डकार जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य

डकार जाना मुहावरे का अर्थ dakar jana muhavare ka arth  — हड़प जाना ।

दोस्तो जब मानव कुछ खा लेता है तो कभी कभार ऐसा होता है की पेट से हवा मुँह के रास्ते बहार निकल जाती है और इसी समय एक ध्वनी या आवाज निकलती है जिसे डकार आना कहते है ।

अब मानव असल जीवन में किसी व्यक्ति का कुछ हड़प लेता है तो इसे ही डकार जाना कहते है । क्योकी हड़प शब्द का अर्थ निगल जाने से भी होता है और डकार निगलते समय ही आती है । तो इस तरह से डकार जाना मुहावरे का अर्थ हड़प जाना होता है ।

डकार जाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || dakar jana  use of idioms in sentences in Hindi

1.        गाव में कुछ करने के लिए चंदा इकट्ठा किया गया था मगर लोगो ने आधा पैसा तो बिच में ही डकार लिया ।

2.        सुरज ने अपने अनपढ भाई को जायदाद के कागजातो पर अंगुठा लेकर सब कुछ डकार गया ।

3.        सुरज जायदाद को डकार गया और उसके भाई को पता तक नही चला ।

4.        कंचन ने बॉस कंपनी की बढोतरी के लिए रिया की योजना बता दी और कहा की यह योजना मैंने बनाई है और जो कुछ रिया को मिलने वाला था वह डकार गई ।

5.        सज्जन को 10 वी कक्षा में ट्रॉफी मिली थी और रास्ते में ही उसके दोस्तो ने ट्रॉफी डकार ली ।

6.        गाव के सेठ ने काफी सारे लोगो की जमीन डकार ली और किसी को पता तक नही चला ।

7.        महेश का तुम भरोषा मत करना क्योकी वह तो अपने भाई का धन भी डकार जाता है तो तुम तो हो ही क्या ।

8.        कल रात शराब के नसे में शर्मा जी ने वर्मा जी के 10,000 रूपय डकार लिए ।

9.        उसने मुझे धोका देकर मेरा बहुत कुछ डकार लिया है और मुझे इस बारे में पता नही । 

डकार जाना मुहावरे पर कहानी || dakar jana  story on idiom in Hindi

दोस्तो बहुत समय पहले की बात है एक गाव हुआ करता था जहां पर बहुत सारे लोग रहते थे और उन ही लोगो में से सुरज नाम का एक आदमी रहा करता था । और उसके परिवार में उसकी पत्नी और सुरज का भाई और उसकी पत्नी व दोनो के एक एक बच्चे रहा करते थे ।

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 तो इस तरह से सभी एक दूसरे के साथ रहते आ रहे थे और दोनो के बिच मे अच्छा जीवन बित रहा था ।सुरज का जो भाई था उसका नाम महेश था । दोस्तो सुरज एक चालक आदमी था जो की हमेशा मोके की तलास में रहता था और उसने कई बार लोगो को चकमा ​दे दिया और उनके पास जो होता था उसे डकार जाता था और ऐसा ही एक बार उसने अपने भाई के साथ कर लिया और महेश को इस बारे में पता तक नही चला था ।

दरसल हुआ कुछ इस तरह से था की सुरज जो था वह अपने भाई महेश के पास आराम से रहा करता था और जीवन बिता रहा था । मगर एक दिन दोनो में किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया और इसी झगड़े के कारण से सुरज को उसके भाई महेश ने घर से बाहर निकाल दिया था

और घर से निकाल देने के कारण से सुरज को काफी गुस्सा आया और उसे भी पता था की जो उसके साथ हुआ हे वह सही नही है और उसका भी जायदाद पर हक बनता है मगर उसे घर से बाहर निकाल दिया है इस कारण से उसे काफी क्रोध आ गया और वह अपने भाई से बदला लेने की सोचने लगा था ।

मगर अभी समय सही नही था इस कारण से सुरज ने दिमाग से काम लेने की सोची और अपने भाई के सामने ही रहने लगा था । काफी समय बित जाने के बाद मे सुरज अपने भाई का विश्वास जितने के लिए काम करने लगा था ।

अब महेश जो था वह एक सिधा साधा आदमी था जिसके कारण से उसे पता नही चला की सुरज के दिमाग में क्या चल रहा है बल्की वह मानने लगा था की सुरज ने अपनी गलती मान ली है और उस बात को भुला दिया है । और इस कारण से महेश ने सुरज के साथ फिर से रिश्ता जोड़ लिया ।

मगर अब भी दोनो एक जगह पर नही रहने लगे थे । और करीब एक साल के बाद मे एक दिन की बता है सुरज अचानक से महेश को घर से बाहर बुला लेता है और पता नही उसे क्या कहता है और किसी तरह के कागजात पर अंगुठा करवा लेता है।

क्योकी महेश पढा लिखा नही था तो उसने बिना कुछ समझे ही अंगुठा लगा दिया और अगले दिन की बात है सुरज कुछ अधिकारियो कोलेकर आ जाता है और कहता है की देखो साहब महेश ने मेरे बने बनाए घर पर कब्जा कर​ लिया है क्योकी पहले तो इसने ही यह सब मेरे नाम कर दिया था मगर आज यह मेरे घर पर राज कर रहा है और मुझे बहार निकाल दिया है ।

अधिकारियो ने जब इस सच्चाई के बारे में पता लगाया तो कुछ लोगो की सुरज ने झूंठी गवाही दिला दी और यह साबित कर दिया की महेश गुन्हेगार है और इस कारण से अधिकरियो ने महेश को घर से निकाल दिया और सुरज ​को उस घर में रहने के लिए कह दिया ।

 इसके बाद मे महेश को समझ मे आ गया की उसे अपने भाई को घर के बाहर निकालना नही चाहिए था और महेश ने अपनी पत्नी से कहा की हमने सुरज के साथ ऐसा किया था इसी कारण से उसने हमारा सब कुछ डकार लिया । मगर अब क्या था अब जहा पर सुरज रह रहा था वही पर महेश रहने लगा था ।

और आग किस तरह से फैलती है उसी तरह से यह बात अगले ही दिन लोगो के पास फैल गई और लोगो को पता चला की सुरज ने अपनी चालाकी का उपयोग कर कर महेश का सब कुछ डकार ​गया  ।

मगर अब क्या होना था महेश को इतना ज्ञान नही था इस कारण से उसे फिर अपना जीवन इसी तरह से बिताना पड़ा था । मगर करीब एक साल के बाद में सुरज ने कुछ सोच समझ कर अपनी पूरी जायदाद को दो हिस्सो में बाट दिया और आधी महेश को दे दिया और दोनो ने एक दूसरे से समझोता कर लिया और फिर दोनो एक दूसरे के साथ सही तरह से रहने लगे थे । और इस तरह से फिर दोनो काजीवन बितने लगा।

तो इस तरह से दोस्तो सुरज ने महेश की जायदाद को डकार लिया था । इस कहानी से डकार लेना मुहावरे के अर्थ को समझ सकते है।

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