सिर पर भूत सवार होना मुहावरे का अर्थ व वाक्य व कहानी

सिर पर भूत सवार होना मुहावरे का अर्थ sir par bhoot sawar hona muhavare ka arth – धुन सवार होना या रट लगाना

दोस्तो ‌‌‌आप लोगो ने यह देखा होगा की एक छोटा बच्चा किसी भी चिज की रट लगाने लग जाता है । उसके लिए यह जरुरी नही की वह चिज खाने की हो या फिर उसके काम की हो या नही बिल्कुल इसी तरह से जब कोई व्यक्ति किसी चिज की रट या ‌‌‌उस पर धुन सवार हो जाती है ‌‌‌तब उसे जब तक वह चिज नही मिलती ‌‌‌तब ‌‌‌तक वह चुप नही होता है ।

तो इस तरह से जब किसी चिज की रट लगाई जाता है ‌‌‌तो इसे सिर पर भूत सवार होना ‌‌‌कहते है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ धुन सवार होना या रट लगाना होता है ।

सिर पर भूत सवार होना मुहावरे का अर्थ व वाक्य व कहानी

सिर पर भूत सवार होना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌तुम पर क्या भूत सवार हो गया है जो दिन रात इसी काम मे लगे हो ।
  • ‌‌‌लगता है की लखनसिंह के सिर पर भूत सवार हो गया है जिस कारण से वह दिन और रात लोगो की मदद करता रहता है ।
  • पता चलता है की तुम्हारे सिर पर भूत सवार है ।
  • प्रशांत के सिर पर भूत सवार होते देर नही लगती है वह एक काम मे लग जाता है तो उसे पूरा ‌‌‌कर कर ही दम लेता है ।
  • विदेश जाने की ऐसी रट लगाने को सिर पर भूत सवार होना कहते है ।
  • सिर पर भूत सवार ‌‌‌तुम्हारे हो रहा है और मार हमे पडे यह तो बहुत नाइंसाफी है ।

सिर पर भूत सवार होना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक धनवान सेठ रहा करता था । उसके पास इतना धन था की वह और उसकी सात पुस्ते आराम से अपना पेट घर पर बैठ कर भर सकती थी । फिर भी धनवान सेठ और धन कमाना चाहता था । वह धन का बहुत ही लालची था ।

सेठ ने आभुषणो की दुकान खोल रखी थी और साथ ही उसमे हिरे जैवरात भी ‌‌‌रख रखे थे । उस समय बाकी धनवान लोग उस सेठ के पास से ही हिरे जैवरात और न जाने क्या क्या खरीदते थे । क्योकी सेठ ने एक साथ कई दुकाने खोल रखी थी । सेठ के घर मे उसकी पत्नी और एक बेटा रहता था ।

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बेटा अभी छोटा ही था तब सेठ ने उसे अच्छी पढाई देने के लिए शहर मे अच्छे धनवान लोगो के गुरुकुल मे ‌‌‌भेज ‌‌‌दिया था । सेठ का बेटा रोजा गुरुकूल ‌‌‌से अपने घर नही जा सकता था । क्योकी वहां की मान्यता ‌‌‌थी की जो भी कोई यहां पर पढे वह हमारे बिच मे रहकर पढे यानि गुरुकूल मे ही रहे । उस गुरुकूल मे बच्चे धनवान लोगो के ही थे ।

इस कारण से किसी को भी अपने आप पर इतना अधिक घमण्ड नही होता की मैं धनवान हूं । साथ ही वहां के गुरुओ ने उन सभी बालको को पहली शिक्षा यही दी की आप मे से किसी पर भी किसी बात का घमंड तक नही आना चाहिए ।

वे रोजाना इस बात को बच्चो को बताते रहते थे । जिसके कारण उन बच्चो को यह बात याद हो गई और वे कभी भी अपने आप पर घमण्ड नही करते थे । गुरुकूल मे ज्ञानी गुरू यानि जिनको ‌‌‌ज्ञान के साथ साथ अस्त्र शस्त्र का भी ज्ञान हो ऐसे गुरू वहां पर रहा करते थे ।

जिसके कारण उन बच्चो को यह भी शिक्षा मिली की ‌‌‌जितनी हो सके ‌‌‌उतनी लोगो की मदद करनी चाहिए । इस तरह से काफी समय तक ज्ञान हासील करने के कारण सेठ के बेटे को घर भेज दिया था । क्योकी उसने अपना ज्ञान पूरा कर लिया था । जब वह घर आया ‌‌‌तो वह काफी बढा हो गया था ।

