आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास मुहावरे का अर्थ

आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास मुहावरे का अर्थ aaye the haribhajan ko otan lage kapas muhavare ka arth – किसी महत्वपूर्ण कार्य का लक्ष्य बना कर किसी तुच्छ कार्य को करना ।

‌‌‌दोस्तो हरी भगवान विष्णु को कहा जाता है और हरी भजन का मतलब है की भगवान विष्णु का भजन कृतन करना और उनके ध्यान में खो जाना । इस तरह से हरी भजन करना एक बहुत ही अच्छा कार्य होता है और मनुष्य के लिए काफी अधिक उपयोगी होता है । जिसके कारण से इसे महत्वपूर्ण कार्य कहा जाता है । वही ‌‌‌पर कपास ओटने का मतलब होता है की कपास के पेड़ ‌‌‌पर लगने वाले बिनौलो को कपास से अलग करना । जिसके लिए ओटनी का उपयोग होता है ।

इस तरह से हरी भजन और कपास ओटना दोनो ही काफी अधिक विपरित कार्य होते है । क्योकी हरी भजन एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसकी तुलना कपास ‌‌‌ओटने के साथ नही की जा सकती बल्की ‌‌‌कपास ओटना तो हरी भजन के आगे एक तच्छ कार्य होता है ।

मगर जब हरिभजन का लक्ष्य बनाकर कोई व्यक्ति आता है और वह आकर कपास ओटने लग जाता है तो वह अपने लक्ष्य को भूल जाता है और उसके लिए कहा जाता है की यह किसी महत्वपूर्ण कार्य का लक्ष्य बना कर किसी तुच्छ कार्य को करने लगा है । और यही इस मुहावरे ‌‌‌का अर्थ होता है यानि किसी महत्वपूर्ण कार्य का लक्ष्य बना कर किसी तुच्छ कार्य को करना ।

आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास मुहावरे का वाक्य में प्रयोग (use of idioms in sentences)

  • महावीर प्रसाद विदेश पैसे कमाने के लिए गया था मगर गलत कार्यों में पड गया यही है आए थे हरिभजन को ओटने लगे कपास ।
  • किशोर बैंक में पैसे जमा करवाने के लिए गया था मगर वहां जाकर झगडा करने लगा जिसके कारण से उसे पुलिस ने पकड लिया तब उसे समझ ‌‌‌आया आए थे हरिभजन को ओटने लगे कपास ।
  • प्रताब अपने भाई को पुलिस से छूटवाने के लिए वकिल के साथ गया था मगर वहां जाकर पुलिस वाले से ही झगडा कर लिया जिसके कारण से प्रताब को भी जेल में डाल दिया सच है आए थे हरिभजन को ओटने लगे कपास ।
  • सरला भगवान राम के भजनकृतन करने के लिए राम मंदिर में गई ‌‌‌थी । मगर वहां जाकर लोगो की बुराईया करने लगी इसे कहते है आए थे हरीभजन को ओटने लगे कपास ।
  • लीलावती अपनी मां से मिलने के लिए मायके गई थी मगर वहां जाकर जमीन का बटवारा मागने लगी तब लीलावती के पति ने कहा आए थे हरिभजन को ओटने लगे कपास ।
  • रिया और महेश एक साथ फिल्म देखने के लिए थिएटर गए थे मगर वहा ‌‌‌जाकर लोगो के साथ झगडा कर बैठे तभी कुछ लोगो ने कहा आए थे हरिभजन को ओटने लगे कपास
  • पंकज जॉब का पेपर देने के लिए शहर गया था मगर वहां जाकर पंकज शहर में इधर उधर ‌‌‌घूमने लगा और पेपर दिया नही यही है आए थे हरीभजन को ओटने लगे कपास ।

