बछिया का ताऊ का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

बछिया का ताऊ मुहावरे का अर्थ bachiya ka tau muhavare ka arth – मूर्ख व्यक्ति

दोस्तो आज के समय मे जो लोग ज्ञान या फिर यह कह सकते है की जो लोग इस संसार के मोह से निकलना जानते हो उनका ही यहां पर जीवन चल सकता है । पर कुछ लोग ऐसे होते है जिनको इस संसार मे कैसे जीवन जीना है इस बारे मे नही ‌‌‌जाते है । यानि वे किसी भी काम कें बारे में नही जानते है तो वे एक मुर्ख व्यक्ति होगे और मुर्ख व्यक्ति को ही बछिया का ताउ कहा जाता है ।

बछिया का ताऊ का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

बछिया का ताउ मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • रमेश तो बछिया का ताउ है वह तुम्हे सही सलाह कैसे देगा तुम तो मेरे पास आया करो ।
  • बछिया का ताउ का सबसे अच्छा उदहारण रामप्रसाद है जो किसी काम को करना नही जानते है ।
  • अरे भाई महेश को तुम बछिया का ताउ समझने की भूल मत कर देना उसने एक बार मुझे दिन मे तारे दिखा दिए थे ।
  • अगर वह तुम्हे सही सलाह दे देता तो यहां पर बछिया का ताउ होता नही ।
  • मैंने तुम्हे बछिया का ताउ ‌‌‌समझता था पर तुम तो ‌‌‌बहुत बुद्धिमान हो ।
  • तुम तो हर काम गलत करते हो लगता है की तुम बछिया का ताउ हो ।
  • प्रशांत का तो कहना ही क्या वह तो बछिया के ताउ से भी बढकर है ।
  • तुमने मुझे बछिया का ताउ समझा और तुम मुझसे हार गए ।

बछिया का ताउ मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक धनवान सेठ रहा करता था । उसके घर मे उसके अलावा उसकी पत्नी और एक छोटा बेटा था । बेटे का जन्म अभी अभी ही हुआ था इस कारण से सेठ और उसकी पत्नी बडे खुश थे । बेटा होने की बधाईया देने के लिए गाव के लोग भी उसके घर मे आते रहते थे ।

सेठ बहुत ही दयालू था इस ‌‌‌कारण से जो भी उसके घर आते सेठ उन्हे मिठाई खिलाता और कुछ पैसे दान दे देता था । पैसे दान देने के कारण जो लोग सेठ के पास कभी भी नही आते थे वे भी सेठ के पास आ जाते थे । सेठ कभी भी यह नही सोचता की ‌‌‌कौन मेरा है और ‌‌‌कौन नही । बल्की जो भी उसके पास आ जाते थे वह उन्हे दान देता और उनकी मदद भी कर दिया करता ‌‌‌था ।

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सेठ को लोग बहुत ही अच्छी तरह से जानते थे । सेठ जब भी अपना समान देता तो वह पल भर मे बता देता की कितना रुपया हुआ है । यानि सेठ कभी भी पैसो के हिसाब किताब मे पिछे नही रहता था । वह तो हिसाब किताब अपनी उंगुलियो पर ही कर लेता था ।

सेठ को हिसाब किताब के अलावा और भी काम आते थे जिनके बारे ‌‌‌मे गाव के लोगो को पता नही था । सेठ के पास बहुत धन दोलत थी और उसके पास अनेक खेत थे । खेत होने के कारण सेठ अपने खेतो मे फसल उगाता और लोगो से मजदुरी करा कर अपनी फसल निकाल लेता था । जिसके कारण उसे कुछ भी नही करना पडता था पर वह लोगो से काम कैसे कराया जाता है यह जानता था ।

जब सेठ का बेटा कुछ बडा हुआ ‌‌‌तो सेठ को लगा की यह तो बछिया का ताउ है यानि इसे कुछ भी नही आता है । तब सेठ को यह भी लगा की अभी यह बच्चा है जिसके कारण से ही इसे किसी काम का नही पता है । जब यह बडा हो जाएगा तब काम करने लग जाएगा ।

जब सेठ का बेटा काम करने लायक हुआ यानि वह बडा हुआ तब ‌‌‌गांव कुछ विकाश हो गया था । जिससे लोग अब शहर जाने ‌‌‌के लिए वाहनो का उपयो करने लगे थे । उस समय उनके गाव के आस पास विधालय नही था इस कारण से सेठ का बेटा पढालिखा नही था ।

जब सेठ का बेटा बडा हो गया तो सेठ ने उसे अपने घर मे ही पढाया था । ताकी जब वह काम करे तो आसानी से हिसाब किताब कर ले । सेठ ने उसे पढाने के लिए दिन रात एक कर दिया था । पर सेठ के ‌‌‌बेटे को कुछ भी समझ मे नही आया था । एक दिन की बात है सेठ बिमार हो गया था ।

बिमार हो जाने के कारण गाव के लोगो ने उसकी साहयता की और उसे अस्पताल ले गए । वहां पर जाने के बाद सेठ कुछ दिनो तक तो जीवित रहा फिर उसकी मृत्यु हो गई थी । अपने पति के मर जाने के कारण सेठ की पत्नी बहुत ही दुखी थी और वह ‌‌‌विलाप भी करने लगी थी ।

