अंधे के हाथ बटेर लगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अंधे के हाथ बटेर लगना मुहावरे का अर्थ andhe ke hath bater lagna muhavare ka arth – अयोग्य व्यक्ति को अच्छी वस्तु का मिलना

दोस्तो जिस तरह से अंधे आदमी को जब बटेर मिल जाती है तो उसे समझ मे नही आता की मै इसका क्या करु । साथ ही वह अगर उसे अपने पास रख भी लेता है तो उसका कुछ ‌‌‌भी फायदा नही होगा । और देखने वाले भी उससे यह कहेगे की तुम्हे दिखाई तो वैसे भी नही देता है फिर भी तुम अपने हाथ मे बटेर लिए फिर रहे हो । उसी तरह से अगर किसी मुर्ख व्यक्ति के पास कोई गुणवान वस्तु आ जाती है तो वह भी उसे ऐसी ही समझेगा । इसी कारण से इस मुहावरे का प्रयोग उन लोगो के लिए ‌‌‌जो गुणवान वस्तु का महत्व नही जानते हो ।

अंधे के हाथ बटेर लगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अंधे के हाथ बटेर लगना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • महेश को लोगो ने बढा चढा कर सरपंच बना दिया पर वह तो उस पद के योग्य था ही नही इसे ही कहते है अंधे के हाथ बटेर लगना ।
  • अपने पिता की कंपनी होने के कारण राम उस कंपनी का मनेजर बन गया पर उसे काम कुछ भी नही ‌‌‌आता है यह तो वही बात हो गई अंधे के हाथ बटेर लगना ।
  • ‌‌‌अगर अंधे के हाथ बटेर लगेगा तो वह उसकी किमत नही समझेगा ।
  • तुम्हारे कहने पर इसे मै नोकरी दे रहा हूं वरना इससे तो कोई काम होता नही है इसे तो अंधे के हाथ बटेर लगना कहते है ।
  • अगर इस तरह से नोकरी मिलती है तो उसे अंधे के हाथ बटेर लगना कहते है ।
  • अपने दादा पडदादा की बनाई हुई इज्जत के कारण ही महेश को ‌‌‌नोकरी मिल ‌‌‌गई थी यह तो वही बात हुई अंधे के हाथ बटेर लगना ।

अंधे के हाथ बटेर लगना मुहावरे पर कहानी Idiom story

‌‌‌प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक आदमी रहता था जिसका एक ही बेटा था जिसका नाम उसने फूलाराम रख था । उसके पिता बहुत ही अमीर ‌‌‌थे इस कारण उन्होने फूलाराम को कभी भी किसी चिज की कमी महसुस नही होने दी थी । इसकी कारण से वह हर वह काम करता  था जो लोगो के केवल सपने ही रह जाते थे ।

उसके पिता ने उसे ‌‌‌पढने के लिए विधालय भी भेजा था पर वह वहां पांच वी कक्षा तक पढा था बादमे उसने पढाई छोढ दी थी । तब उसके पिता ने सोचा की अगर यह नही पढना चाहता है तो कोई बात नही क्योकी मेरा बेटा है इस कारण इसे पढाई लिखाई की क्या जरुरत है ।

वह आदमी इतना अमीर था की उसकी कई दुकाने भी चलती थी । और वही उन सभी ‌‌‌दूकानो को देखता था । जिसके कारण ही उसके घर मे पैसे आते रहते थे । फूलाराम का पिता लोगो से मिलकर चलता था और लोगो को जब भी किसी चिज की जरुरत होती तो ‌‌‌वह लोगो को दे देता था । इसी कारण से फूलाराम को लोग आदर देते थे ।

एक बार की बात है फूलाराम के पिता कही जा रहे थे की रास्ते मे जाते समय कुछ लूटेरो ने ‌‌‌उन्हे मार दिया था । जिसकी खबर जब फूलाराम के पास पहुंची तो वह बहुत ही दुखी हो गया था । फिर जैसे तैसे उसने अपने पिता के शरीर को अग्नि दी । तब फूलाराम 20 वर्ष का हो गया था ।

फूलाराम के पिता के मरने के कारण जो उनकी दूकाने थी वह घाटे मे चलने लगी थी । और जब फूलाराम ने ‌‌‌दूकानो के बारे मे नही सोचा तो वे ‌‌‌दूकाने ढूब बई थी । जिसके कारण फूलाराम के पास पैसे नही आते थे । वह इतना आलसी हो गया था की उसने अपनी दूकानो के बारे मे सोचा भी नही था ।

यही कारण था की उसकी दूकाने बंद हो गई थी । इस तरह से वह कब तक अपने घर मे पडा ‌‌‌रह सकता था । जब उसे भूख का अहसास होने लगा और घर मे खाना नही मिलता था । ‌‌‌तब उसने काम करने की सोची थी । फिर वह एक दिन काम मागने के लिए शहर चला गया था ।

