कान में भनक पड़ना मुहावरे का अर्थ

कान में भनक पड़ना मुहावरे का अर्थ kano me bhanak padna muhavare ka arth  — उड़ती हुई बात सुनना ।

दोस्तो कान शरीर का एक ऐसा अंग होता है जो की मानव के लिए काफी जरूरी है  क्योकी यह सुनने का काम करता है । तो जो भी कुछ सुनाई देता है वह इस कान के कारण से ही संभव है। ऐसे में अगर कान के द्वारा किसी ऐसी बात को सुन लिया जाता है जिसके सच होने या न होने का कोई प्रमाण नही है और वह बात केवल सुनाई दी है । तो इस तरह की बात को उड़ती हुई बात कहा जाता है । और इसे ही कान में भनक पड़ना कहते है ।

तो इस तरह से कान में भनक पड़ना मुहावरे का अर्थ उड़ती हुई बात सुनना होता है। और जहां पर उड़ती हुई बात सुनने की बात होती है वही पर इसका वाक्य में  प्रयोग होता है ।

कान में भनक पड़ना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || kano me bhanak padna use of idioms in sentences in Hindi

1.   अरे शर्मा जी मेरे कान में भनक पड़ी है की नंदकिशोर की छोरी किसी लड़के के साथ भाग गई है ।

2.   संतोष ने कहा बहन कंचन कल रात मेरे कान में भनक पड़ी है की चंद्रराव शहर में रह कर दो नम्बर का काम कर रहा है ।

3.   गाव के लोगो के कान में भनक पड़ रही है की राजेश को कल पुलिस ने जुर्म करते हुए पकड़ लिया ।

4.   कल रात कान में भनक पकड़ी की शर्मा जी का लड़का वीडीओ अधिकार के पेपर में चिटीग कर रहा था और पकड़ा गया  । अविनाश ने अपने दोस्त से कहा की मेरे कान में भनक पड़ी है की अध्यापक कल सभी को कुछ गिफ्ट देने वाले है ।

5.   मुकेश ने अपने भाई से कहा की मेर कान में भनक पड़ी है की गाव में किसी लड़के ने जहर खा लिया क्या बात सच है ।

6.   पंचलोगो ने कहा कान में भनक पड़ने वाली बातो पर विश्वास कभी नही करना चाहिए क्योकी वह असत्य भी हो सकती है ।

कान में भनक पड़ना मुहावरे पर कहानी || kano me bhanak padna story on idiom in Hindi

दोस्तो एक छोटा सा गाव हुआ करता था और वहां पर बहुत से लोग थे जो की आपस में एक दूसरे के करीब रहते थे । मगर गाव के लोगो ने एक नियम बना रखा था की जो भी कोई जुर्म करेगा उसका साथ पूरे गाव के लोगो में से कोई नही देगा  यहां तक की जुर्म करने वाले लोगो का साथ उसका भाई तक नही दे सकता है ।

मगर शुक्र है की उस गाव में किसी तरह का कोई जुर्म नही हुआ था । मगर इस नियम को बनाने का कारण था और वह यह था की बरसो पहले सेठ के बेटे ने जुर्म कर दिया और वह लोगो की मदद से बच गया था । मगर आगे ऐसा न हो इस कारण से यह नियम बना लिया गया ।

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अब उस गाव में जो भी लोग रहते थे वे हमेशा सत्य का साथ देते थे और जुर्म का साथ न तो देते थे और न ही किसी को देने देते थे । और यही कारण था की गाव के लोग दुर शहर में रहने के बाद भी जुर्म से बचे रह जाते थे ।

मगर कहते है की कोई न कोई ऐसा जरूर होता है जो की सभी से अलग होता है और इसी तरह से उस गाव में रहने वाले हरीदेव का बेटा राजेश था । दरशल राजेश जो था वह शहर के अंदर काम किया करता था उसने अपने गाव के लोगो को बताया था की वह कंपनी में काम करता है और दिन के करीब 400 रूपय हासिल कर लेता है ।

मगर राजेश की बात पर किसी को विश्वास तक नही होता था जब राजेश के घर को देखा जाता था क्योकी वह एक महल था जो की किसी राजा महाराजाओ से कम नही था । गाव मे ऐसा कोई भी घर नही था जो की राजेश के घर की बराबरी कर सके ।

मगर राजेश जो था उसके पास ऐसा घर ​था जिसके कारण से ही लोग यह मानने को तैयार थे की वह असल में कपनी में ही काम करता है । राजेश जो था वह शहर में पता नही क्या करता था जिसके कारण से वह महिने के अपने पिता को लाखो रूपय दे देता था और पिताजी से कहता की गाव को बताना की बेटे ने केवल महिने के 12000 रूपय ही भेजे है ।

हालाकी पिता के कहने से क्या होगा इतने पैसे मिलेगे तो किसी को पता कैसे नही चलेगा । बहुत से लोग थे जो की यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे की आखि राजेश शहर में काम क्या करता है मगर किसी को इस बारे मे पता नही चला ।

 मगर एक दिन की बात है अचानक से गाव के लोगो के कान में भनक पड़ने लगी की राजेश को पुलिस ने पकड़ लिया है और इसी खबर के कारण से बहुत से लोग आपसे में बात करने लगे थे की आखिर राजेश शहर में ऐसा क्या कर रहा है की उसे पकड़ लिया गया है ।

महिलाए भी किसी से कम नही थी वे भी आपस में बाते करती की पता नही राजेश ने क्या किया की उसे पुलिस ने पकड़ लिया । अब दुसरी महिना कहती की तुम्हे कैसे पता तो वह पहली महिला कहती की मेरे कान में भनक पडी थी और तभी दूसरी महिला कहती की वह कोई गलत काम कर रहा था । इसी तरह से गाव के लोगो में बात हो रही थी ।

गाव के जो पंच थे उनको अब पता चला की राजेश तो शहर में दो नम्बर का काम करता है और यह जान कर सभी हैरान रह गए । हालाकी गाव के लोगो को अभी तक तो पता नही था मगर पंच के पास सुचना आते ही गाव के लोगो के कानो भनक पड़ गई और सभी आपस में इस बारे में बात करने लगे थे ।

अब लोग कहने लगे की हरीदेव का बेटा राजेश शहर में दो नम्बर का काम करता हुआ पकड़ा गया और इसी तरह से सुचना राजेश के पिता के पास पहुंच गई और इसी बात को लेकर राजेश के पिता अपने पड़ोसी से झगड़ार करने लगे ।

तब पडोसी ने भी कहा की यह बात तो सभी को पता है और सभी ऐसा कह रहे है क्योकी मैंन बहुत से लोगो को बात करते हुए सुना था और मेरे कान में भनक पड़ी तो सत्य का पता लगाने के लिए आपसे बात कर ली । और ऐसा कह कर पड़ोसी अपने काम को करने लगा ।

अब गाव के सभी को पता था मगर किसी ने राजेश को पुलिस से छुटवाया नही और उसे करीब 6 साल की सजा हो गई । और इसके बाद में उसने अपना जीवन जेल में बिताया और 6 साल के बाद में ही छुट पाया था ।

तो स तरह से दोस्तो गलत का करने का नतीजा गलत ही होता है । दोस्तो कहानी में कान में भनक पड़ना के बारे में बताया गया है जिसका अर्थ होता है उड़ती हुइ बात सुनाई देना और आप यह समझ गए होगे । अगर कुछ पूछना है तो कमेंट कर देना ।

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