‌‌‌आए थे हरिभजन को ओटने लगे कपास मुहावरे पर कहानी

दोस्तो एक समय की बात है किसी नगर में सुखलाल नाम का एक व्यक्ति रहा करता था । जो की अपनी पत्नी बच्चो के साथ अपने घर में रहता था । सुखलाल गाव के एक सेठ के पास काम करता और अपना घर चलाता था । मगर इस तरह से काम करने के कारण से केवल व केवल सुखलाल ‌‌‌के घर में अन्न ही आ पाता था ।

मगर सुखलाल की पत्नी बडे घरआने से थी जिसके कारण से वह अच्छे अच्छे कपडे पहनना पसंद करती थी और अच्छे अच्छे आभुषण भी पहना करती थी। सुखलाल के विवाह में उसकी पत्नी को उसके पिता ने बहुत आभुषण दिए थे जो की सुखलाल की पत्नी हमेंसा ही उन्हे अपने शरीर पर सजाए रखती ‌‌‌थी।

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इतने अधिक आभूषण और कपडे होने के बाद भी सुखलाल की पत्नी हमेंशा ही सुखलाल से एक ही बात कहती की वह कुछ आभुषण लाना चाहती है कुछ कपडे लाना चाहती है । क्योकी सुखलाल को मालूम था की उसके पास इतने अधिक पैसे नही है फिर भी वह अपनी पत्नी की बात मान लेता था ।

और किसी तरह से एक बार सेठ से उधार पैसे ‌‌‌लेकर अपनी पत्नी के लिए कपडे लेकर आ गया । मगर यह देख की सुखलाल की पत्नी जरा भी खुश नही हुई क्योकी वह आभूषण नही लाया था । भला इतना गरीब होने के बाद में वह महगे महगे आभूषण कहा से लेकर आ सकता था ।

मगर नही सुखलाल की पत्नी इसी बात को पकड कर बैठ गई और हमेशा ही घर में झगडा करती रहती थी । इस तरह से ‌‌‌जब से सुखलाल का विवाह हुआ था इसी तरह से चल रहा था और इस बात को कुल 3 वर्ष बित गए थे । मगर अभी भी सुखलाल की पत्नी की वही माग रहा करती थी । जिन्हे सुखलाल पूरा नही कर पाता था और हमेशा झगडा होने के कारण से वह परेशान हो चुका था ।

तभी एक दिन गाव में बडा उत्सव चल रहा था । ‌‌‌जिसमें एक संत आने वाला था और लोगो को प्रवचन देने वाला था । जिसके कारण से गाव के बहुत से लोग वहां पर जा बैठे थे । जब इस बारे में सुखलाल को पता चला तो वह भी सोचने लगा की साधू बाबा के प्रवच सुन लेगे तो क्या पता जीवन में कष्ट कम हो जाए ।

यही सोच कर सुखलाल अपने घर से प्रवचन सुनने के लिए चला गया । ‌‌‌कुछ ही समय के बाद में साधू बाबा आया और लोगो को ज्ञान की बाते बताने लगा । तब साधू बाबा ने कहा की हम इस जीवन में अनेक तरह की परेशानियो में फंसे रहते है और इन्हे दुर करने का केवल व केवल एक मात्र तरीका है हरि भजन ।

यह सुन कर बहुत से लोगो के दिमाग में बैठा की हरिभजन करना चाहिए । इस तरह से उस ‌‌‌दिन प्रवचन पुरा हुआ और सभी अपने घरो में चले गए । ‌‌‌अगले दिन जब सुखलाल सेठ के पास काम करने के लिए जा रहा था तो गाव के कुछ लोग मिले जो की अपनी अपनी परेशानिया एक दुसरे को बताने लगे थे।

तब सुखलाल ने भी कह दिया की पत्नी ने तो मुझे तीन वर्षों से परेशान कर रखा है वह कपडे मागती है आभूषण मागती है भला ‌‌‌इतने तो मैं पैसे ही नही कमा पाता हूं तो यह सब कहा से लेकर आउगा । तभी कुछ लोगो ने कहा की कल जो साधू बाबा आए थे जिन्होने कहा की जीवन के दुखो को दूर करने के लिए हरि भजन करना चाहिए ।

