कलेजा छलनी होना मुहावरे का मतलब और वाक्य व कहानी

कलेजा छलनी होना मुहावरे का अर्थ kleja chhalni hona muhavare ka arth – दुखी होना

दोस्तो जब किसी व्यक्ति के साथ कुछ बुरा हो जाता है तो वह व्यक्ति बहुत ही दुखी हो जाता है जिसके कारण से वह व्यक्ति एक रूठे हुए ‌‌‌इन्सान की तहर से उदास हो जाता है । इस तरह  से जब कोई व्यक्ति ‌‌‌किसी भी कारण से दुखी हो जाता है तो कलेजा छलनी होना कहा जाता है ।

ka matalab aur vaaky va kahaanee

कलेजा छलनी होना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • रामदास ने अपने बेटे के मरने का समचार सुना तो उसका कलेजा छलनी हो गया ।
  • ऐसी खबर लेकर आया हूं की आप जब सुनोगे तो आपका कलेजा छलनी हो जाएगा ।
  • तुम्हारे दुख को जान कर मेरा कलेजा छलनी हो गया ।
  • ‌‌‌तुम दोनो का यह हाल देख कर हमारा भी कलेजा छलनी हो गया ।
  • तुम्हारे बेटे ने तुम्हे घर से निकाला तो उसका कलेजा छलनी नही हुआ क्या ।
  • जब प्रेमचंद को पता चला की उसकी मां का एक्सीडेंट हो गया तो उसका कलेजा छलनी हो गया ।
  • ‌‌‌तुमने उसे भला बूरा कहा था जिसके कारण उसका कलेजा छलनी हो गया होगा ।
  • बेटे को मुसीबत मे देख कर कोन ऐसी मां होगी जिसका केलजा छलनी नही होगा ।

‌‌‌कलेजा छलनी होना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे नटवरलाल नाम का एक आदमी रहा करता था । नटवरलाल के पास धन दोलत बहुत अधिक थी जिसके कारण से वह आराम से अपना जीवन गुजारता था । नटवर के घर मे उसकी पत्नी ही रहा करती थी और नटवर के माता पिता उसके साथ न रह कर उसके बडे भाई के पास रहते ‌‌‌थे ।

नटवरलाल की पत्नी बहुत ही अच्छी थी वह किसी से कोई मतलब नही रखती और अपने काम से काम रखती थी । जिसकी यह आदत नटवर को बहुत ही अच्छी लगती थी । धिरे धिरे समय बितता गया और नटवर के घर मे एक छोटे से नन्हे बेटे का जन्म हुआ ।

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जिसके कारण से नटवरलाल बहुत ही खुश था और उसने पहली बार गाव के ‌‌‌लोगो को मिठाई बाटी । ‌‌‌जब लोग नटवर से मिलते तो वह उन्हे मिठाई देने लग जाता था । तब लोग नटवरलाल से पूछने लगते की आज किस खुशी मे मिठाई बट रही है इतने वर्षो से पहले तो कभी मिठाई बाटी नही थी ।

तब नटवरलाल ने कहा की आज मेरे जीवन मे बहुत ही अहम दिन आया है । आज मेरे घर मे बेटे का जन्म हुआ है । इस ‌‌‌तरह से नटवर लोगो को मिठाई बाटता जा रहा था । जब नटवरलाल का बेटा 7 वर्ष का हुआ तो उसने अपने बेटे को विधालय पढने के लिए भेज दिया था ।

जिसके कारण से नटवर का बेटा रोजाना स्कुल जाता और शिक्षा ग्रहण करने लगता था । जिससे समय के साथ नटवर का बेटा ज्ञानी बनता गया था । पर उस समय उनके गाव मे ही विधालय ‌‌‌था इस कारण से नटवर को अपने बेटे को पढाने के लिए शहर नही भजना पडा था ।

नटवरलाल ने अपने बेटे को कभी भी अपने से दूर नही किया था इस कारण से जब भी वह उसे दिखाई नही देता तो नटवरलाल बहुत उदास हो जाया करता था । जिसके कारण से उसकी पत्नी उससे कहती की ‌‌‌आप क्यो कलेजा छलनी कर रहे हो वह कही नही गया है वह‌‌‌ आ जाएगा ।

तब नटवर उससे कहता की जहां भी गया है उसे तुरन्त लेकर आओ । तब नटवरलाल की पत्नी उसे लेकर आती थी । इसी तरह से जब नटवरलाल का बेटा बडा हो गया और वह आगे पढने के लिए शहर जाना चाहता था तो उसने उसे शहर जाने के लिए मना कर दिया ।

