सिर ऊँचा करना का मतलब और मुहावरे का वाक्य में प्रयोग व कहानी

सिर ऊँचा करना मुहावरे का अर्थ sir uncha karna muhavare ka arth – आबरू या आन बान बढ जाना

दोस्तो मनुष्य का जो सिर होता वह इज्जत का प्रतिक होता है । क्योकी जहां पर किसी मनुष्य की इज्जत होती है वहा उसका सिर ऊँचा रहता है और जहां पर उसका सम्मान या आबरू नही होता ‌‌‌है वहा स्वयं ही सिर झुकने लगता है । इसी तरह से जब किसी कारण से किसी व्यक्ति को इज्जत, सम्मान, आबरू ‌‌‌या आन बान ‌‌‌किसी कारण से बढ जाती है वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग करते हुए कहा जाता है की इसका तो सिर ऊँचा हो गया ।

‌‌‌सिर ऊँचा होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग sir uncha hona muhavare ka vakya me prayog

  • ‌‌‌महेश के भरे बाजार मे दुखीयारी की मदत करने के कारण से ‌‌‌महेश का सिर उचा हो गया ।
  • कंचन ने ऑलंपिक मे गोल्ड मेडल जीत कर अपने माता पिता का सिर ऊँचा कर दिया ।
  • महेशवरी दिखने मे ही कमजोर है परन्तु इसने कई बार गोल्ड मेडल जीते है ‌‌‌जिससे उसने भारतिय लोगो का सिर उचा किया है ।
  • अगर तुम इस बार कलेक्टर बन जाओगे तो तुम्हारे पिता का सिर ऊँचा हो जाएगा ।
  • बेटे के कार्यो के बारे मे जानने के बाद महेश का सिर ऊँचा हो गया ।
  • जब लालूयादव को पता चला की उसके बेटे ने अकेले ही आतकी को मार भगया है तो खुशी के मारे लालूयादव का सिर ऊँचा हो गया ।
  • ‌‌‌कोरोना के संकट मे कुछ लोगो ने पडितो की मदत कर कर अपने माता पिता का सिर ऊँचा कर दिया ।
  • हजारी तुमने तो आज लोगो की जान बचा कर अपने माता पिता का सिर उच्चा कर दिया ।

‌‌‌सिर ऊँचा करना मुहावरे पर कहानी sir uncha karna muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर में एक सेठ रहा करता था । सेठ का एक ही बेटा था जो दिखने मे ऐसा वैसा ही लगता था । ‌‌‌सेठ के बेटे का नाम महेश था । साथ ही सेठ का बेटा ऐसे ही अपने गाव मे फिरता रहता था । क्योकी सेठ ने उसे बहुत पढाया लिखाया था जिसके कारण से सेठ को यह देख कर बहुत बुरा लगता की उसका ‌‌‌बेटा इतना पढने के बाद भी ऐसे ही गलियो मे फिर रहा है ।

सेठ ने उससे कभी इस बारे मे कहा नही । मगर एक दिन सेठ का अपने बेटे के साथ किसी बात को लेकर झगडा हो गया और वह अपने बेटे को कहने लगा की तुम तो अपने जीवन मे मेरे लिए कुछ नही कर पाओगे । अपने पिता से ऐसी बात सुन कर सेठ का बेटा दुखी हो गया ।

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तब महेश ने ठान लिया की अब वह इस गाव मे भी नही रहेगा बलकी शहर जाकर कुछ ऐसा करेगा की लोग मेरा बहुत सम्मान करे । इस तरह से सोच कर महेश अगले ही दिन अपने पिता को बता कर शहर चला गया ।

तब उसके पिता ने कहा की तुम शहर जाकर क्या तिर मार लोगे वहा भी ऐसे ही गलियो मे फिरते ‌‌‌रहोगे । क्योकी सेठ को कल वाले झगडे का घुस्सा था जिसके कारण से ही उन्होने ऐसा कहा । मगर महेश समझ गया की ये घुस्से मे ऐसा कह रहे है इस कारण से उसने उनकी बात पर गोर नही किया और शहर चला गया ।