उस समय लोग केवल उसे ही काम देते थे जो पढे लिखे थे । फूलाराम पढा तो था पर वह ‌‌‌5 वी तक पढा लिखा था इस कारण उसे नोकरी नही मिल पाई थी । धिरे धिरे समय बित गया और वह मजदूरी करने लगा था । तब एक दिन उससे एक आदमी मिला ‌‌‌जो उसके पिता का अच्छा दोस्त था । जब उसने उसे काम करते देखा तो उसने उससे कहा की तुम मेरे पास काम करने के लिए आ जाना ।

तब फूलाराम ने उस आदमी से कहा की मै तो पांचवी तक पढा लिखा हूं भला मुझे आप नोकरी क्यो देगे । तब उस आदमी ने फूलाराम से कहा की तुम्हारे पिता मेरे अच्छे दोस्त थे इस कारण से तुम्हे ‌‌‌नोकरी दुगा । और रही बात पढाई की तो वह तुम वहां पर सिख ही जाओगे । इस तरह से फूलाराम को नोकरी मिल गए थी ।

जब इस बारे मे गाव के लोगो को पता चला तो लोग आपस मे बात करने लगे की यह तो पांचवी तक पढा है और इसे नोकरी मिल गई । तभी दुसरा आदमी बोला की नही इस कारण से इसे नोकरी नही मिली है बल्की जिसने ‌‌‌इसे नोकरी दी है वह इसके पिता का दोस्त है ।

अंधे के हाथ बटेर लगना मुहावरे पर कहानी Idiom story

ऐसा सुनकर तिसरा बोला की इस तरह से नोकरी मिलने को तो अंधे के हाथ बटेर लगना कहते है । इस तरह से उसकी आफिस मे भी बात होने लगी थी की हम कितने पढे है और यह पांचवी पढा है फिर भी इसे बॉस ने नोकरी दे दी ।

तब उन्हे भी पता था की बॉस इसके पिता के दोस्त है ‌‌‌जिसके कारण वे भी समझ गए की इस तरह से नोकरी मिलने को तो अंधे के हाथ बटेर लगना कहते है इस तरह से आप समझ गए होगे की इस कहानी का अर्थ क्या है ।

अंधे के हाथ बटेर लगना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

साथियो जब किसी ऐसे व्यक्ति को काम मिल जाता है जो वह करना भी नही जानता हो या फिर वह काम उसकी तुलना मे बहुत मुल्यवान हो । कहने का अर्थ है की एक मुर्ख को ऐसा काम दे दिया जाता है जो उसके लयक भी नही है । तो इस तरह से काम मिलने या फिर अनमोल वस्तु का मिलना अंधे के हाथ बटेर लगना कहा ‌‌‌जाता है ।

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इस तरह के लोग इस संसार मे बहुत है जिनको आता तो कुछ भी नही है पर उनके पास काम लाखो का है । इस तरह के लोग आपको देखने को मिल जाएगे । और इसी तरह के लोगो के लिए इस इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

इस मुहावरे का सरल भाषा मे अर्थ यही है की अयोग्य व्यक्ति को मुलयवान वस्तु का मिलना । ‌‌‌जिस तरह से अंधे आदमी को बटेर मिल जाती है जो उसके कोई काम की नही है । इस तरह से आप भी समझ गए होगे की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

अंधे के हाथ बटेर लगना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of andhe ke hath bater lagna in Hindi

बटेर को वैसे एक पक्षी के रूप में जाना जाता है । मतलब एक पक्षी होता है जिसे बटेर कहा जाता है अगर यह पक्षी अंधे आदमी के पास होता है तो उसके लिए किस तरह से फायदेमंद होगी यह इस बारे में नही कहा जा सकता है ।

हालाकी दोस्तो आपको बता दे की बटेर की तरह ही जो टॉर्च होती है उसे भी बेंट्री कहा जाता है और हमारे अनुसार यह इसी को दर्शाता है ।

क्योकी आपको पता है की अंधा आदमी कुछ देख तो पाता नही है तो फिर अगर उसे टॉर्च दी जाए और वह रोशनी कर लेता है तो भी वह उसके लिए अयोग्य वस्तु होती है । अगर  इस आधार पर हम बात करते है तो आपको पता है की अंधे के हाथ बटेर लगना असल में अयोग्य व्यक्ति को अच्छी वस्तु का मिलने के समान होता है और इसी के आधार पर आप समझ सकते है की andhe ke hath bater lagna muhavare ka arth अयोग्य व्यक्ति को अच्छी वस्तु का मिलना होगा ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।