तब लोगो ने देखा की सेठ का बेटा तो आराम से चुप चाप बैठा है । यह देखकर गाव के लोग हैरान हो गए । क्योकी अब वह काफी बडा हो गया है और उसे अभी तक यह भी नही पता की जब पिता की मृत्यु हो जाती है ता दूख होता है और विलाप करना पडता है ।

उस समय गाव के लोगो ने उस पर ज्यादा जोर नही ‌‌‌दिया था । तब गाव के लोगो ने ही सेठ के शव को उसके बेटे से अग्नि दिलवाई थी । धिरे धिरे समय बित गया और अब सेठ का बेटा बहुत बडा हो गया था ।

सेठ के पास बहुत रुपय थे इस कारण से इतने दिनो तक तो वह घर पर ही खाता रहा और जब पैसे खत्म हो गए तो वह बाहर काम करने के लिए निकल गया था । तब उसकी माता ने ‌‌‌उससे कहा की बेटा तुम अपने पिता की तरह ही सेठ का काम कर लो । यानि हमारे पास जो खेत है उसमे फसल उगाकर उसे संभालो और जो दुकाने है उन्हे भी संभालो ।

तब उसने वैसा ही किया जैसा उसकी मां ने कहा था । अब ‌‌‌उसने अपनी सारी दुकाने वापस खोल ली थी और वहां पर लोगो को मजदुरी पर रख लिया था । साथ ही जो खेत थे उनमे ‌‌‌फसल बो कर वहां पर भी मजदुर रख लिया था ।

इस तरह से अब वह सेठ का काम करने लगा था । जो लोग उसके पास मजदुर थे वे सभी बहुत ही अच्छे लोग थे । इस कारण से अभी तक किसी ने भी उसे लूटा नही था । पर जब वह मजदुरो के पास जाकर उन्हे देखता नही था । तब से उन लोगो ने दुकान मे जो भी पैसे आते थे वहां से ले लेते थे।

‌‌‌कई महिनो तक ऐसा होने के कारण उसकी दुकान घाटे मे चलने लगी थी । तब गाव के लोगो ने उससे कहा की इन दुकानो मे जो लोग रहते है उन पर विश्वास मत करना और हिसाब किताब देखते रहना ।

यह सुनकर उसने कहा की मैं आज से ऐसा ही करुगा पर उसे हिसाब किताब आता नही था । इस कारण से वह ढोंग कर लेता था । जिससे हुआ यह ‌‌‌की उसके पास जो भी धन था और जो भी खेत थे वे सब बिक गए यानि वह अब रास्ते पर आ गया था। अब उसकी माता की भी उमर हो गई थी इस कारण से वह भी अब मर गई थी ।

मा के मर जाने के कारण वह अब अकेला ही रह गया था । तब उसने गाव के लोगो ‌‌‌के पास काम मागने गया तो लोगो ने उसे पहले हिसाब किताब का काम दिया । वह वहा भी हिसाब ‌‌‌किताब करने का ढोंग करने लगा था । जब उन लोगो को इस बारे मे पता चला तो उन्होने सेठ के बेटे को काम से निकाल दिया था । फिर उसे मजदुरी का काम मिला था ।

बछिया का ताउ मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

मजदुरी का काम ‌‌‌कई तरह का होता है इस कारण से वह हर एक काम ‌‌‌को करता और ‌‌‌वह वहां से निकाल दिया जाता था । अगर कोई उससे जीवन जीने के बारे मे पूछ लेता तो ‌‌‌कुछ भी कहने लग जाता था । इस तरह से होने के कारण गाव के लोगो को पता चल गया की सेठ का बेटा बछिया का ताउ है ।

इस तरह से फिर उसे जो भी काम मिलता वह उसे करता था । जिसके कारण उसे दो समय का खाना भी नही मिल पाता था क्योकी वह उस काम के बारे मे जानता नही था । इस तरह से आप समझ गए होगे की बछिया का ताउ किसे ‌‌‌कहा जाता है ।

बछिया का ताऊ मुहावरे पर निबंध || bachiya ka tau essay on idioms in Hindi

साथियों जैसे की आपको पता चला की कहानी मे एक सेठ की बात की जा रही है जिसका एक बेटा होता है और वह पूरा का पूरा मर्ख होता है । क्योकी आज के समय में आपको भी पता है की अगर किसी मजदूर को कोई काम एक बार बता दिया जाए तो वह उस काम को बार बार नही पूछेगा और आसानी से उस काम को कर लेगा । जिसके कारण से उसके जीवन की गाडी चलती रहेगी ।

मगर सेठ का बेटा मुर्ख था क्योकी वह काम को याद नही कर पाता था और बार बार काम में गलती करने के कारण से निकाल दिया जाता था । साथ ही बढाई खुब करता था और यही सब काफी था की लोगो को समझ में आ गया की सेठ का बेटा पूरा का पूरा मुर्ख है ।

और कहानी में इसी सेठ के बेट केलिए bachiya ka tau का प्रयोग किया गया था और इस बात से समझा जा सकता है की bachiya ka tau मुहावरे का सही अर्थ मुर्ख व्यक्ति होना हेाता है ।

नीचे जिन मुहावरों की लिंक दी जा रही है वे अकसर लोग जानना चाहते है और महत्वपर्ण भी है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।