अपने घर मे आने के बाद वह अपने पिताजी के साथ सेठ का काम करने लगा था । जिसके कारण उन दोनो ने 10 वर्षो तक साथ काम किया और खुब धन कमाया था । दस वर्ष के बाद ‌‌‌उसके पिताजी की मृत्यु हो गई थी और अब सेठ का ‌‌‌बेटा काफी अधिक बडा हो गया था या फिर यह समझ सकते है की वह एक आदमी बन ‌‌‌गया था ।

एक दिन की बात है वह काम कर कर अपने घर जा रहा था तो उसने रास्ते मे ‌‌‌देखा की तिन बच्चे जिनकी एक आख नही है एक पैर नही है साथ ही एक हाथ नही है वे रास्ते पर लोगो से भीख माग रहे थे ।

यह देखकर सेठ के बेटे को बहुत ही बुरा लगा और उसे दुख भी हुआ की इतने छोटे बच्चो के साथ यह सब हो रहा है । तब ‌‌‌उसे अपने गुरू की बात याद आ गई थी उन्होने कहा था की किसी की जितनी हो सके उतनी मदद कर देना ।

तब सेठ के बेटे ने उन बच्चो को अपने साथ ले गया और एक घर ‌‌‌खरीद कर उन बच्चो को वहां पर ‌‌‌रहने को कहा था । उस घर पर सेठ के बेटे ने लिखा था दुखियो का आसरा । अब सेठ के बेटे ने समाज सेवा करनी शुरु कर दी थी ।

अब ‌‌‌जब भी उसे समय मिलता वह उन बच्चो की मदद कर देता था । मदद होने के कारण वहां पर अनेक लोग और बच्चे भी रहने को आ गए थे । तब सेठ के बेटे ने उन्हे भी अपने साथ रख लिया था । जब इस बारे मे सेठ की पत्नी को पता चला तो उसने अपने बेटे से कहा की तुम्हारे सिर पर क्या भूत सवार हो गया है जो तुम ऐसे लोगो की ‌‌‌मदद करने मे लगे हो ।

तब उसने कहा की मां इन लोगो का कोई नही है और ऐसे लोगो की मदद करनी चाहिए । तब उसकी मां ने उसे कहा की बेटा इन लोगो के लिए पैसे बहाने के लिए तुम्हो पिताजी ने इतनी मेहन्त नही की थी । तभी उसने कहा की मां आप कुछ भी कह लो पर मैं इन लोगो की मदद करता ही रहुगा ।

ऐसा कहते हुए वह ‌‌‌अपने कमरे मे गया और वहां पर जाकर सो गया था । जब शुबह हुई तो वह रात्री को ही स्नान कर कर उन लोगो से मिलने के लिए चला गया था । अब से वह अपना काम देखने के लिए भी समय पर नही जाता था ।

सिर पर भूत सवार होना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

तब एक दिन सेठ के बेटे के पास जो लोग काम करते है उन लोगो को इस बारे मे पता चला तो वे सभी आपस मे बात करने लगे की ‌‌‌आजकल तो इसके सिर पर भूत सवार हो गया है जो यह समाज सेवा मे लगा है ।

इस तरह से सेठ का बेटा उन लोगो की मदद करता ही रहा था । इस तरह से आप समझ गए होगे की सिर पर भूत सवार होना मुहावरे का अर्थ किसी काम की रट लगाना या धुन सवार होना होता है ।

सिर पर भूत सवार होना मुहावरे पर निबंध || sir par bhoot sawar hona essay on idioms in Hindi

दोस्तो sir par bhoot sawar hona एक ऐसा मुहावरा है जिसके बारे में आपने अभी तक काफी कुछ जान लिया है । जैसे की सबसे पहले हमने आपको यह मुहावरा समझाने का प्रयास किया था और वही पर आपको फिर हमने एक कहानी प्रदान की थी जिसे शायद आपने पढा है ।

अगर आपको लगता है की sir par bhoot sawar hona मुहावरे पर जो कहानी थी वह किसी काम की नही है तो आपको बता दे की कहानी असल में आपको मुहावरा समझाने का प्रयास कर सकती है । क्योकी कहानी में साफ साफ sir par bhoot sawar hona मुहावरे का प्रयोग किया गया है ।

दोस्तो जैसे की आपने कहानी में पढा था की सेठ का बेटा लोगो की मदद करने लगा है तो फिर सेठ के बेटे के लिए कहा जाने लगा की क्या इसके सिर पर भूत सवार हो गया है तो आप इस बात से समझे की कहानी में बार बार मदद करने की रट लगाई जा रही थी और सेठ का बेटा बार बार मदद कर रहा था जो की धुन सवार होना या रट लगाना की तरह ही था और यही इस मुहावरे का सही अर्थ है ।

नीचे जिन मुहावरों की लिंक दी जा रही है वे अकसर लोग जानना चाहते है और महत्वपर्ण भी है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।