सिर चढ़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर चढ़ाना मुहावरे का अर्थ sir chadhaana muhaavare ka arth – अयोग्य व्यक्ति को अत्यधिक महत्व देकर मुसीबत मोड़ लेना।

दोस्तो अगर हम किसी ऐसे आदमी को महत्व देते है जिसे कुछ पता भी नही है की ‌‌‌किसी कार्य को केसे करना है । जब वह उस कार्य को करता है तो उससे वह कार्य सही तरह से नही ‌‌‌होता है और हमारा बहुत नुकसान हो जाता है । इसे ही सिर चढाना कहा जाता है ।

क्योकी हम ही उसे सिर पर चढाकर उससे यह काम कराने लगे थे जिससे वह सावधानी नही रखा और गलती हो गई । इस तरह के लोगो के कारण ही हमे किसी पर इतना विश्वास नही करना चाहिए की वह हमारे सिर पर बेठ जाए और सोचने लगे की अगर कुछ ‌‌‌हो भी गया तो यह हमे कुछ नही कहेगा ।

सिर चढ़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर चढ़ाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग

  • ‌‌‌राधेश्याम ने अपने बेटे को सिर पर चढा लिया और अब वह अपने पिता की एक भी नही सुन रहा है ।
  • रमेश को जब पुलिस पकड कर ले गई तब उसके पिता को समझ मे आया की उसने अपने बेटे को सिर पर ‌‌‌कुछ ज्यादा ही चढा लिया था ।
  • सिर पर चढाने पर ही रामबाबू का नोकर रामबाबू के बेटे को बहुत मारा ।
  • लालचंद ने अपने बेटे को कुछ ज्यादा ही सिर पर चढा लिया जिसके कारण आज वह उसके सामने बोलने लगा है ।

सिर चढ़ाना मुहावरे पर कहानी

एक गाव मे लालचंद नाम का एक आदमी रहता था उसके पास किसी भी चिज की कमी नही थी । उसके घर मे उसका ऐक बेटा  व उसकी पत्नी रहती थी। लालचंद अपने बेटे को बहुत ही प्रेम करता था । जब वह कोई चिज मागता तो उसे उसी समय लाकर दे देता था ।

इस कारण लालचंद की पत्नी कहती की ‌‌‌इसे इतना भी लाड ‌‌‌प्यार मत करो वरना यह ओग हमारी ही नही सुनेगा । लालचंद को अपनी पत्नी की एक भी बात ‌‌‌समझ मे नही आई ।वह कहता की यह मेरा बेटा है इसकी इच्छा अगर मै नही पुरी करुगा तो और कोन करेगा ।

‌‌‌एक दिन की बात है लालचंद के बेटे ने नोकर के बेटे को मारा जिससे उसके सिर से खुन निकलने लगा । जब लालचंद को पता चला की उसके बेटे ने उसके ही नोकर के बेटे का सिर फोड दिया है और वह बहुत ही घायल हो गया है । तो लालचंद जल्दी से अपने नोकर के बेटे के पास जाकर उसका इलाज कराया और उसके नोकर से कहा की ‌‌‌जो भी खर्चा तुम्हारे बेटे को ठिक होने मे लगेगा ‌‌‌मै वे दे दुगा ।

इस तरह से वह अपने नोकर को सम्भलता है । जब लालचंद अपने घर गया तो उसने अपने बेटे को कुछ नही कहा जिससे उसके बेटे को लगा की उसका पिता उसे कुछ भी नही कहेगा चाहे वह कुछ भी कर दे । लालचंद ने अपने बेटे ‌‌‌को जिस विधालय मे ढाला था वह उस ‌‌‌विधालय के लडको ‌‌‌को मरने लगा था ।

विधालय के अध्यापक भी उसे कुछ नही कहते थे क्योकी उसका पिता उस विधालय को पैसे देता था जिस कारण से विधालय के सभी लोग उसकी मनमानी सह रहे थे । उसका पिता भी उसे कभी कुछ लाकर देता तो कभी कुछ लाकर देता ‌‌‌जिससे वह बिगडता जा रहा था । ‌‌‌

पैपर का समय आया तो लालचंद के पिता ने उसे कहा की अगर तुम अच्छे नम्बर नही लाओगे तो तुम्हे ओगे से कुछ भी नही मिलेगा । यह सुनकर उसका बेटा सोचने लगा की नम्बर तो लाने ही होगे । पैपर के पहले दिन जब सभी अध्यापक विधालय से घर गए हुए थे तो लालचंद का बेटा विधालय से पैपर चुराने के लिए गया।

