‌‌‌फलीभूत होना का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

फलीभूत होना मुहावरे का अर्थ falibhut hona muhavare ka arth – जिसका फल या परिणाम निकले ।

दोस्तो आज अगर आप कुछ करते हो तो यह जरूर चाहते हो की उसका कभी न कभी आपको फल प्राप्त हो  । जैसे की आप अभी अध्ययन कर रहे हो तो आप चाहते हो की आपको यह अध्ययन जीवन में कभी न कभी काम जरूर आए । ‌‌‌यानि उसका फल निकले या परिणाम निकले । और जब आपके द्वारा किए गए कार्य का फल निकलता है या परिणाम निकलता है तो इसे ‌‌‌फलीभूत होना कहा जाता है । जिसका मतलब है जिसका फल या परिणाम निकला । और वही पर इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग होता है जहां पर जिसका फल या परिणाम निकलने की बात हुई हो ।

फलीभूत होना मुहावरे का अर्थ

फलीभूत होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || falibhut hona use of idioms in sentences in Hindi

1.     महेश ने 10 वी कक्षा का एग्जाम तो दे दिया मगर अभी फलीभूत होना बाकी है ।

2.     लगता है की बेटे को इस बार नोकरी मिल जाएगी उसका IAS का पेपर अच्छा गया है बस फलीभूत होना बाकी है ।

3.     किसान ने खेत में फसल उगा दी और उसे काट भी लिया मगर अभी फलीभूत होना बाकी है ।

4.     ‌‌‌एक महिने पहले SSC GD का एग्जाम था और आज उसका फलीभूत होने वाला है ।

5.     Delhi Police  में तो सभी भर्ती होना चाहते है मगर फलीभूत होने पर पता चला की रामलाल का छोरा नोकरी लग गया ।

6.     ‌‌‌अगर बेटा आज तुम अध्ययन करते हो तो भविष्य में कभी न कभी यह भलीभूत होकर रहेगा ।

7.     किसन ने काफी समय पहले चाय का बिजनेश शुरू किया था मगर आज उसका फलीभूत हो गया ।

‌‌‌8.      बेटा देश का अधिकारी बनना चाहता है मगर फलीभूत होने पर पता चला की इस बार दो नम्बर से रह गया ।

फलीभूत होना मुहावरे पर कहानी || falibhut hona story on idiom in Hindi

एक समय की बात है एक नगर हुआ करता था जो की काफी अधिक पुराना नगर था । वहा पर किसी के पास भी पक्का मकान नही था । सभी झोपड़ी में रहते थे । वैसे पहले के समय में ऐसा ही हुआ करता था । मगर समय जैसे जैसे बितता गया उस गाव में भी विकाश हुआ था ।

मगर विकाश होने से पहले की बात ‌‌‌है वहां पर फलाराम नाम का एक आदमी रहता था । जो की गाव में काफी अधिक गरीब था । गाव में जितने लोग थे उनमे से वही सबसे गरीब था । जिसके कारण से वह काम करने के लिए आस पास के गावो में ही नही बल्की दूर दूर गाव में जाता था । और इसी तरह से फलाराम एक बार अपने गाव से लगभग 50 किलोमिटर दुर गया था ।

‌‌‌वहां पर उसने देखा की लोग जो है वह जमीन में पता नही क्या गेर रहे है और समय के साथ वहां पर पौधा भी उग जाता है । दरसल फलाराम जिस गाव में था वहां पर खेती नही होती थी जिसके कारण से जमीन भी ऐसे ही पड़ी रहती थी और जब फलराम काम करने के लिए जिस गाव में गया था वहां पर खेती को देखता है तो उसे काफी अलग ‌‌‌ है । मगर फलाराम ठहरा ज्ञानी वह हमेशा अपने ज्ञान को बढाना चाहता था । तो उसकी इसी आदत ने उसे यह जानने को मजबूर कर दिया की आखिर यह खेती कैसे होती है ।

फलाराम के जानने के कारण से उसे यह सब पता चल गया की खेती कैसे ‌‌‌होती है । फलाराम के जानने के कारण से उसे एक आइडिया आता है वह सोचता है क्यो न वह भी अपने नगर में खेती शुरू करे । फलाराम को पता था की जमीन तो उसे गाव में आसानी से ऐसे ही मिल जाएगी । वह जीतनी चाह सकता है उसती जमीन हासिल कर सकता है ।

