मैं समझाता हूं आपको, मुँह चुराना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

मुँह चुराना मुहावरे का अर्थ muh churana muhavare ka arth – सम्मुख आना

दोस्तो जब किसी से कोई गलती हो जाती है जिसके कारण वह अपने आप को उस व्यक्ति से दूर रखने की कोशिश करता है । साथ ही जब किसी से कोई गलती होती है तो उसे उस ‌‌‌गलती की सजा भी मिल जाती है । या फिर यह भी हो सकता है की वह अपने आप उस व्यक्ति के सामने नही आता है । यानि उसके सम्मुख नही आता है । इस तरह से जब कोई व्यक्ति किसी के सामने सा सम्मुख न आए तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

मुँह चुराना का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग व कहानी

मुँह चुराना का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌इस तरह से मुंह चुराकर कब तक अपनो से दूर रहोगे अपनी गलती मान कर घर चलो ।
  • मैं कई ‌‌‌दिनो से देख रहा हूं की तुम श्यामजी से मुंह चुराए फिर रहे हो ।
  • अगर तुमने पुलिस वाले को मारा नही होता तो आ मुंह चुराना नही पडता ।
  • सेठ के बेटे को मारने के कारण तुम उनसे मुंह चुरा रहे हो क्या जाकर उनसे माफी माग लो वे ‌‌‌बडे दयालू है माफ कर देगे ।
  • पिताजी ने तो तुमको ऐसे ही बुरा भला कह दिया और तुम उनसे मुंह चुराए फिर रहे हो ।
  • जब बेटा कोई गलत काम कर देता है ‌‌‌तब ही वह पिता से मुंह चुराता है ।
  • प्रणवीर राधेश्याम से मुंह चुरा रहा है हमे क्या पता नही ।
  • भाई श्याम तुमसे किसी बात के लिए मुंह चुराते फिर रहा है जरा ‌‌‌हमे भी बता दो ।

‌‌‌मुंह चुराना मुहावरे पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक धनवान सेठ रहा करता था । सेठ बडा दयालू था वह कभी भी किसी का गलत नही सोचता था । अगर सेठ के साथ किसी ने गलत भी कर दिया होता तो सेठ उसके माफी मागने पर उसे भी माफ कर देता था । सेठ के घर मे उसके अलावा उसकी पत्नी ही रहती थी ।

उसके ‌‌‌घर मे और कोई भी नही रहता था । उसका एक भाई और था जो भी सेठ के जैसा ही था वह भी किसी का बुरा नही सोचता था । सेठ के भाई के घर मे उसके दो बेटे और उसकी पत्नी थी । ‌‌‌सेठ और उसका भाई दोनो अलग अलग रहते थे ।

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इस कारण से जो भी किसी के पास धन आता वह उसके पास ही रहता था । सेठ अपना काम बहुत समय पहले से करता आ रहा था इस ‌‌‌इस कारण से उसके पास पहले से ही पैसे रहने शुरू हो गए थे । धिरे धिरे समय बित गया और सेठ के पास गाव के लोग भी मदद मागने के लिए आ जाते थे ।

तब सेठ गाव के लोगो की समस्या सुनने लगा और उनकी मदद करने लगा था । इस तरह से सेठ गाव का प्रधान बन गया था । अब सेठ जो भी कहता पूरा गाव मान लेता था साथ ही जो लोग ‌‌‌सेठ की बात नही मानते उन लोगो की गाव के लोग कभी भी मदद नही करते थे ।

इस तरह से प्रधान बने हुए सेठ को कई वर्ष बित गए थे और अब सेठ की ‌‌‌उमर भी ज्यादा होने लगी थी । तब सेठ को लगा की मुझे मेरे भाई के दो बेटो मे से एक बेटे को गोद ले लेना चाहिए । ऐसा सोचकर सेठ ने अपने भाई से इस बारे मे बात की तो उसका ‌‌‌भाई मान अपने एक बेटे को गोद देने को राजी हो गया था ।

तब सेठ ने छोटे बेटे को गोद ले लिया था । छोटे बेटे का नाम महावीर था । वह नाम के अनुसरा महान तो नही था पर वह इतना बुरा भी नही था । अब महावीर सेठ के पास रहने लगा था और जब लोग सेठ के पास आते तो लोग कहते की प्रधान जी घर पर है की नही ।

यह सुनकर ‌‌‌पहली बार महावीर ने पूछा कोन प्रधान जी यहां पर तो सेठ रहता है । तब गाव के एक आदमी ने कहा की बेटा हम तुम्हारे सेठ को ही प्रधान जी कहते है । तब महावीर को पता चल गया की सेठ गाव का प्रधान है ।

महावीर को सेठ के पास रहते हुए कुछ ही दिन बिते थे की एक बार महावीर ने सेठ को किसी बात के कारण सुना दिया ‌‌‌तब सेठ को लगा की यह अभी बच्चा है बडा होगा तब इसे मेरी बाते समझ मे आ जएगी । धिरे धिरे समय बित गया और महावीर को सेठ के पास रहते हुए अब दो महिने हो गए थे ।