यह सुन कर सुखलाल वहां से चला गया और जैसे ही सेठ के पास पहुंचा तो सेठ को सुखलाल ने भजन करते हुए देखा । तब सुखलाल ‌‌‌ने सेठ से पूछा लिया की आप क्या कर रहे हो । तब सेठ ने सुखलाल से कहा की भाई मैं तो आज हरि भजन में लगा हूं । और जब से मैंने हरि भजन करना शुरू किया है तब से मेरा जीवन काफी अधिक खुशहाल हो गया है ।

यह सुन कर सुखलाल ने कहा की तो हरि भजन कैसे किया जाता है । इतने में सेठ के पास कोई काम आ गया और वह ‌‌‌काम करने के लिए चला गया था । जिसके कारण से सुखलाल सोचता रह गया की अगर मैं भी हरि भजन करने लग जाउ तो मेरे भी दूख दूर हो जाएगे ।

मगर सुखलाल को हरि भजन का मतलब नही मालूम था । जिसके कारण से सुखलाल को लगा की गाव के किसी लोगो से इस बारे में पूछा जाए । जब सुखलाल ने गाव के लोगो से इस बारे में पूछा ‌‌‌तो कोई कहने लगा की की भगवान हरि की पूजा करो कोई कहने लगा की हरि के भजन करो ।

मगर उसे अब भी समझ नही आया की आखिर किस तरह से हरि भजन किया जाता है । तभी उसे कुछ लोग बाते करते हुए दिखे जो कह रहे थे क साधू बाबा शहर में रहते है और हमेशा ही हरिभजन करते है । जीसे सुनने के लिए बहुत से लोग दूर दूर ‌‌‌से आते रहते है ।

यह सुन कर सुखलाल को लगा की साधू बाबा के पास ही जाना चाहिए। मगर वह अपने घर चला गया। मगर घर जाने के बाद में वही हमेशा की कहानी उसकी पत्नी कहने लगी की मुझे ‌‌‌नए गहने लाकर दो । और इसी बात को लेकर सुखलाल और उसकी पत्नी झगडा करने लग गए ।

तब सुखलाल तुरन्त अपने घर से निकल गया और अपनी ‌‌‌पत्नी को कह दिया की मैं शहर जा रहा हूं हरि भजन करने के लिए । और इस तरह से सुखलाल शहर के लिए रवाना हो गया था । कुछ दूरी पर जाने के बाद में सुखलाल को कुछ लोग मिल गए जिन्होने पूछा की भाई आज शहर किस लिए पत्नी के लिए कपडे लेकर आ रहे हो क्या और इतना कह कर वे लोग हंसने लगे ।

तब सुखलाल ने ‌‌‌कहा की नही भाई मैं तो हरि भजन करने के लिए जा रहा हूं । इतना कह कर सुखलाल वहां से चला गया और तभी फिर से उसे कुछ लोग मिल गए ‌‌‌जिन्हे भी सुखलाल ने वैसा ही जबाबा दिया जैसा पहले वालो को दिया था । इस तरह से सुखलाल शहर में पहुंच गया था । और वह इधर उधर घुमने लगा था और पता लगाने लगा की साधू बाबा कहा ‌‌‌रहते है ।

और इस बारे में वह लोगो से पूछ रहा था । जिसके कारण से लोग भी उससे पूछते की तुम वहां क्यो जा रहे हो तब वह कहता की हरि भजन के लिए । इस तरह से रात हो गई मगर सुखलाल को साधू बाबा का पता नही मिला । अगले दिन सुबह सुबह सुखलाल लोगो से वापस पता पूछने लगा तभी कुछ लोग उसे दिखे जो की एक साथ कही ‌‌‌जा रहे थे ।

तब सुखलाल ने उनसे पूछा तो उन्होने कहा की हमारे साथ आ जाओ हम बता देगे । इस तरह से सुखलाल उनके साथ साथ जाने लगा था । तब सुखलाल ने उन लोगो से पूछा की आप कहा जा रहे हो । तब उन लोगो ने कहा की हम काम करने के लिए जा रहे है और रात ‌‌‌तक काफी पैसे लेकर आ जाएगे ।