और इसके बदले में फलाराम को लोगो को खाने के लिए भोजन देना होगा ‌‌‌। तब फलाराम ने यही सोच रखते हुए उसी गाव में पूरे एक वर्ष तक काम किया और रूपय इकट्ठा कियार । जिनमे से काफी सारे रूपयो की उसने अन्न खरीद लिया और अपने गाव में लेकर चला गया । वहा वह अन्न बेचने का काम करने लगा मगर बदले में लोगो से जमीन की माग करता था । उस नगर में जमीन की किमत काफी कम थी तो लोगो ‌‌‌ने बिना सोचे समझे फलाराम को जमीन दे दी । मगर लोगो ने यह भी सोचा की आखिर यह जमीन का करने क्या वाला है ।

मगर लोगो को कुछसमझ में नही आया । जब फलाराम के पास अच्छी जमीन हो गई तो उसे समझ में आ गया की वह अब वह खेती कर सकता है । मगर अभी उसे याद आता है की खेती करने के लिए पानी की जरूरत होती है और ‌‌‌वह जो पानी है वह आसानी से उसे मिलने वाला नही है । क्योकी आस पास एक तो पानी की कमी है और दूसरी वर्षां भी समय पर नही होती है । तो इसी सोच ने फलाराम को याद दिलवाया की पानी की कमी को दूर करने के लिए उसे एक कुआ खुदवाना होगा । और कुवा खुदवाने के लिए काफी पेसे लगते है । और इस कारण से फलाराम फिर से ‌‌‌काम करने के लिए दूसरे नगर में चला जाता है ।

वहां पर फलाराम दिन रात मिलकर काम करता है । और उधर घर के लोगो को भी समझ में नही आ रहा था की आखिर यह करने क्या वाला है । इतना काम क्यो कर रहा है । इस तरह से फलाराम ने फिर एक वर्ष तक ओर काम किया और अब उसके पास इतना पैसा आ चुका था की वह कुवा खुदवा ‌‌‌सके । तो फलाराम ने उसी गाव से कुछ ऐसे लोगो को पकड़ा जो की कुवा खोदने का काम करते थे । वहा से उन्हे गाव लेकर गया और कुवा खुदवाने लग गया । यह सब फलाराम के गाव के लोग देखने लगे थे मगर किसी को कुछ समझ में नही आया ।

‌‌‌जब फलाराम ने खेत में कुवा पूरा खोद लिया तो फिर उसने खेत में पानी देना शुरू कर दिया और जैसे ही बुआई का समय आया तो खेत में बिज बो देता है । जिसके कारण से कुछ समय के बाद में फसल खड़ी हो जाती है । और यह सब देख कर गाव के लोग कहते है की क्यो बेवजह मेहनत कर रहे हो इन सबसे कुछ नही होगा ।

‌‌‌मगर फलाराम किसी की भी परवाह नही करता है बल्की अपने काम में लगा रहता है । आपको पता होगा की खेती करने में कितना मेहनत लगता है तो इसी तरह से फलाराम दिन रात एक कर कर काम में लगा रहा । ‌‌‌उसे किसी के बारे में कोई परवाह नही थी की लोग उसके बारे में क्या सोचते है । क्योकी उसेघर के लोग भी उसे मुर्ख समझने लगे थे । और इन सबका कारण केवल एक था और वह यह था की कोई भी खेती नही करता था ।

समय बितता गया और फलाराम के खेत मे फसल लहराने लगी थी और यह सब देख कर सभी को अब लगने लगा था की फलाराम ‌‌‌की मेहनत जरूर फलीभूत होने वाली है । तब जाकर उन लोगो को यह पता चला की इस तरह से अन्न पैदा होता है । और समय के साथ फलाराम ने अपने खेत से अन्न पैदा किया और यह सब देख कर बहुत से लोग तो हैरान तक हो गए थे । क्योकी उनको यकिन नही था की ऐसा भी होता है ।

