पहाड़ से टक्कर लेना का मतलब और वाक्य में प्रयोग व कहानी

पहाड़ से टक्कर लेना मुहावरे का अर्थ pahad se takkar lena muhavare ka arth – ‌‌‌बलशाली से लडना  

दोस्तो आपने लोगो से कहते हुए सुना होगा की पहाड़ की तरह ताक्तवर बनना चाहिए ताकी कोई भी आसानी से हरा नही पाए । क्योकी पहाड़ सच मे इतना विशाल और ताक्तवर होता है जिसके कारण से हर कोई उसे गिरा नही पाता है‌‌‌ यानि पहाड़ बलशाली हुआ । इस कारण से बलशाली से लडने पर उससे हमे ही हार माननी पडती है। इसी तरह से जब कभी मनुष्य अपने से बलशाली व्यक्ति से लडता है तो इसे पहाड़ से टक्कर लेना कहा जाता है ।

पहाड़ से टक्कर लेना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग pahad se takkar lena muhavare ka vakya mein prayog

  • ‌‌‌तुमने राम को धमक्की तो दे दी पर तुम्हे पता नही वह पहाड़ है और टक्कर से टकर लेने पर हार मिलती है ।
  • लादुराम जैसे धनवान व्यक्ति से लडना पहाड़ से टक्कर लेने के बराबर है ।
  • आज के समय मे भ्रष्टाचारो से लडना पहाड़ से टक्कर लेना बन गया है ।
  • ‌‌‌लालुचंद किसी पहलवान से कम नही तुम तो ऐसा समझ लो उनका सामना करना पहाड़ से टक्कर लेने के बराबर है ।
  • इस खुखार बैल को सांत करना पहाड़ से टक्कर लेने के बराबर है ।

class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">‌‌‌पहाड़ से टक्कर लेना मुहावरे पर कहानी pahad se takkar lena muhavare par kahani

एक समय की बात है किसी नगर मे शेरदास नाम का एक पहलावन रहता था । मगर देखने से उसे कोई पहलावान नही बता पाता था । ‌‌‌क्योकी वह दिखने मे दुबला पतला था । साथ ही शेरदास पहलवानी करता भी नही था । इसके अलावा शेरदास लोगो को पहलवानी सिखाने का काम किया करता था ।

जो भी शेरदास का शिष्य रहता ‌‌‌था वह उसे एक ही बात कहता रहता की चाहे जो हो जाए मगर कभी सच्चाई के खिलाफ नही लडना है । इस कारण से शेरदास के बहुत से शिष्य सच्चाई के लिए ही लडते थे । मगर कहते है ना कोई कोई नालायक निकल ही जाता है ।

इसी तरह से एक बार शेरदास ने जिस लडको को पहलवान बनाया था वह शेरदास से ही लडने की शोचने लगा ‌‌‌था । उस समय यह हुआ था की शेरदास के पास एक बहुत ही धनवान व्यक्ति आया । जिसने अपने बेटे को पहलवानी सिखाने के लिए कहा था  ।

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क्योकी शेरदास को पैसो की जरूरत रहा करती थी । जिसके कारण से वह उस लडके को पहलवानी सिखाने के लिए आराम से मान गया । जिसके कारण से उसके पिता ने शेरदास को पैसे भी बहुत ‌‌‌दिए । जिन रूपयो का उपयोग शेरदास अपने पहलवानो पर करता था ।

इस तरह से फिर शेरदास उस लडके को पहलवानी सिखाने लगा था । कई वर्षो तक उस लडके ने पहलवानी सिखी और वह पहलवानी मे माहिर हो गया था । अब उसे कोई भी नही हरा पा रहा था । जिसके कारण से उसने चार पांच वर्षो तक सच्चाई के साहरे ही ‌‌‌पहलवानी की मगर पांच वर्ष के बाद उसे पैसो का लालच आने लगा ।

जिसके कारण से वह पैसो के लिए किसी को भी मारपिटने लगा । साथ ही पहलवानी में पैसे लेकर किसी की भी तरफ लडने लग जाता था । यह सब देख कर शेरदास ने उसे समझाया मगर वह नही माना । तब शेरदास को लगा की इसे अपने आप पर बहुत घमड हो रहा है ।

‌‌‌जिसके कारण से यह किसी की भी बात नही सुनता है और पैसो के लिए किसी की भी तरफ से लडता है । साथ ही इसे कोई हरा नही पा रहा है । यह सब सोच कर शेरदास उसे बहुत बार समझाने ‌‌‌का प्रयास करता रहा । जिसके कारण से उस पहलवान ने शेरदास की एक बात नही मानी और शेरदास से कहता रहता की अगर तुम मुझे हरा दोगे तो ही मैं तुम्हारी बात ‌‌‌मानुगा ।

