कलेजेपरपत्थररखनामुहावरेकाअर्थ kaleje par patthar rakhna muhavare ka arth – धैर्यधारणकरना।
दोस्तो जब किसी के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है तो उसके घर के लोगो को और उसके अपने को बहुत दुख होता है । जिसके कारण से उसके अपने बहुत विलाप करने लग जाते है । अरग इस बिच मे उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके अपने बहुत ही दुखी हो जाते है और उनकी चलने की भी इच्छा नही होती है । जिसके कारण अपनो को दफनाने या चिता को आग देने के लिए उनकी हिम्मत नही होती है। फिर भी वे अपने मन को रोक कर उनकी चिता को आंग देते है।
पर वे नही चाहते की हमारा अपना हम से दूर हो । इस तरह से उसने अपने मन को रोक कर अपनो के शरीर को आंग दी और उसे अपने आप से दुर किया । इस तरह से जब कोई अपना दूर जाने लग जाता है या फिर हमारे साथ कुछ बुरा होता है फिर भी हम उसे आसानी से सहने लग जाते है । चाहे फिर कोई कितना भी गलत करने लग जाए तो इस तरह से अपने मन को रोक कर जो अपने क्रोध या दुख को सहन करना ही कलेजे पर पत्थर रखना कहते है
class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">कलेजेपरपत्थररखनामुहावरेकावाक्यमेप्रयोग Use in sentence
अपनी बेटी की विदाई करते समय मां ने कलेजे पर पत्थर रख लिया था ।
बिचारे का बेटा मर जाने के कारण इसने कलेजे पर पत्थर रख कर उसे आंग दी ।
अभी अभी तो इसकी शादी हुई थी और अभी इसकी मृत्यु हो गई तो इसके पति ने कलेजे पर पत्थर रख कर उसे आंग दी ।
कलेजे पर पत्थर रखना तो कोई मां से सिखे जो अपने बेटे की खुशी के कारण उसे अपने से दूर जाने देती है ।
अपने इकलोते बेटे के मरने के कारण भी इसने कलेजे पर पत्थर रख रखा है ।
कलेजे पर पत्थर रख लो अगर तुम भी इस तरह से रोओगी तो तुम्हारे बेटो का क्या होगा ।
कलेजेपरपत्थररखना मुहावरे पर कहानी Idiom story
एक समय की बात है किसी नगर मे सरोज मान की एक औरत रहती थी । उसकी सादी हो गई थी इस कारण वह अपने पति के साथ ही रहती थी । उसका पति इतना अमीर नही था फिर भी वह उसे कभी भी खाली पेट नही सोने देता था । इस तरह से उन दोनो का जीवन बडी खुशी के साथ चल था । उसका पति गाव के लोगो मे एक अच्छा आदमी था । इस कारण से लोग भी उन्हे मानते थे ।
जिसके कारण गाव के लोगो से उसकी जितनी मदद हो जाती थी वह कर देते थे । क्योकी जब भी गाव के लोग सरोज के पति से कोई मदद मागते तो वह भी लोगो की मदद कर देता था। यहां तक की वह अपना काम बिच मे छोड कर लोगो की मदद करता था ।
धिरे धिरे समय बितता गया और उसके घर मे दो नन्हे मुन्हे बेटो का जन्म हो गया था । जिसके कारण से वह बहुत ही खुश थी । इस तरह से अपने परिवार के साथ वे दोनो पति पत्नी आराम से अपना जीवन गुजार लेते थे । एक बार की बात है गाव के लोगो को सरोज के पति से कोई काम था । इस कारण गाव के लोग उसे बुलाने के लिए उसके घर आए थे ।
घर आने पर लोगो को पता चला की वह काम करने के लिए शहर गया है । इस कारण से गाव के लोगो ने सरोज से कहा की जब वे आ जाए तो उसे यह बाता देता की गाव के लोग उसके पास आए थे । इतना कह कर वे सभी वहां से चले गए थे ।
एक दिन बित गया था फिर भी सरोज का पति उसके घर नही आया इस कारण से वह विलाप कर कर अपने आस पास के लोगो को अपने घर इखट्ठा लिया था । जब लोग उसके घर आए तो उन्हे पता चला की सरोज का पति अभी भी अपने घर नही आया है । उसे घर से गए हुए एक दिन हो गया है ।
