लहू /‌‌‌ खून सूखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

लहू /‌‌‌ खून सूखना मुहावरे का अर्थ lahu /‌‌‌ khoon sukhna muhavare ka arth – बहुत अधिक भयभीत होना ।

दोस्तो इस पृथ्वी पर ऐसा बहुत कुछ होता है जिसे देख कर मानव बहुत अधिक डर जाता है । जैसे एक शेर । क्योकी शेर जंगल का सबसे डरावना जानवर होता है जो की अपने शिकार को कभी छोडता नही है । और ऐसे जानवर को जब लोग ‌‌‌अपने सामने देखते है तो वे भी बहुत अधिक डर जाते है । और इस तरह से मानव जीन कारणो से भी बहुत अधिक डरता है या भयभित होता है तो उसे लहू /‌‌‌ खून सुखना कहा जाता है ।

लहू /‌‌‌ खून सूखना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग // lahu sukhna muhavare vakya mein prayog

  • रात के समय में शेर की दहाड़ सुन कर महेश का लहू /‌‌‌ खून सूख गया और वह भागने लगा ।
  • कल रात भूत को देख मेरा तो खून सूख गया ।
  • आतंकवादियो को देख कर एक सेनिक का लहू नही सूखना चाहिए ।
  • ‌‌‌भारत की सेना को देख कर दुश्मन का लहू /‌‌‌ खून सूखने लगा ।
  • जंगली पशुओ को देख कर मेरा तो लहू सूख गया ।
  • गुनेहगार को पुलिस ने लोगो के सामने गोली मार दी यह सब देख कर अन्य गुनेहगार का लहू सुखने लगा ।

‌‌‌लहू /‌‌‌ खून सूखना मुहावरे पर कहानी

दोस्तो कहते है की कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है । और आज कुछ इस तरह की कहानी के बारे में जानेगे । जिसमें एक चोर होता है और वह अपने शरह के सभी घरो में चोरी करता है । मगर अंत में उसके साथ भी बहुत बुरा हुआ और वह इस कारण से चोरी करने से भी डरता है ।

‌‌‌दरसल आज के 200 वर्षों पहले की बात है एक शहर हुआ करता था । वहां पर लोग जो थे वे निर्धन थे । उनके पास धन दोलत नही हुआ करती थी । और उस समय लोग धन को इतना अधिक महत्व नही देते थे । मगर अपना पेट भरने के लिए उस समय भी अन्न की जरूरत होती और पशुओ का भी उपयोग खुब हुआ करता था । और कहा भी जाता है की ‌‌‌आज के 200 वर्षों के बिच में लोगो के घर घर में पशु होते थे।

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और लोग इस अन्न और पशुओ को चुरा लेते थे । वैसे आज के 50 से 150 वर्षों के पहले हमारे दादा पड़दाओ के पास भी पशु में उंट होते थे । और वे बताया जाता है की पड़दाओ के पास उंट जो थे वे अक्सर चोरी हो जाते थे । जिसके कारण से उनके पैरो में लोहे ‌‌‌से बनी जंजीर डाली जाती थी । और इसी तरह से और अधिक पहले भी शायद ऐसा ही था । क्योकी इस कहानी के आधार पर कहा जाता है की लोग अपने पशुओ पर ताले बांधते थे । ताकी कोई उन्हे चुरा न ले ।

मगर चोर का क्या होता था वह चोरी करने से कभी पिछे हटा था जो आज हट पाता था । दरसल दोस्तो उस समय गांव में सभी के पास ‌‌‌अन्न और पशुओ की अधिकता रहती थी । उस गाव के पास बहुत सारे गाव हुआ करते थे । जीसमें से कुछ गाव ऐसे थे जहां पर चोर होते थे और उन चोरो ने आपस में मडली बना रखी थी और सभी गावो में चोरी करते रहते थे ।

इसी तरह से एक चोर और था जिसका नाम लालीचंद था । चौर लालीचंद के जीवन की एक बार की बात है उसे कुछ पैसो ‌‌‌की जरूरत हो गई और वह अपने भाई के घर से पैसे चुरा कर लेकर आ गया । और भाई को इस बारे में पता नही चला । बस इसी तरह से लालीचंद को जब भी जरूरत होती वह अपने भाई के पैसे चुराने लगा ।

मगर एक दिन लालीचंद के भाई ने देखा की उसके पैसे घर से गायब है । यह देख कर घर में बवाल खड़ा हो गया । मगर लालीचंद के बारे मे ‌‌‌उसके भाई को पता नही चला की लालीचंद चोर है । मगर फिर कभी भी लालीचंद ने अपने भाई के पैसे नही चुराए बल्की यह कहे की उसे ऐसा मोका तक नही मिला था ।