जब उस पहलवान ने शेरदास से ऐसा कहा तो शेरदास कहने लगा की ठिक है तो फिर तुम लडने के लिए तैयार हो जाओ । इस तरह से फिर दोनो ने लडने का दिन तय कर लिया था । मगर अभी लडने मे फाफी समय बचा था । जिसके कारण से जब भी शेरदास बाहर जाता तो लोग उसे कहते की तुमने ही उसे पहलवानी सिखाई है और तुम्हे ‌‌‌पता है की उसे आज तक किसी ने नही हराया और तुम जो दिखने मे दुबले पतले हो उसे कैसे हराओगे ।

 तुम्हे पता नही तुम पहाड़ से टक्कर लेने के लिए जा रहे हो । इसी तरह से जब पहलवानी के लिए लडाई करने का समय आया तो उस लडके के पिता ने कहा की मेरा बेटा किसी से नही हार सकता वह पहाड़ है और पहाड़ से टक्कर लेना ‌‌‌कोई आसान काम नही है । मगर शेरदास कुछ नही बोल रहा था ।

जब लडाई शुरू हुई तो शेरदास पहली बार तो उस पहलवान के समाने कमजोर पडने लगा मगर अगली बातर उसे उठा कर इस तरह से निचे गिरा दिया की वह उठ ही नही पाया । यह सब देख कर सभी लोगा हैरान हो गए । क्योकी शेरदास को किसी ने आज तक पहलवानी करते हुए नही ‌‌‌देखा ।

जब वह पहलवान हार गया तो उसका पिता भी हैरान हो गया । जिसके कारण से शेरदाsस ने उसके पिता को कहा की इसे पहलवानी मैंने ही सिखाई है मैं इसकी कमजोरी जानता हूं । साथ ही जिसे मैं पहलवानी सिखाने का हुनर रखता हू तो उसे हराने की ताक्त भी मेरे मे होगी ।

ऐसा कहने पर पहलवान और उसका पिता ‌‌‌समझ गया की पहाड़ वह नही है बल्की शेरदास है । इसके बाद मे वादे के अनुसार पहलवान शेरदसा के रास्ते मे जाकर ही पहलवानी करता था। जिसके कारण से शेरदास बहुत ही खुश था । इसके बाद मे शेरदास का कोई भी शिष्य ऐसा नही करना चाहता था ।

क्योकी उन्हे पता था की शेरदास मे बहुत ताक्त है । जिसके कारण से वे ‌‌‌सभी अपने गुरू शेरदास की तरह ही बनना चाहते थे और ‌‌‌उनके अनुसार ही पहलवानी करते थे । इस तरह से आपको समझ मे आ गया होगा की इस कहानी का अर्थ क्या है ।

पहाड़ से टक्कर लेना मुहावरे पर निबंध pahad se takkar lena muhavare par nibandh

साथियो जो लोग पहाड़ की तरह मजबुत होते है उन्हे आसानी से कोई हरा नही पता है । भले ही ऐसे लोग दिखने मे पहाड़ नही ‌‌‌दिख रहे हो मगर पहाड़ की तरह वे बहुत बलशाली होते है । जिस तरह से उपर कहानी मे बताया गया है की जो पहलवान अपने आप को पहाड़ समझता था वह शेरदास के समाने कुछ भी नही था ।

जिसके कारण से सभी को पता चल गया की असली पहाड़ तो शेरदास है । उसी तरह से पहाड़ से जो भी कोई टक्कर लेता है वह पल भर मे हार जाता है । ‌‌‌जिससे समझ मे आ जाता है की पहाड़ बलशाली होता है । इसी तरह के बलशाली लोगो से लडने के समय ही इस मुहावरे का प्रयोग करते है और कहा जाता है की पहडा से टक्कर लेना आसान नही है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ बलशाली से लडना है ।

पहाड़ से टक्कर लेना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of pahad se takkar lena in Hindi

दोस्तो पहाड़ की बात मुहावरे में की जा रही है और आपको पता है की पहाड़ जो होता है वह हमेशा से ताक्तवर माना जाता है । मतलब आपकी और पहाड़ की तुलना की जाए तो आपसे बलशाली पहाड़ है और यह आप समझते है ।

और आपको बात दे की टक्कर लेने का मतलब लड़ने से होता है । और जब कोई लड़ता है तो इसे टक्कर लेना कहा जाता है ।

अब अगर आप पहाड़ से लड़ते है या लड़ने की सोचते है तो इसका मतलब तो यही हुआ की आप अपने से बलशाली से लड़ रहे है और अब अगर कभी आप अपने से बलशाली व्यक्ति से लड़ते है या फिर कोई भी अपने से बलशाली से लड़ता है तो इसे पहाड़ से टक्कर लेना कहा जाता है ।

क्योकी जिस तरह से पहाड़ बलशाली है ठिक वैसे ही समाने वाला भी बलशाली है अत कहा जा सकता है की pahad se takkar lena muhavare ka arth – ‌‌‌बलशाली से लडना होता है ।   

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