तैश में आना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग (taish me aana muhavare ka arth)

तैश में आना मुहावरे का अर्थ taish me aana muhavare ka arth – ‌‌‌क्रोधित हो जाना ।

दोस्तो आज संसार भर में मनुष्य को अनेक तरह की स्थितियो से गुजरना पड़ता है । और इन सभी स्थितियों मे से एक स्थिती यह होती है जब मनुष्य गुस्सा हो जाता है । और इस तरह से गुस्सा हो जाने को क्रोधित होना कहा जाता है । इस तरह से जब मनुष्य किसी भी कारण से क्रोधित हो जाता ‌‌‌है तो इसे तैश में आना कहा जाता है ।

क्योकी तैश में आना मुहावरे में प्रयोग होने वाला तैश शब्द का अर्थ क्रोध से होता है । और इस तरह से फिर क्रोध में आ जाना कहा जा सकता है जिसे आसान भाषा में क्रोधित हो जाना कहते है ।

‌‌‌तैश में आना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग (taish me aana use of idioms in sentences)

  • बैजुबान कुत्ते पर अत्याचार देख कर राम तैश में आ गया ।
  • अपने पिता के बारे में बुरा भला सुन कर किसन तैश में आ गया और लोगो को खुब पीटा  ।
  • जब महेश के मुंह से हजारी ने अपशब्द सुने तो हजारी तैश में आ गया और महेश को मारने लगा  ।
  • अपने बेटे के अनाप सनाप बकने पर ‌‌‌किशोर तैश में आ गया और अपने बेटे को मारने लगा ।
  • रिशाल के सामने कुछ भी गलत मत बोलना क्योकी वह छोटी छोटी बातो को सुन कर तैश में आ जाता है ।

‌‌‌तैश में आना मुहावरे पर कहानी

एक बार की बात है सरीता नामक एक लड़की हुआ करती थी । जो बहुत ही प्यारी और समझदार थी । वह अपने से दूसरो को भी अपने समान समझती थी और किसी के साथ बदतमीजी नही करती थी । यहां तक की अपने से छोटे लोगो से भी बडी आदर सत्कार से बात करती थी ।

उसकी यही खासियत सभी लोगो को पसंद ‌‌‌आती थी । जब सरिता स्कुल में थी तो उसके व्यवाहर के बारे में अध्यापक बहुत ही तारिफ करते थे । और सरिता की बढ़ चढ़ कर बाते होती रहती थी । यही नतिजा था की सरिता किसी को आदर देना नही छोड पाई थी ।

‌‌‌सरिता अपने साथियो के साथ भी इसी तरह से रहती थी । अगर अपने दोस्तो को किसी चिज की जरूरत होती तो सरिता उन्हे देकर अपने दोस्तो की मदद कर देती थी। और यही कारण था की सरिता का स्कुल में सभी बच्चे दोस्त थे ।

मगर जब सरिता बड़ी हुई तो वह अपने इन्ही दोस्तो से दूर होती गई । क्योकी सरिता के बडे ‌‌‌होने के कारण से सभी दोस्त एक दूसरे से दूर होते गए । क्योकी सभी अपने भविष्य को लेकर ‌‌‌चिंतित थे । इसी तरह से सरिता भी बहुत ‌‌‌चिंतित थी । और अपना एक अच्छा भविष्य बनाना चाहती थी ।

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जिसके लिए उसने जम कर तैयारी करनी शुरू कर दी थी । सरिता ने अपने जीवन में जीतने भी दोस्त बनाए थे उनसे ‌‌‌सभी से कई गुणा ‌‌‌अधिक तैयारी की और उन सभी से पहले जॉब भी लग गई थी । सरिता की जीस कार्यालय में जॉब लगी थी वह बैंक का कार्यालय था ।