शहर जानते ही महेश ने एक बहुत ही अच्छा काम देखना चाहा जिसको करने पर उसकी इज्जत बढ जाए । इस तरह ‌‌‌सोच के कारण से एक दिन महेश को पता चला की अगर वह पुलिस मे नोकरी करेगा तो उसका बहुत अच्छा सम्मान होगा, साथ ही वह लोगो की ‌‌‌सभी समस्या को सुलझा पाएगा । इस कारण से अगले ही दिन महेश ने सब इंस्पेक्टर की तैयारी करनी शुरू कर दी थी ।

तैयारी करते करते महेश शहर के लोगो के साथ बातचीत करता और जिन लोगो को ‌‌‌किसी मदत की जरूरत होती तो वह उनकी मदत भी कर दिया करता था । जिसके कारण से शहर के लगभग लोग उसे जानने लगे थे । इसी तरह से मदत करते हुए महेश ने तैयारी जारी रखी ।

 क्योकी उस समय नोकरी कम ही लोग लगना चाहते थे जिसके कारण से महेश को आसानी से नोकरी मिल गई । अब नोकरी लग ‌‌‌जाने पर महेश ने इस बारे मे अपने पिता को नही बताया बल्की वह अपना काम करने लगा था ।

इस तरह से महेश को अपने गाव से दूर हुए पूरा एक वर्ष बित गया और अब सेठ सोचने लगा था की उसका बेटा न जाने कहा है और क्या कर रहा है ।

इस तरह से सेठ सोच सोच कर दूखी हो रहा था । और उधर महेश शहर से जुर्म का नास करने लगा ‌‌‌ । साथ ही लोगो की सेवा करने के लिए वह दिन रात एक कर देता था । जिसके कारण से महेश को शहर का बच्चा बच्चा जानने लगा था ।

जिसके कारण से लोगो को उसके पिता के बारे मे भी पता चला । क्योकी महेश के पास जो पैसे आते थे उनसे वह अपना ‌‌‌ ‌‌‌पेट भर लेता और बाकी के पैसो को शहर के लोगो की सेवा करने मे नष्ट करता था ।

जिसके कारण से हर कोई यह जानना चाहता था की आखिर महेश के पिता का नाम क्या है । जिससे महेश ने अपने पिता का नाम भी शहर के लोगो को बता दिया था । यहां तक की महेश को शहर के लोग अपने घर का ही सदस्य माना करते थे । ‌‌‌

इसी तरह से एक बार की बात है कुछ चोर चोरी करने के लिए उसी शहर की बैंक मे घुस गए थे । उस समय वे चोर 6 थे । तभी किसी ने महेश को इस बारे मे सुचना पहुंचा दी । जिसके कारण से महेश तुरन्त वहां आ गया और उन चोरो को अपने आप को पुलिस के हवाले करने को कहने लगा ।

मगर चोर अपनी चालाकी दिखाने लगे थे यानि 3 चोरो ने बैंक मे से 3 छोटे बच्चो को उठा लिया और उनकी गर्दन पर छुरा रख दिया । और पुलिस को कहा की अगर वै यहां से नही गए तो बच्चो को मार दिया जाएगा ।

यह देख कर महेश को लगा की पैसो से ज्यादा किमती बच्चे है। जिसके कारण से महेश वहा से चला गया । धिरे धिरे चोर भी उन बच्चो को अपने साथ लेकर ‌‌‌चले जा रहे थे और शहर से जैसे ही निकलने लगे तो उन्होने दोनो बच्चो को एक दुकान पर छोड दिया । तभी महेश उन चोरो की कार से बाहर निकला ।

यह देख कर चोर हैरान हो गए । मगर महेश ने अचानक चोरो पर वार करना शुरू कर दिया । जिसके कारण से जो चोर गाडी चला रहा था वह बेहोस हो गया । जिससे गाडी इधर उधर जाने ‌‌‌जाने लगी । यह देख कर सभी चोर गाडी से कुद गए ।

 जिसके बाद मे महेश ने गाडी पर किसी तरह से कंट्रोल पाया और उसी गाडी मे उन चोरो को पकड कर जैल ‌‌‌में डाल दिया । साथ ही ‌‌‌बैंक का पैसा ‌‌‌बैंक को वापस दे दिया । इस बात की खबर आस पास के लोगो मे फैलते देर नही लगी ।