तब सुखलाल ने उनसे पूछा की दिन का ‌‌‌कितने रूपय ‌‌‌मिल जाते है । यह सुन कर उन लोगो ने कहा की भाई दिन का 300 रूपय मिल जाते है । तब सुखलाल सोचने लगा की मैं तो सेठ के पास काम करता हूं और मुझे 150 रूपय ही दिन के मिलते है । तब सुखलाल ने सोचा की मुझे भी काम कर लेना चाहिए । इस तरह से वह भी उन लोगो के साथ काम करने के लिए ‌‌‌चलने लगा ।

कुछ समय के बाद में उन लोगो ने कहा की भाई सुखलाल तुम्हे साधू बाबा इधर से सिधे जाने के बाद में एक मंदिर में मिल जाएगे । ‌‌‌मैं आपके साथ काम करने के लिए जाना चाहता हूं । आप मुझे भी अपने साथ काम करने के लिए लेकर चले जाओ । क्योकी मैं भी आपके साथ काम करना चाहता हूं ।

क्योकी उन लोगो को उनके सेठ ने कह रखा था ‌‌‌की मजदूरो को लेकर आना है । जिसके कारण से ‌‌‌वे लोग सुखलाल को अपने साथ लेकर चले गए । ‌‌‌कुछ दूरी चलने के बाद में एक गाव आया जहां पर वे सभी लोग काम करते थे । ‌‌‌तब सुखलाल ने लोगो को खेतो में काम करते हुए देखा । तब वह उन लोगो से पूछने लगा की यह क्या काम है । तब उन लोगो ने कहा की यह काम कपास ओटने का है । और हम सभी यही काम करते है ।

‌‌‌इस तरह से सुखलाल को पता चला की यहां पर कपास ओटने का काम चल रहा है । जिसके कारण से सुखलाल भी उनके साथ काम पर लग गया और इस तरह से जब रात होने लगी तो सभी ने काम छोड ‌‌‌दिया और सभी को 300 – 300 रूपय मिल गए थे । और इसी तरह से सुखलाल को भी 300 रूपय मिल गए थे ।

जिसके कारण से सुखलाल सोचने लगा की काम तो बडा अच्छा है मुझे दो दिनो की कमाई एक दिन में मिल रही है और क्या चाहिए । अगले दिन फिर जब सुखलाल काम करने के लिए गया तो उसे सेठ ने पूछा की तुम आखिर शहर किस ‌‌‌कारण से आए थे । तब सुखलाल ने पूरी बाते सेठ को बता दी ।

तब सेठ ने सुखलाल से कहा आए थे हरिभजन को ओटने लगे कपास । और जब कार्य खत्म हुआ तो सुखलाल अपने गाव चला गया और अपनी पत्नी के लिए कपडे लेकर चला गया । और अपनी पत्नी के पास जाकर कहने लगा की मुझे अच्छा काम मिला है अब तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी ‌‌‌होगी । इस तरह से पत्नी से कहा की मैं अब बहुत दिनो के बाद में वापस आउगा । और इसी तरह से फिर अगले दिन सुखलाल काम करने के लिए शहर चला गया और ‌‌‌उन लोगो के साथ उस गाव में काम करने के लिए जाने लगा और शहर में ही रहने लगा ।

इस तरह से सुखलाल वहां पर काम करने लगा था । मगर सुखलाल को जो भी उसके आने की कहानी पूछता वह कहता आए थे हरिभजन को ओटने लगे कपास

मगर सुखलाल ‌‌‌को अच्छा काम मिल गया था जिसके कारण से उसका जीवन बडा अच्छा चलने लगा था । इस तरह से आपको इस कहानी से मुहावरे का अर्थ समझ में आया होगा ।

‌‌‌क्या आपने कभी कपास ओटा था बताना न भूले ।

very very most important hindi muhavare

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