जिसके कारण से सरिता दिन रात काम करती और उच्ची पॉस्ट को पाने के लिए और अधित तैयारी कर रही थी । एक वर्ष बित जाने के बाद में सरिता की इस तैयारी का असर भी सभी को देखने को मिल ‌‌‌गया । क्योकी वह अब बैंक में केसियर का काम करने लगी थी ।

मगर सरिता खुश नही थी बल्की वह चाहती थी की वह बैंक की मनेजर बन जाए । मगर यह आसान नही था । जिसके कारण से सरिता इसी काम में लगी रही और तैयारी करती रही । बैंक में कार्यालय करने वाले सभी लोगो को सरिता का स्वभाव अच्छा लगता था । क्योकी ‌‌‌वह सभी को आदर देती और सभी को अपना समझ कर मदद भी कर देती थी ।

यहां तक की बैंक में जो खाताधारक आते थे उनकी भी अच्छी तरह से साहयात करती थी । और उन्हे सही नियम के अनुसार ऋण भी देती थी । जिसके कारण से बैंक के खाताधारक बहुत ही खुश थे और बैंक में रोज अधिक से अधिक नए नए खाते खुलने लगे थे । ‌‌‌

यह सब कैवल सरिता के कारण हो रहा था यह सभी को मालूम था । इस तरह से सरिता को वहां पर कार्यालय में काम करते हुए कुल 4 वर्षं बित गए । तभी एक दिन वहां पर एक अधिकारी आया । जिसकी पोस्टिंग अभी अभी उस बैंक में हुई थी । वह बैंक का नया मैनेजर था ।

जीसके आते ही बैंक में सारे नियम बदल गए और सभी को जम कर ‌‌‌और बिना बात करते हुए काम करने को कहा गया । यहां तक की कब क्या करना है उसके बारे में भी बैंक मनेजर ने सभी को बता दिया था । बैंक मनेजर बडा खडुस था जिसके कारण से वह किसी को भी दया भाव नही दिखाता था और जवान से लेकर वृद्ध लोगो के लिए एक ही लाईन लगाने लगा और सभी को लाईन के अनुसार ऋण दिलाने लगा ‌‌‌था ।

जो लोग लाईन में नही लगते थे उन्हे ऋण नही दिया जाता था । मगर इस सब का प्रभाव वृद्ध लोगो पर देखने को मिलने लगा था । क्योकी वृद्ध लोग लाईन में अधिक देर तक नही खडे रह सकते थे । और बिना लाईन में लगे उन्हे पैसे नही दिया जाता था ।

अगर सरिता कभी उन लोगो की मदद करना भी चाहती तो नही कर पा ‌‌‌रही थी । मगर एक दिन ऐसी घटना ‌‌‌देखने को मिली जिसने सभी को हैरान कर दिया था । दरसल उस दिन सरिता परेशान थी और जैसे ही बैंक में आई तो उसे बहुत से लोग देखने को मिले जो की कैश लेने के लिए आए थे ।

उनमें से बहुत से लोग वृद्ध थे । क्योकी बैंक मनेजर का नियम था जिसके कारण से सभी को नियम के अनुसार ‌‌‌पैसे देने की प्रक्रिया सरिता ने शुरू कर दी थी । उस दिन लाईन काफी अधिक लंबी थी जिसके कारण से लाईन में लगे बहुत से वृद्ध लोग थक हार कर बैठने लगे थे ।

 तभी सरिता की नजर एक औरत पर पडी जो की गर्भवती थी और वह लाईन में लगी थी । उसके साथ और कोई नही था । यह देख कर सरिता ने उसकी मदद करने की सोची ‌‌‌और उसे पहले पैसे देने के लिए आगे बुलवा लिया । मगर तभी बैंक मनेजर आ गया और उसने यह सब देख लिया तो वह सरिता को खुब सुनाने लगा था ।

यह सुन कर सरिता चुप हो गई और नियम के अनुसार कार्य करने लगी थी । इस बात को आधा घंटा ही बिता था की वह औरत (जो गर्भवती थी) जमीन पर गिर पड़ी । यह सब देख कर लोग हैरान ‌‌‌हो गए थे । तभी बैंक मनेजर वहां पर आ गया ।