तब नटवरलाल का बेटा भी बडा था इस कारण से वह उनकी बात नही मान रहा ‌‌‌था । और शहर जाने के लिए बार बार नटवरलाल से पूछने लगा था । जब उसके पिता ने उसकी बात नही मानी तो वह नटवरलाल को बताए बगेर ही शहर चला गया था ।

जब नटवरलाल काम कर कर अपने घर आया तो उसे उसका बेटा दिखाई नही दे रहा था तब नटवरलाल ने अपनी पत्नी से पूछा तो उसने कहा की वह तो शहर पढने के लिए चला गया है । ‌‌‌तब नटवरलाल ने कहा की तुमने उसे जाने क्यो दिया ।

यह सुन कर उसकी पत्नी ने कहा की वह तो कह रहा था की आपने ही उसे जाने के लिए कह दिया है । इतना सुन कर वह अपनी पत्नी से कहा की मैं शहर जाकर उसे वापस लाता हूं । तभी वह शहर जाने के लिए अपने घर से निकल ही रहा था की उसे पता चला की गाव से जो बस अभी ‌‌‌शहर गई है उसमे जो भी लोग थे वे सभी मारे गए है ।

क्योकी बस की टंकी मे आग लग गई थी जिसके कारण बस उड गई । यह सब जान कर नटवरलाल दुखी हो गया और वही पर बैठ गया था । तब लोगो को पता चला की इसका बेटा उस बस मे था । तब गाव के लोगो ने उसे उसके घर मे छोडा ।

इतने मे तो यह बात गाव मे हवा की तरह फैल गई थी । ‌‌‌जिसके कारण से नटवरलाल के माता पिता उसके घर गए और वे भी दुखी हो गए थे । अब जो भी उनके घर ‌‌‌जाता तो वह कहता की हमने तो ऐसा होगा कभी सोचा नही था । वह भी हमारे बेटे के समान था ।

साथ ही कहते की अब जो हो गया है वह हो गया इस तरह से कलेजा छलनी करोगे तो तुम्हारी पत्नी का क्या होगा । ‌‌‌जब इस बात को समय बित गया तो नटवरलाल के माता पिता ने ही उसे कहा की बेटा जो हो गया सो हो गया अब इस तरह से कब तक बैठे रहोगे ।

‌‌‌कलेजा छलनी होना मुहावरे पर कहानी muhavare par kahani

तुम अपना काम करो जिसके कारण तुम और तुम्हारी पत्नी सही तरह से रह सके । इस तरह से समझाने के कारण नटवरलाल ने हिम्मत कर कर काम करना शुरू कर दिया था और धिरे धिरे उसका ‌‌‌जीवन सही तरह से चलने लगा था । इस तरह से आप लोगो को इस कहानी से समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

‌‌‌कलेजा छलनी होना मुहावरे पर निबंध muhavare par nibandh

साथियो छलनी एक ऐसी वस्तु होती है जिससे किसी महिन वस्तु को छाना जाता है । ‌‌‌यह निचे से छेदो की बनी होती है । इस छलनी की तरह जब कोई व्यक्ति किसी के कलेजे मे इस तरह से छेद कर देता है तो वह आदमी बहुत अधिक दुखी हो जाता है ।

क्योकी उसे बहुत अधिक पिडा ‌‌‌होने लगती है । इस तरह से जब कोई व्यक्ति दुखी हो जाता है तो उसे कलेजा छलनी होना कहा जाता है । क्योकी इन दोनो का अर्थ समान है । इस तरह से आप समझ गए होगे ।

कलेजा छलनी होना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of kleja chhalni hona in Hindi

दोस्तो यह जीवन दुख कार घर है क्योकी इस जीवन में बहुत सा ऐसा समय आता है जो की दुख में बितता है जैसे की आपको याद होगा तो पीछली बार आप कब दुखी थे वही पर अगर सुख की बात की जाए तो आपको याद ही नही होगा की सुख कब आया होगा । मतलब यह है की दुख बहुत ज्यादा होता है ।

मगर ऐसा नही होता हैक्योकी जीवन में दुख और सुख आते रहते है मगर हम केवल दुख को याद रखते है और सुख को भूल जाते है । और यही कारण है की हमे ऐसा लगता है की दुख बहुत ज्यादा आता है ।

मगर जब कोई व्यक्ति किसी बात के कारण से दुखी हो जाता है तो इसे ही कलेजा छलनी होना कहा जाता है । क्योकी दुख का सबंध हृदय से होता है और जब केला छलनली होगा तो इससे हृदय को भी कुछ कष्ट होगा और इसे आप समझ गए है की  kleja chhalni hona muhavare ka arth – दुखी होना होता है ।

‌‌‌निचे कुछ मुहावरों की लिंक दी जा रही है जो बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।