तब लोग ने उसे समझाया की सरोज तुम अगर इस तरह से विलाप करोगी तो तुम्हारे बेटो का क्या होगा जरा कलेजे पर पत्थर रख लो । और रही बात तुम्हारे पति की वह तुम्हारे पास आ जाएगा । जरुर तुम्हारे पति को कोई काम हो गया होगा वरना वह तो कभी भी इतनी देर कही नही रुकता है ।
इस तरह से गाव के लोगो ने उसे कह कर चुप करवा दिया था । जब उसके पति को घर आए हुए तिन चार दिन बित गए तो लोगो को भी लगा की जरुर कुछ बात है । इस कारण से लोग सरोज से कह कर शहर गए की हम तुम्हारे पति को लेकर आते है ।
जब गाव के लोग शहर गए तो वहां पर उन्हे पता चला की सरोज के पति का एक्सीडेंट हो गया है इस कारण वे इस दुनिया ने नही रहे है । यह जाकर लोगो को बहुत दुख पहुंचा । फिर लोग उसके शव को लेकर अपने गाव पहुंच गए थे ।
जब वे लोग गाव पहुंचे लो सरोज को पता चल गया की मेरे पति इस दुनिया मे नही रहे है । इस कारण वह जोर जोर से विलाप करने लगी थी । उसके इस तरह से विलाप करने के कारण उसके बेटे बहुत डर गए थे । क्योकी वे बहुत छोटे थे इस कारण से उन्हे कुछ भी नही पता था ।
जब उसके बेटे विलाप करने लगे तो लोगो ने सरोज को समझाया जिसके कारण सरोज ने अपने कलेजे पर पत्थर रख लिया और सोचा की अगर मे इस तरह से रहुंगी तो मेरे बेटो का क्या होगा । इस तरह से सोचकर उसने अपने पति के बारे मे कम सोचा और अपने बेटो का ध्यान रखने लगी थी ।
इस तरह से सरोज ने अपने कलेजे पर पत्थर रख लिया था और अपने बेटो को बडा किया था । जब उसके बेटे बडे हो गए तो सरोज का वे दोनो सहारा बन गए थे । इस से आप समझ गए होगे की इस कहानी का अर्थ क्या है ।
कलेजेपरपत्थररखनामुहावरेपरनिबंध Essay on idiom
दोस्तो जिस तरह से कलेजे पर पत्थर रख लेने से हमे अपने आप को सम्भालने मे सहायता होती है । उसी तरह से जब हमारे साथ कुछ बुरा हो जाता है । जिसके कारण से हम बार बार उसी चिज के बारे मे सोचते रहते है और कभी कभी तो हम अपने आप को भी नुकसान पहुंचाने के बारे मे सोचने लग जाते है ।
इस तरह से उस समय अगर हमने अपने आप पर नियंत्रण रख लिया और जो हमारे साथ है उनके बारे मे सोचने लग जाते है तो इस तरह की स्थिती को कलेजे पर पत्थर रखना कहते है । इस तरह की स्थिती मे हमे दुख तो फिर भी होता है पर हम हमारे दुखो को कम कर लेते है ।
और अपनो के बारे मे सोचने लग जाते है की अगर हमे कुछ हो गया तो इनका क्या होगा । इस तहर से आप समझ गए होगे की कलेजे पर पत्थर रखना किसे कहते है ।
कलेजे पर पत्थर रखना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of kaleje par patthar rakhna in Hindi
दोस्तो अगर इस लेख को सही तरह से पढा है तो आपको पता है की kaleje par patthar rakhna एक मुहावरा है और इसका अर्थ उस स्थिति को दर्शाता है जब मानव धैर्य धारण किया हुआ रहता है ।
जैसे की आपको पता है की अगर किसी को काफी गुस्सा आता है मगर फिर भी वह धैर्य बनाए रखता है इसके अलावा अगर किसी के साथ बुरा हो जाता है और फिर भी वह धैर्य धारण किया हुआ रहता है तो उस समय kaleje par patthar rakhna कहा जाता है ।
अगर लेख में दी गई जानकारी को ध्यान से पढी गई है तो आपको यह जरूर पता है की kaleje par patthar rakhna muhavare ka arth – धैर्य धारण करना होता है।
मेरा नाम मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।