पैपर ‌‌‌चुराते समय उसे पकड लिया गया और उसके पिता को सुचित किया गया की आपका बेटा विधालय से चोरी करने लगा है । लालचंद ‌‌‌ने यह सुनकर कुछ नही कहा बल्की उन अधयापको ही सुनाने लगा। जिससे उसके बेटे का होसला और बढता जा रहा था ।

‌‌‌समय बितता गया और लालचंद का बेटा बडा हो गया । अब लालचंद का बेटा बहुत ही बिगड गया था जो भी उसे कुछ कह देता तो वह उसे बहुत मारता । उसके पिता के कारण कोई भी उसे कुछ नही कहता था । एक दिन की बात है लालचंद का बेटा अपने दोस्तो के साथ पार्टी करकर अपने घर जा रहा था तो रास्ते मे उसे पुलिस ने पकड ‌‌‌लिया ।

पुलिस वालो ने देखा की वह दारु पी कर गाडी चला रहा है तो पुलिस ने उसके साथ साथ  उसके दोस्तो को रोक लिया । तब लालचंद के बेटे ने कहा की हमे जाने दो वरना अच्छा नही होगा । पुलिस वाले यह सुनकर कहने लगे की नही जाने देगे जो करना है कर लो । तब लालचंद के बेटे ने उन पुलिस वालो पर हाथ उठा दिया ।

सिर चढ़ाना मुहावरे पर कहानी

‌‌‌जिससे पुलिस वाले उसे थाने मे बंद करकर बहुत ‌‌‌धोया । जब उसके पिता को पता चला की ‌‌‌उसने पुलिस वालो पर हाथ उठा दिया है । तब जाकर लालचंद की आखे खुली और समझ मे आया कि मेने इसे सिर पर चढाकर बहुत बडी गलती कर दि है यह तो पुलिस को भी मारने लगा है। तब लालचंद ने अपने बेटे की बेल नही कराई । इस तरह से आप समझ ‌‌‌गए होगे की इस मुहावरे का अर्थ क्या है।

सिर चढ़ाना मुहावरे पर निबंध

साथियो अगर किसी की गल‌‌‌तियो को हम अंजाने मे कि गई गलती मानकर उसे माफ कर रहे है तो वह आदमी बार बार गलती करने लग जाता है । और जब हमे पता चलता है की इस पर विश्वास कर कर हम इसे माफ करते रहे और आज ‌‌‌इसने बहुत बडा नुकसान कर दिया है ।

हम ही इसे अपने सिर पर ‌‌‌बैठाकर इसे बढावा देते जा रहे थे । जिसके कारण यह आज हमारे साथ ही ऐसा करने के लिए तैयार हो गया है । इस तरहे से बादमे हमारी गलती का अहसास होता है । ऐसे लोगो को अगर जितना माफ करते रहोगे ये लोग उतने ही बिगडेगे । अपने बेटे की हर छोटी मोटी मागे हम उसी समय पुरी कर देते है

अगर वह कोई गलती करता ‌‌‌तो हम उसे अंजाने मे की गई गलती मानकर माफ करते जाते है और आने वाले समय मे वह इतनी बडी गलती कर देता है की जिससे हम बहुत पछताने लग जाते  है । तब जाकर हमे अहसास होता है की हमने इसे सिर पर बैठाया है इसी कारण से आज यह ‌‌‌हमे ऐसे दिन देखने पडे है । ‌‌‌इस तरह से आप समझ गए होगे की सिर पर चढ़ाना मुहावरे का अर्थ होता क्या है।

सिर चढ़ाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है


वैसे आपको तो पता ही होगा की सिर चढ़ाना एक मुहावरा है और इसका तात्पर्य होता है किसी ऐसे व्यक्ति को महत्व देना जो की पूरी तरह से अयोग्य हो और फिर स्वयं ही मुसीबत मोल लेना ।


इस बात का मतलब होता है की ऐसे बहुत से लोग है जो की ऐसा करते है। तो आपको ‌‌‌बता दे की जो ऐसा करते है यानि किसी ऐसे व्यक्ति को महत्व देने लग जाते है जो की उस महत्व के काबिल नही होता है और उसके कारण से फिर जीवन में किसी तरह की मुसीबत आती है तो इसे ही सिर चढ़ाना कहा जाता है और इस बारे में तो आपको पता होना बनता है ।

‌‌‌वैसे ऐसा आज के युग में हो रहा है क्योकी बहुत से ऐसे लोग है जो की बिना किसी योग्यता के लोगो को काम दे रहे है और फिर उनके कारण से ही मुसीबत आ जाती है तो इसे ही कहते है सिर चढाना ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।