फलीभूत होना मुहावरे पर कहानी  falibhut hona story on idiom in Hindi

तब फलाराम को सभी कहने लगे की वहां फलराम ‌‌‌तुम्हारी मेहनत तो फलीभूत हो गई । मगर फलाराम मुस्कुराता और कुछ नही कहता था । और अगले ही वर्ष फलाराम ने इसी तर से अन्न पैदा किया । ओर यह सब देख कर धिरे धिरे लोग भी अपने खेतो में फसल बोने लगे थे। फलाराम के पास काफी सारी जमीन थी तो उसके अच्छी फसल बनती और अच्छा अन्न पैदा होता था ‌‌‌जिसके कारण से फलाराम गरीब से अमीर बन जाता है ।

अब गाव का सबसे अमीर फलाराम ही था । उसके जीतना अमीर कोई नही था सभी उससे गरीब ही थे । अब फलाराम अपना काम करवाने के लिए मजदूरो को भी रखने लगा था और गाव के कई लोगो ने फसल पैदा करने का फैसला लिया और इस तरह से फलाराम के गाव में खेती होने लगी ।

‌‌‌और इस तरह से गाव का विकाश होना शुरू हो गया ।  इस तरह से दोस्तो फलाराम की मेहनत फलीभूत हो चुकी थी ।

‌‌‌फलीभूत होना मुहावरे पर निंबंध || falibhut hona essay on idioms in Hindi

‌‌‌वैसे जीवन में कब क्या होने लग जाए आज कहना जरा मुश्किल हो गया है । क्योकी बहुत से लोग भी आज इस तरह के काम कर रहे है जिसके बारे में उन्हे आसा है की कभी न कभी वह फलीभूत जरूर होगे । मगर अब रही बात यह है की आखिर वह फल या परिणाम निकलेगा कब तो इसका कोई निश्चित समय नही है।

फलीभूत होना मुहावरे पर कहानी || falibhut hona story on idiom in Hindi

जिस तरह से ‌‌‌हमारी कहानी के हिरो फलाराम की बात करे तो उसे यह तक पता नही था की अन्न आखिर पैदा कैसे होता है । मगर कहते है की समय के साथ साथ विकाश इस तरह से बढता जाता है की कोई सोच तक नही सकता है। जब फलाराम को पता चला की अन्न भी जमीन से पैदा होता है तो उसने बिना कुछ सोचे समझे भविष्य के लिए अपने पैसे दाव ‌‌‌पर लगा दिया था ।

फलाराम ने एक बार भी नही सोचा था की क्या वह कर रहा है वह सही होगा । क्योकी फलाराम को विश्वास था की एक समय ऐसा आएगा की जो वह अब कर रहा है उसा फल जरूर निकलेगा । और वैसा ही हुआ था । अगर आपने कहानी को पढा है तो मेरे भाई आपको समझ में आया होगा की समय आने पर फलाराम को अपने किए गए ‌‌‌कार्य का फल जरूर मिला था ।

मित्र चाहे आज हम किसी भी देश में क्यो न रहते हो । मगर जो भी कुछ कर रहे है फल जरूर निकलना चाहिए । अगर आज आप पढते है तो भविष्य में यह पढाई आपके किसी न किसी काम जरूर आनी चाहिए । यह जरूरी नही है की आप नोकरी ही लगोगे तब जाकर आपके पढाई काम आएगी ।

बल्की आप ऐसा ‌‌‌कुछ करते हो जिसमें आपको पढाई उपयोग में लेनी ही पड़ रही है तो यह होगा की आपके अध्ययन का फलीभूत हो गया । क्योकी भविष्य में इसका फल या परिणाम निकलने जो वाला है ।

‌‌‌किसी विद्वान ने कहा की जीवन में सफलता वह नही जिसे हम दुसरो के लिए पाना चाहते है बल्की सफलता तो वह है जिसे हम स्वयं के लिए पाना चाहते है । अगर आप जीवन में सफल होना चाहते है जिस तरह से फलाराम हुआ था तो उसी तरह से आप जिस कार्य मे  सफल होना चाहते है उसका कभी न कभी परिणाम जरूर निकलना चाहिए ‌‌‌।

और जिस दिन आपकी मेहनत का परिणाम निकल जाएगा तो हम भी उसे फलीभूत होना कहेगे ।

कुल मिलाकर पूरे लेख में बात यह समझाने की कोशिश की है की फलीभूत होना मुहावरे का अर्थ फल या परिणाम निकलना होता है ।

‌‌‌इस तरह से दोस्तो हमने इस लेख में एक मुहावरे के बारे में जानकारी हासिल की है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।