मगर इसका मतलब यह नही की लालीचंद पैसे चुराना छोडने लगा । बल्की वह अपने आस पास के लोगो के पैसे चुराने लगा । भला लोगो के पास कितना पैसा था जीससे लालीचंद ‌‌‌जैसे चोर का जीवन आसानी से चल पाता था । मगर जब लालचंद को ऐसा करते हुए 5 वर्ष बित गए तो उसे एक बार मालूम पड़ा की लोगो के पास अन्न की कोई कमी नही है और साथ ही पशुओ की संख्या काफी अधिक है ।

और इन दोनो की किमत काफी अधिक मिल सकती है । क्योकी अच्छे पशुओ को बेचा जा सकता है और अन्न को भी बेचा जा ‌‌‌सकता है । इस बात के बारे में लालीचंद को एक अन्य चोर से पता चला था । और फिर दोनो एक साथ मिल कर चोरी करने लगे थे । मगर दोनो ने यह एक दुसरे से वादा किया की वह कभी पकड़े जाते है तो मरते दम तक एक दूसरे का नाम नही लेगे ।

‌‌‌मगर मरने तक की नोबत नही आई । जब लालीचंद अपने साथी चोर के साथ मिल कर अन्न और पशुओ को चुराने लगा तो लोगो को कुछ समझ में नही आया । धिरे धिरे लालीचंद और अधिक तेज गति पकड़ने लगा और लोगो के पशुओ को तुरन्त चुरा कर भाग जाता था । जिसके कारण से आस पास के गावो में इस बात का पता चला की हमारे गाव के ‌‌‌आस पास चोर है जो की हमारे पशुओ को चुराते है। क्योकी लालीचंद ने अपने आस पास का गाव भी नही छोड़ा था । उसी गाव के पास हमारा गाव हुआ करता था । जहां पर हमारे लोग भी थे ।

 मगर यह कह सकते है की उनका जीवन अभी खत्म होने में लगभग 156 वर्ष हो गए है । और हम उन्हे जानते भी नही है बल्की यह बताया जाता है की ‌‌‌लालीचंद ने हमारे गाव में भी काफी आंतक मचा दिया था । क्योकी हमारे गाव के पशु भी चोरी हो जाते थे । जिसके कारण से लोग चोर का पता लगाने के लिए पेहरा देने लगे थे ।

यह सब देख कर लालीचंद और उसका साथी कुछ दिनो तक तो आराम से रहे मगर फिर से ऐसा करने लगे थे । जिसके कारण से लालीचंद को पकड़ना आसान नही ‌‌‌था । क्योकी उस समय लोगो को यह पता नही था की लालीचंद ही चोर है । मगर एक दिन की बात है लालीचंद अपने साथी चोर के साथ हमारे गाव में आया ।

 और हमारे गाव के एक सेठ के घर से दो चार बकरियो को चुरा कर भागने लगा था । मगर सेठ ने यह सब देख लिया और लोगो को आवाज लगा कर चोर को पड़ने के लिए पिछे लगा दिया ‌‌‌। कुछ दूरी तक तो लालीचंद और उसका साथी चोर लोगो से बच कर भागते रहे । मगर फिर साथी चोर बकरियो को छोड कर पास के जंगल में भाग गया और उसके पिछे पिछे लालीचंद भी जंगल में चला गया था ।

मगर उसने बकरियो को नही छोड़ा था । जिसके कारण से लोग उसका पिछा करते रहे थे । मगर कुछ दूरी जंगल में जाने पर लोगो ने ‌‌‌एक आवाज सुनी और उनका लहू /‌‌‌ खून सूख गया और वे सभी वापस गाव की तरफ भाग गए । यह सब देख कर लालीचंद और साथी चोर को कुछ समझ में नही आया था । मगर फिर लालीचंद ने कहा की हमे अब वापस नही जाना चाहिए वरना हम पकड़े जाएगे ।

मगर साथी चोर नही माना और कहा की आगे घना जंगल है वहा पर खतरा इससे भी बड़ा हो सकता है। तुम ‌‌‌बकरियो को छोड़ दो और एक सुरक्षित जंगह पर बैठ जाते है । मगर लालीचंद ने कहा की नही सुबह होते ही लोग वापस आ सकते है । इससे भला है की रात को ही जंगल को पार कर लिया जाए । मगर दोनो को एक दुसरे की बात नही जच रही थी ।

