तू डाल-डाल मैं पात पात मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

तू डालडाल मैं पात पात मुहावरे का अर्थ tu dal-dal me pat pat muhavare ka arth – अगर तूम श्रेष्ठ हो तो मैं अतिश्रेष्ठ हूं

दोस्तो एक पेड़ को देखने से पता चलता है की उसमे टहनियां या डाल कम है । वही एक डाल पर पत्तियों की सख्या काफी अधिक है। यानि पेड़ की अगर टहनियां श्रेष्ठ ‌‌‌या उत्तम है । तो पात या पत्ते अतिश्रेष्ठ या अतिउत्तम है । इस तरह से अगर किसी जगह एक के बढकर एक होता है अर्थात् एक श्रेष्ठ होता है तो दूसरा अतिश्रेष्ठ होता है वहां इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

तू डाल-डाल मैं पात पात मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

तू डाल डाल मैं पात पात मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग tu dal dal me pat pat muhavare ka vakya me prayog

  • राजवीर ने चालाकसिंह को भी चालाकी से पकड लिया वहां क्या बात है तू डाल डाल मैं पाता पात ।
  • आतकवादी अगर सच नही उगल रहे है तो रामप्रताब को ‌‌‌बुलाकर लेकर आओ वह सब सच उगलवा लेगा क्योकी तू डाल डाल मैं पात पात । ‌‌‌
  • राजवीर जब से पुलिस मे भती हुआ है ‌‌‌तब से आसपास के इलाको मे कोई चोरिया नही होती क्योकी तू डाल डाल मैं पात पात ।
  • हिरे की चोर मे महेश ने कुछ चोरो को पकड कर असली चोर का पता लगा लिया और फिर चोर से कहा की तू डाल डाल मैं पाता पात ।
  • रामू परिक्षा मे चिटिंग कर रहा था पर उसे आज तक किसी ने नही पकडा मगर हरीदेव ने उसे एक पल मे पकड लिया ‌‌‌और रामू से कहा की तू डाल डाल मैं पाता पात ।
  • ज्ञानराम के सामने अपने ज्ञान को मत झाडना वराना हमारा भांडा फुट जाएगा क्योकी तू डाल डाल वह पात पात है ।
  • सेठ ने गाव के लोगो को लडाई करते देखा तो कहा की तू डाल डाल मैं पात पात सही तरह से लडाई झगडा बन्द करो वरना मैं कुछ और करूगा ।
  • ‌‌‌किसन अगर चोर है तो उसके पिता उससे भी बढकर है उनके यहां तू डाल डाल मैं पात पात वली बात है ।
  • सेठ अपने आप को ज्ञानी समझ कर गाव में आग लगा दी ‌‌‌परन्तु गाव के लोगो ने भी उसे ऐन मोके पर पकड लिया सच है तू डाल डाल मैं पात पात ।

‌‌‌तू डाल डाल मैं पात पात मुहावरे पर कहानी tu dal dal me pat pat muhavare par kahani

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे अनेक लोग रहा करते थे । उस नगर मे चारो तरफ हरियाली थी मगर एक ओर घना जंगल भी दिखाई देता था । उस नगर का नाम घटवली था । उस समय घटवली मे कोई भी विधालय नही था । जिसके कारण से कोई भी ज्ञान हासिल नही कर सका ।

परन्तु जो ‌‌‌बडे बुढे थे वे लोग ही गाव के छोटे बच्चो को शिक्षा के तोर पर कहानिया सुनाया करते थे । उसी गाव मे एक व्यक्ति ऐसा था जो छोटे बच्चो का मन बहनाने के लिए उन्हे कहानिया सुनाया करता था ।

एक दिन की बात है उस बुड्डे आदमी के पास कुछ बच्चे बैठ कर जीद कर रहे थे की हमे कहानी सुनाओ हमे कहानी सुनाओ । ‌‌‌उनके इस सोर सराबे को देख कर गाव के कुछ लोग जो इधर से उधर जा रहे थे वे भी उस आदमी के पास आ गए । तब उन लोगो ने भी उस वृद्ध आदमी से कहा की दादाजी कहानी तो बनती है ।

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यह कहने पर वह आदमी उन बच्चो को कहानी सुनाने के लिए तैयार हो गया था । तब वे लोग भी उसके पास बैठ गए और कहानी सुनने लगे । तब उस वृद्ध ‌‌‌आदमी ने कहानी शुरू करते हुए कहा की एक बार की बात है मैं अपने घटवली नगर से दूर किसी काम के लिए दूसरे राज्य मे चला गया था ।

