह सुन कर सेठ का बेटा पैंसिल बहुत डर गया क्योकी ‌‌‌घर निलाम हो गया तो उसका पिता उसे बहुत मारेगा । जिसके कारण से पैंसिल ने कहा की ठिक है राजा साहब दो दिनो के बाद में पैसे मिल जाएगे ।इस तरह से फिर पैंसिल पैसो के लिए अपने दोस्तो के पास चक्कर काटने लगा था ।

मगर उसे पैसे मिलने ‌‌‌का नाम नही ले रहा था । ‌‌‌इस तरह से दो दिन बित गए और तभी सेठ के बाहर जाने का समय आ गया था । जिसके कारण से सेठ अपने महल में गया तो बेटा बहुत ही आराम से सौ रहा था । तभी पिछे से राजा आया और उसके ही कुछ लोग आए । और आते ही सेठ से कहा की आपका घर निलाम हो रहा है ।

यह सुन कर सेठ चौंकने का नाटक करने लगा और पूछा की ऐसा कैसे ‌‌‌हो सकता है । तब राजा ने सेठ को पैंसिल की सारी करतुतो के बारे में बताया । जीसे सुन कर सेठ क्रोधित होन का नाटक करने लगा और अपने बेटे को खुब सजा देने लगा । इस तरह से फिर राजा ने हवेली के नीलाम करने की बॉली लगई और राजा का ही एक आदमी उसे खरीद चुका था यानि यह सब नाटक चल रहा था ।

‌‌‌नीलाम होना मुहावरे पर कहानी (‌‌‌हवेली की नीलामी)

मगर इस बारे में ‌‌‌पैंसिल को पता नही था । मगर तब सेठ ने राजा से कहा की महाराज मुझे यहां रहने दो मेरा बेटा आपका सारा कर्जा उतार देगा और वह आपके पास काम करेगा । तब राजा ने कहा की सेठजी आपकी बात को ध्याम में रखता हु और मैं आपको एक मोका और देता हूं ।

इस तरह से फिर सेठ ने अपने बेटे को राजा के पास भेज दिया और राजा वहां ‌‌‌उससे खुब काम करवाता था । इधर सेठ को अपना सब धन मिल चुका था मगर इस कार्य में उसका कुछ धन लगा भी था । मगर जैसी योजना थी वैसा ही हुआ और सेठ का बेटा समझदार बन गया और वह काम करने लगा था ।

मगर फिर भी इस बारे में सेठ और राजा ने उसके बेटे को पता नही चलने दिया । अब सेठ के बेटे को यही लग रहा था की उसने ‌‌‌मेहनत की जिसके कारण से ही नीलाम हो चुका घर उसे वापस मिल गया । इस तरह से फिर सेठ के बेटे को यह भी पता चला की कर्जा कभी नही लेना चाहिए और कभी भी बेवजह पैसे खर्च नही करने चाहिए ।

इस तरह से रही बात डकेती की तो इस बारे में उसे यह बता दिया गया की धन कही नही गया बल्की तीजोरी में सेठ रखता ही नही था । ‌‌‌इस तरह से इस कहानी में सेठ के बेटे के कारण से घर नीलाम होने की मुसीबत आ गई थी हालाकी यह एक नाटक था । इस तरह से कहानी पूरी होती है ।

नीलाम होना मुहावरे पर निबंध

साथियो जिस तरह से आपने उपर पढा की एक हवेली की बोली लगाई गई और उसे बिकने का नाटक किया गया था । और वही नीलाम होने की बात कही गई थी। ‌‌‌ठिक इसी तरह से वर्तमान में होता है और कर्जा लेने के कारण से ही यह सब नतीजा आता है ।

कर्जा समय पर नही चुकाने के कारण से घर नीलाम करते हुए अपना धन हासिल किया जाता है । पहले गावों मे यह सब गाव के धनवाल लोग करते थे और आज विभिन्न तरह की बैंके करने लगी है जो लोगो को लोन देती है और वह वापस नही ‌‌‌चुका पाने के कारण से उनका घर या खेत नीलाम कर दिया जाता है यानि बेच दिया था ।

यहां पर नीलाम का अर्थ घर की बॉली लगाते हुए किसी वस्तु के बिकने से होता है ।‌‌‌ इस तरह से आपने इस कहानी को अच्छी तरह से जाना है । और आप इस मुहावरे को बडी ही सरल तरीके से समझे है यह मैं आशा करता हूं ।

दोस्तो तो लेख कैसा लगा बताना ना भूले ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।