तब सेठ ने एक दिन सोचा की यह क्या मेरी सेवा कर लेगा । तब सेठ ने उसकी परीक्षा लेने की सोची ‌‌‌और सेठ ने महावीर को अपने पास बुलाया और कहा की ‌‌‌बेटा आज मैं तो बहुत बिमार हूं । आज तुम्हे ही खाना बनाना होगा और तुम ही मेरी सेवा करोगे ।

तब महावीर को भी लगा की सेठ बिमार है इस कारण से उसने बहुत ही मेहन्त के साथ सेठ की दिन रात सेवा की । इस तरह से सेवा करते हुए महावीर को एक दिन तो बित गया था पर दुसरे दिन सेठ ने उसे किसी बात पर डाट दिया ‌‌‌था ।

जिसके कारण महावीर ने उन्हे बुरा भला कह दिया और उनसे झगड कर वह वहां से चला गया था । अब वह वापस अपने माता पिता के पास ही रहने लगा था । तब महावीर ‌‌‌से उसके पिता ने बहुत बार पूछा की क्या बात हुई तुम वापस इस घर मे क्यो आ गए ।

तब महावीर ने अपने पिता को कुछ भी नही बताया । और जब महावीर के पिता ‌‌‌ने अपने भाई से इस बारे मे पूछा तो उन्होने भी उसे कुछ नही बताया । धिरे धिरे समय बित गया और अब महावीर को अपनी गलती का पश्चाताप होने लगा था । जिसके कारण से महावीर सेठ से मुंह चुराने लगा था ।

अब सेठ जब भी महावीर को कही पर दिख जाता तो महावीर वही से दूर चला जाता था । एक दिन की बात है सेठ ‌‌‌महावीर के घर आया तब महावीर भी वही पर था । जब महावीर ने सेठ को अपने घर मे देखा तो वह अपने घर से चुप चाप बाहर चला गया था ।

‌‌‌मुंह चुराना मुहावरे पर कहानी Idiom story

तब उसके पिता को यकिन हो गया की जरुर महावीर ने कुछ गलत किया है तभी तो यह सेठ से मुंह चुरा रहा है । जब महावीर अपने घर ‌‌‌में वापस आया तो उसके पिता ने उससे कहा की बेटा जो भी गलती हो गई हो जाकर ‌‌‌सेठ से माफी माग लो इस तरह से उनसे मुंह चुराते कब तक रहोगे ।

वे बडे दयालू है माफ कर देगे । अपने पिता की ऐसी बात सुनकर महावीर ने हिम्मत की और सेठ के पास गया और उसके पास जाकर कहा की आप मुझे क्षमा कर दो मैंने आप का बडा अपमान किया है ।

ऐसा सुनकर सेठ रो पडा और बोला बेटा इसमे तुम्हारी अकेले की गलती ‌‌‌नही इसमे मरी भी गलती है । इस तरह से सेठ ने उसे माफ कर दिया था । तब महावीर ने सोचा की मै ‌‌‌तो इनसे दूर ऐसे ही भाग रहा था पर इन्होने मुझे पल भर मे माफ कर दिया है । 

फिर दोनो एक ही घर मे आराम से अपना जीवन गुजारने लगे । इस तरह से आप लोगो को समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

मुँह चुराना मुहावरे पर निबंध || muh churana essay on idioms in Hindi

साथियों आपको पता है की जब हम कुछ गलत कर देते है और हमे पता चलता है की हमने जो कुछ किया है वह गलत होता है तो फिर हम सामने वाले से नजर नही मिला पाते है ।

जैसे की कहानी में महावीर के बारे में बताया गया था जिसने सेठ को भला बुरा कहा था और जब महावीर को यह अहसास हुआ की उसने सेठ को बुरा भला कह कर गलत कर दिया है तो इससे महावीर को बुरा लगा । और इसके बाद में महावीर सेठ से नजरे नही मिला पाता था ।

जिसके कारण से सेठ जहां पर भी महा​वीर को नजर आता था तो वह सेठ से मुंह चुरा कर दूर चला जाता था । मतलब सेठ के सम्मुख नही आता था । और आप केवल इस कहानी के आधार पर समझ सकते है की इस मुहावरे का अर्थ सम्मुख न आना होता है ।

क्योकी इस बारे में कहानी में काफी अच्छी तरह से बताया गया है और जिसे आप समझ सकते है ।

नीचे जिन मुहावरों की लिंक दी जा रही है वे अकसर लोग जानना चाहते है और महत्वपर्ण भी है ।

अक्ल के घोड़े दौड़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आवाज उठाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मक्खी मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

चैन की बंशी बजाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आग बबूला होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

भीगी बिल्ली बनना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

जान हथेली पर रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

लाल पीला होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अंधे की लाठी मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अंगूठा दिखाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नौ दो ग्यारह होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नाकों चने चबाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

नाक में दम करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

दाल न गलना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

कमर कसना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

हाथ साफ करना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

होश उड़ जाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

ऊंट के मुंह में जीरा मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सिर चढ़ाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

लोहा मानना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आँखें चुराना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आंखों में खटकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आँखें चार होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आँख भर आना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अंगारे बरसना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अंगारों पर पैर रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

उड़ती चिड़िया पहचानना मुहावरे का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

उल्टी गंगा बहाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।