वहां के लोग काफी शिक्षित थे । इस कारण से हर कोई अपने आप को ज्ञानी मानता था । परन्तु मैं वहा पर कई वर्षो तक रहा, मैं जिस व्यक्ति के पास रहा उसका नाम नटवरलाल था ।

नटवरलाल बहुत ही ज्ञानी थे परन्तु यह कोई देख कर नही बता पता था । और इस बारे मे मुझे भी कुछ पता नही था । परन्तु एक बार नटवरलाल के घर मे कुछ चोर आ गए । क्योकी नटवरलाल धनवान था ।

वे ही उस गाव का सरा धन अपने पास हिफाजत से रखा करते थे । इस कारण से चोर उस धन को लूटने के लिए ही नटवरलाल के ‌‌‌के घर मे आए थे । नटवरलाल की एक खासियत थी की जब भी कोई उनके घर आता तो वे आंख ‌‌‌बंद कर बता देते की कोन है और कोई स्त्री है या पुरूष ।

मगर रात का समय था इस कारण से नटवरलाल सो रहे थे । नटवरलाल के पास एक काली बिल्ली थी । जो नटवरलाल के घर मे ही रहा करती थी । जब वे चोर नटवरलाल के घर मे आए तो बिल्ली ‌‌‌को पता चल गया की उसके घर मे कोई न कोई आया है । तब वह बिल्ली नटवरलाल को जगने लग गई ।

क्योकी बिल्ली जब भी कोई समस्या होती उसी समय नटवरलाल को जगाया करती थी । इस कारण से रात को बिल्ली के जगाने से नटवरलाल समझ गया की जरूर कुछ न कुछ है । तब नटवरलाल आराम से अपने मन को शांत कर कर अपने घर मे होने ‌‌‌वाली चहल पहल को सुनने लगा ।

तब उसे सुनाई दिया की दो व्यक्ति आपस मे बात कर रहे है की नटवरलाल को मैं ‌‌‌अच्छी तरह से जानता हूं वह अपना धन तिजारी मे ही रखता है । इस तरह की बात सुनने पर उसे पता चल गया की कोई उसके गाव का ही है जो उसका धन चुराने के लिए आया है ।

तभी उसे उस व्यक्ति की बदबू आने लगी ‌‌‌जिससे उसे पता चल गया की कोई दो पुरूष है । इस कारण से फिर नटवरलाल छुप छुप कर उनकी बात सुनने ‌‌‌लगा । तब नटवरलाल ने मुझे भी जगा दिया और अपने साथ कर लिया । तब हम दोनो उन चोरो को देख रहे थे ।

की दोनो चोरो ने नटवरलाल का धन चुरा लिया । यह देख कर मैंने नटवरलाल से कहा की वे चोर आपका धन चुरा रहे है और ‌‌‌आप खडे खडे देख रहे हो । तब नटवरलाल ने कहा की जरा चुप रहो नही तो चोर को पता चल जाएगा की हम उन्हे देख रहे है ।

इस तरह से नटवरलाल के कहने पर मैं चुप हो गया परन्तु जब वे चोर घर से धन चुराकर जाने लगे तो मैंने फिर कहा की चोर चोरी कर कर जा रहे है आखिर आप कुछ कर क्यो नही रहे हो । ‌‌‌इस तरह से कहने पर नटवरलाल ने कहा की चलो उनका पिछा करते है ।

यह सुनकर मुझे लगा की आखिर नटवरलाल उन्हे पकडना चाहता है । परन्तु आखिर मे जब चोर अपने घर चले गए तो नटवरलाल चुप चाप अपने घर आ गया । तब भी मैंने नटवरलाल से पूछा परन्तु उन्होने मुझे कुछ नही बताया और अगले ही दिन गाव के लोगो मे घोषणा की, ‌‌‌की मुझे दो दिनो के लिए बहुत अधिक रूपय चाहिए है ।

अरग वह कोई गाव का एक आदमी दे देगा तो मैं दो दिनो बाद उसे दुगने रूपय दूगा । यह सुन कर गाव के लोग कहने लगे की आखिर चाहिए कितने । तब नटवरलाल के जीतने पैसे चोरी हुए थे उतने ही बताए । यह सुन कर गाव के लोग कहने लगे की इतने पैसे हमारे पास कहा से ‌‌‌आएगे ।