जिसके कारण से महेश के अधिकारीयो ने भी उसकी बहादु‌‌‌री के लिए मेडल प्रदान किया गया । ‌‌‌जिसके कारण से अधिकारियों के सामने महेश का सिर उचा हो गया । इसी तरह से ‌‌‌महेश को शहर मे रहते हुए पूरे दो वर्ष बित गए मगर उसने अभी तक अपने घर जाने के बारे मे नही सोचा । ‌‌‌जिससे उधर सेठ दुखी होने लगा की आखिर उसका बेटा उसके पास क्यो नही आ रहा है ।

जिससे सेठ को लगा की अगर मैं ही उसके पास चला जाता हूं तो अच्छा रहेगा । मगर सेठ को पता नही था की उसका बेटा शहर मे रहता कहा है । फिर भी वह अपने बेटे से मिलने के लिए शहर चला गया । जब सेठ शहर पहुंचा तो उसे पता चला यहां ‌‌‌पर महेश की बहुत तारीफ हो रही है ।

तभी उसे कुछ लोग बात करते नजर आए की महेश ने अपने पिता का सिर ऊँचा कर दिया है । आखिर जब बार बार महेश का नाम सुनने को मिला तो सेठ भी उसके बोर मे जानना चाहा । क्योकी सेठ को लगा नही था की जिसकी लोग बात कर रहे है वह उसका बेटा ही है। मगर जब सेठ ने जाच पडताल की तो ‌‌‌उसे पता चला की ‌‌‌शहर के लोग उसके बेटे की ही बात कर रहे है ।

जिससे फिर सेठ अपने बेटे के पास आसानी से चला गया और पास जाकर कहा की बेटा मैंने तुम्हे जरा सा डाट क्या दिया तुम नाराज हो गए । यह सुन कर महेश ने कहा की पिताजी यह बात नही है । तब सेठ ने कहा की तुम नोकरी लग गए हो और मुझे बताया भी नही साथ ही कहा की दो वर्ष बित ‌‌‌गए तुम मेरे पास तक नही आए ।

मगर आखिर मे सेठ ने कहा की तुमने जो काम किए है उससे मेरा सिर ऊँचा कर दिया । यह सुन कर महेश बहुत खुश हुआ । उस दिन के बाद मे महेश दो वर्षो के बाद अपने गाव गया । और फिर धीरे धिरे गाव के लोगो को भी पता चल गया की महेश ने शहर को जुर्म से मुक्त कर कर अपने पिता का सिर ऊँचा कर दिया ।

इस तरह से फिर महेश अपना कार्य करता रहा जिसे देख कर सेठ को बडा ही अच्छा लगता था । इस तरह से इस कहानी से आपको समझ मे आया होगा की सिर ऊँचा करना मुहावरे का अर्थ सम्मान बढा देना या आबरू बढा देना होता है ।

सिर ऊँचा करना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of sir uncha karna  in Hindi

आज के समय में अगर कोई व्यक्ति अपना जीवन जीता है तो वह एक चिज की हमेशा आस रखता है की उसका मान सम्मान हमेशा बना रहे और कम न होने की बजाए यह बढता ही जाए और यह सभी इच्छा रखते है।

और आपने यह सुना भी होगा की लोगो के द्वारा कहा जाता है की अगर बेटा बड़ा होकर कुछ अच्छा करेगा तो इससे आपका मान सम्मान बढेगा या मेरा मान सम्मान बढ जाएगा ।

और मान सम्मान बढने को इज्जत का बढना कहा जाता है और इसे ही आबरू या आन बान बढना कहा जाता है और शायद आप इस बारे में जानते है ।

मगर आपको बता दे की जब भी किसी का मान सम्मान या कह सकते है की आबरू या आन बान बढता है तो इससे उसका सिर जो होता है वह उंच्चा हो जाता है ओर इसी बात से आप समझ सकते है की sir uncha karna muhavare ka arth – आबरू या आन बान बढ जाना होता है ।

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