जिसके कारण से लालीचंद जंगल में आगे की और बढ़ता रहा और साथी चोर वही पर रूक गया था । ‌‌‌इस तरह से लालीचंद धिरे धिरे जंगल की और बढता हुआ बिच में जा पहुंचा था । तभी उसे एक शेर दिखाई दिया । जो की अभी सो रहा था । जिसके कारण से लालीचंद डरा मगर वह आगे बढता रहा ।

तभी बकरिया बोल पड़ी यह आवाज सुन कर शेर निंद से जाग गया और एक तेज दहाड़ मारी । जिसके कारण से लालीचंद का लहू /‌‌‌ खून सूख गया और वह ‌‌‌बकरियो को वही पर छोड कर अपना प्राण बचा कर भागने लगा था । तभी शेर ने भी लालीचंद पर झपटा मारने की कोशिश की मगर वह निकल गया और बकरियां शेर के चपेट में आ गई ।

जिसके कारण से शेर ने पहले बकरियो का अंत किया और फिर लालीचंद के पिछे भागा । यह देख कर लालीचंद ने पेंट में पैशाब कर दिया और हिलने लगा। ‌‌‌मगर इसी डर के कारण से वह रूका नही बल्की वह भागता रहा और किसी तरह से अपना प्राण बचाने में सफल भी हुआ ।

मगर तभी दिन उग गया और वह वापस उसी गाव में पहुंच गया जहां से बकरियो को चुराया था । और तभी उसे आगे गाव के लोग मिले थे । जिसने लालीचंद को पकड़ा और पूछा की बकरिया कहा है । मगर लालीचंद की हालत ‌‌‌यह थी की वह डर के मारे हिलने लगा था और छिपने का प्रयास कर रहा था । यह सब देख कर सेठ ने कहा की मुझे नही लगता की बकरिया अभी जीवित है ।

क्योकी लालीचंद चोर को देख कर लगा रहा है की शेर ने उनका खात्मा कर दिया और लालीचंद पर भी हमला करने का प्रयास किया था । मगर शेर के डर के कारण से इसका लहू /‌‌‌ खून सूख गया ‌‌‌और यह अभी इस हालत में है । मगर फिर लोगो ने सेठ से कहा की इसे फिर इसी जंगल में छोड़ना चाहिए । मगर तभी कुछ लोगो ने कहा की नही इसे यही इसी गाव में रहना चाहिए । क्योकी यह आगे से चोरी करने का ख्याल तक नही लाएगा । क्योकी यह दिन यह कभी नही भूल पाएगा ।

और ऐसा ही हुआ चोरी के ‌‌‌नाम पर लालीचंद का लहू /‌‌‌ खून ‌‌‌सूख जाता और वह छिपने लगा जाता था । इस तरह से फिर लालीचंद को गाव के लोगो के सामने पड़े रह कर अपना जीवन गुजारना पड़ा ।

इस तरह से शेर के कारण से लालीचंद जैसे चोर का लहू /‌‌‌ खून सूख गया था ।

लहू /‌‌‌ खून सूखना मुहावरे पर निबंध

‌‌‌साथियो मनुष्य में ही नही बल्की अन्य जानवरो में भी रक्त यानि खून का बहुत अधिक महत्व होता है । और इसी खून के कारण से वह जीवित बना रहता था । मगर जब खून की कमी आती है तो मनुष्य मर भी सकता है । और कुछ ऐसा ही खून जिसे लहू /‌‌‌ खून कहते है के सूखने के कारण से होता है । यानि लहू /‌‌‌ खून सूखने पर होता ‌‌‌है ।

मगर कहते है की जब मानव काफी अधिक डरता है या किसी से घबरा जाता है । तो उसके शरीर को ऐसा लगता है की उसका लहू /‌‌‌ खून सूख गया है और यही कारण है की इस मुहावरे का अर्थ बहुत अधिक घबराना या डरना होता है ।

आपने उपर दिए गए वाक्य में प्रयोगो को देखा है ठिक इसी तरह से इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । ‌‌‌वर्तमान में यह आम बात है की लोग इस मुहावरे का प्रयोग बोलचाल में भी करते है । मगर यह एक अध्ययन का भाग है जो की परिक्षाओ में पूछा जाता है । अत: यह विशेषकर विद्यार्थी के लिए काफी उपयोगी होता है और तभी उसे यह जान लेना चाहिए की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

मैं आसा करता हूं की आपको लेख पंसद जरूर ‌‌‌आया है ।

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