यह सब सरिता देख रही थी जिसके कारण से सरिता तैश में आ गई और उसने जम कर वहां खडे लोगो के सामने अपने बैंक मनेजर को काफी कुछ सुना दिया था । ‌‌‌यह सब बैंक में काम करने वाले अन्य लोग भी देख रहे थे और उनके मुंह से कुछ नही निकल रहा था ।

क्योकी जो औरत हमेशा ही सरल स्वभाव की होती थी वह इस घटना के कारण से तैश में आ जाती है । मगर सरिता जो कुछ कह रही थी वह सभी को सही लगा । क्योकी वह कह रही थी गर्भवती महिला को पहले पैसे देने चाहिए क्योकी ‌‌‌उसके पेट में बच्चा है ।

अगर इस तरह से किसी महिला के साथ घटना हो जाती है और उसे नुकसान सहना पड़ जाता है तो इसका जीमेदार कोन होता है । इस तरह से बॉस को काफी कुछ सुनना पड़ गया था । जिसके कारण से बैंक मनेजर ने उसी दिन सरिता को बैंक से निकाल दिया । और सही तरह से काम न करने का ‌‌‌कारण रख दिया ‌‌‌था ।

मगर यह सब सरिता देख कर जरा भी दुखी नही हुई । बल्की खुशी खुशी काम से चली गई थी । इस बात को एक वर्ष बिता था तभी उसी बैंक में व उसी बैंक मनेजर के सामने उसका एक नया बॉस आ गया था और वह और कोई नही बल्की सरिता ही थी ।

वहां काम करने वाले लोग और बैंक मनेजर यह सब देख कर हैरान थे । क्योकी उन्होने ‌‌‌सरिता को पहचान लिया था । तब सरिता ने उसी बैंक मनेजर के सामने उसके नियमो का खात्मा कर दिया और सही तरह से काम करने को कहा । साथ ही दया भाव रखने को भी कहा । अब बैचार बैंक मनेजर क्या करे उसे अपने बॉस की बात माननी ही पड़ी और सरिता के अनुसार ही काम में करना पड़ता था ।

इस तरह से सरिता गर्भवती ‌‌‌महिला की हालत देख कर तैश में आ गई थी । जो की एक मुहावरा था यानि तैश में आना । जिसका अर्थ आप समझ गए होगे ।

‌‌‌तैश में आना मुहावरे पर निबंध

‌‌‌मनुष्य के जीवन में अनेक तरह की क्रिया होती रहती है । जिसमें मनुष्य का अलग अलग भाव होता है और वह स्वयं भी अलग अलग तरह की क्रिया प्रदर्शीत करता है । जिस तरह से जब मनुष्य किसी ऐसे शब्दो को सुन लेता है जो उसके लिए या उसके परिवार के लिए अपशब्द होते है तो वह यह सुन कर घुस्सा करता है ‌‌‌। इसी तरह से अनेक ऐसे कारण है जब मनुष्य घुस्सा करता है । और इस तरह से किसी भी कारण से घुस्सा करने को ही तैश में आना कहा जाता है ।

क्योकी हमने उपर सरिता के जीवन के बारे में कुछ जाना । जब सरिता एक गर्भवती महिला को जमीन पर गिरते हुए देखती है तो वह घुस्से में आ जाती है और अपने ही बॉस से ‌‌‌लड़ने लग जाती है । मगर यहा पर घुस्से शब्द का प्रयोग न होते हुए तैश में आना शब्द का प्रयोग हुआ है । जिस्से समझ मे आता है की तैश में आना मुहावरे का ‌‌‌अर्थ घुस्सा होना या क्रोधित हो जाना होता है ।

अत: जहां पर घुस्सा होना या क्रोधित होने की बात होती है वही इस मुहावरे का प्रयोग होता है ।

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