परन्तु वे चोर भी इस बात को सुन रहे थे । तब उन दोनो को पैसो का लालच आ गया । परन्तु गाव के लोगो के सामने वे नटवरलाल को पैसे नही दे सकते थे । वरना गाव के लोगो को पता चल जाता की ‌‌‌इन्होने जरूर कुछ गलत काम किया है ।

इस कारण से छुप पर नटवरलाल को पैसे दे दिए । तब नटवरलाल ने पैसे ले लिए और वापस ‌‌‌उन पैसो को तिजोरी मे रख लिया । जब दो दिन बिते तो वे दोनो चोर नटवरलाल के पास आकर अपने पैसे मागने लगे । तब नटवरलाल ने कहा की कोनसे पैसे ‌‌‌तुमने मुझे कब दिए थे ।

तब वे दोनो चोर कहने लगे की हमने उस दिन आपको दिए थे । यह सब देख कर मैं बहुत ही हेरान हो रहा था परन्तु मुझे कुछ समझ मे नही आया। जब ‌‌‌आखिर मे उन चोरो ने कहा की पैसा हमे दे दो वरना गाव के लोगो को बता दुगा ।

तब नटवरलाल ने कहा की ठिक है बता दो । तभी उन चोरो मे से एक बोला की गाव के लोगो को बताएगे तो वे कहगे की ‌‌‌तुम्हारे पास इतने पैसे कहा से आए तो हम क्या जबाब देगे। यह मैंने भी सुन लिया था। ‌‌‌तभी नटवरलाल की बात को मैं समझ गया और मन ही मन सोचने लगा की सच मे नटवरलाल ‌‌‌ने चोरी किया हुआ धन वापस पा लिया है, यह तो वही बात हुई तू डाल डाल तो मैं ‌‌‌पात पात

इस तरह से अंत मे वे चोरा गाव के लोगो को कुछ नही कह रहे थे । क्योकी उन्हे पता चल गया की जरूर नटवरलाल को पता है की हमने उसके घर मे चोरी की है ‌‌‌तभी इसने पैसो का लालच दे कर हमसे पैसे वापस ले लिए ।

‌‌‌तू डाल डाल मैं पात पात मुहावरे पर कहानी tu dal dal me pat pat muhavare par kahani

इस तरह से वे चोर सोचने लगे की नटवरलाल तो बडे ही चालाक है वही हुआ तू डाल डाल मैं पात पात । इस तरह से सोच कर वे चोर नटवरलाल से फाफी मागने लगे और कहा की ‌‌‌फिर कभी हम चोरी नही करेगे ।

इस तरह से उस दिन नटवरलाल ने उन दोनो चोरो को सबक सिखा दिया और उनसे ‌‌‌चोरी भी छुटवा दी । इस तरह की कहानी सुन कर घटवली गाव के वे लोग उस बुड्डे आदमी से पूछने लगे की तो नटवरलाल तो बडे ही माहिर निकले ।

तब उस आदमी ने कहा की हां वे बडे ही चालाक थे परन्तु उन्हे देख कर कोई ऐसा नही कह सकता था और अपने जीवन मे इसी तरह का बनना चाहिए । ताकी चोरो की चोरी भी चालाकी से छीन ‌‌‌ले ।

इस तरह की कहानी सुनने के बाद सभी बच्चे और वे लोग वहा से चले गए । इस तरह से आपको पता चल गया होगा की इस कहानी से मुहावरे का अर्थ क्या है ।

तू डाल-डाल मैं पात पात मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of tu dal-dal me pat pat in Hindi

दोस्तो इस मुहावरे के अर्थ के बारे में आपको पता चल गया होगा क्योकी आपने अभी उपर इतना कुछ पढा है जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है की आपको इस मुहावरे के अर्थ के बारे में अभी तक पता चल चुका है ।

मगर दोस्तो आपको बता दे की यह मुहावरा अगर तूम श्रेष्ठ हो तो मैं अतिश्रेष्ठ हूं होने के बारे में बताता है । और इसका मतलब है की अगर कही पर अगर तूम श्रेष्ठ हो तो मैं अतिश्रेष्ठ हूं होने की बात होती है तो वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जा सकता है जो की आपने उपर पढा है तो यह समझ गए है ।

और इसी छोटी सी बात के कारण से आप इस बात को समझ सकते है की इस tu dal-dal me pat pat muhavare ka arth – अगर तूम श्रेष्ठ हो तो मैं अतिश्रेष्ठ हूं होता है ।

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Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।