दूध की मक्खी होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग

दूध की मक्खी होना मुहावरे का अर्थ doodh ki makhi hona muhavare ka arth – बेकार होना ‌‌‌या ‌‌‌महत्वहिन व्यक्ति ।

दोस्तो अक्सर आप लोगो ने देखा होगा की जब भी कभी दूध में मक्खी पड जाती है तो हम उस मक्खी को निकाल फैकते है । ‌‌‌क्योकी दूध में मक्खी का कोई महत्व नही होती है यानि वह महत्वहिन या बेकार होती है । इस घटना के बादमें न तो मक्खी सही सलामत रहती है और न ही दूध क्योकी दूध गंदा हो ‌‌‌जाता है ।

जिसके कारण से ही कहा जाता है की अगर एक मक्खी दुध में पड़ जाती है तो पूरे दूध को गंदा कर देती है । मगर मक्खी दुध के लिए महत्वहिन होती है यानि बेकार होती है जिसके कारण से उसे आसानी से अलग कर दिया जाता है और ‌‌‌बाहर फैक दिया जाता है । और इसी तरह से जब कोई व्यक्ति बेकार या ‌‌‌महत्वहिन होता है तो उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

दूध की मक्खी होना मुहावरे के अन्य रूप –

  • दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फेंकना मुहावरे का अर्थ – बेकार या महत्वहिन को अलग कर देना ।
  • दूध में मक्खी मुहावरे का अर्थ – बेकार होना या महत्वहिन व्यक्ति ।

दोस्तो इस तरह से इस मुहावरे को कुछ अलग रूपों में जाना जाता ‌‌‌है । हालाकी यह एक ही मुहावरा है जिसके कारण से कभी भी गलतफेहमी में न रहे की मुहावरे कुछ अलग है और इनका अलग अर्थ अलग होगा इन सभी मुहावारो का एक ही अर्थ होता है ।

class="wp-block-heading">दूध की मक्खी होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग ‌‌‌

  • जब से राघव की नोकरी गई है तब से वह घर में दुध की मक्खी की तरह बन कर रह गया है ।
  • जब राजवीर रिश्वत लेते हुए पकडा गया तो अधिकारीयो ने उसे दूध की मक्खी की तरह अगल गर दिया ।
  • ‌‌‌सेठ ने गाव के लोगो की मदद से अपना घर महल जैसा बनवा लिया और काम होते ‌‌‌ही  उन्हे दूध की मक्खी की तरह निकाल फैंका ।
  • किसनचंद हर किसी की मदद करता रहता है और हर कोई काम हो जाने के बाद में उसे दूध की मक्खी साबित कर देते है ।
  • रामप्रताब अपने शहर में सबसे अधिक पढा लिखा है मगर ‌‌‌नोकरी न मिलने के कारण से लोग उसे दूध की मक्खी ही समझते है ।
  • ‌‌‌किसन ने अपने दोस्त के सहयोग से बडा बिजनेश चालू किया और जब किसन को सक्सेजी मिल गई तो दोस्त को दूध की मक्खी की तरह निकाल फैंका ।
  • ‌‌‌राजवीर को हर कोई दूध की मक्खी समझता था मगर उसे तो देश विदेशों के लोग भी जानते थे ‌‌‌और उसे आदर तक करते थे ।

‌‌‌दूध की मक्खी मुहावरे पर कहानी (राजा न्याय किस पर भार)

दोस्तो प्राचीन समय की बात है ‌‌‌किसी नगर में दो लडके रहा करते थे जिनका नाम किसन और मिसन था । किसन बहुत ही गरीब घर का था और मिसन के पास धन की कोई कमी नही थी क्योकी उस गाव में मिसन के पिता छोटे मोटे बिजनेश किया करते थे वही किसन के ‌‌‌गरीब होने ‌‌‌का करण उसके पिता एक साधारण रूप में मेहनत मजूदरी करते थे जिससे उनका घर ही चल पाता था ।

जब किसन और मिसन बड़े हुए तो दोनो में गहरी मित्रता बनती जा रही थी । और यही देख कर एक बार मिसन के पिता ने उसे समझाया की बेटा अगर तुम्हे कुछ जीवन में करना है तो दोसरो का उपयोग लेना सिखो न की दूसरो के साथ रहना क्योकी ‌‌‌दूसरो के साथ रहने के कारण से हम उनके बराबर बन जाते है और ‌‌‌उनसे उपर कभी नही उठ पाते है ।

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यह बात मिसन को कभी समझ में नही आई मगर जैसे जैसे वह बडा होता गया तो उसे लगने लगा की वह तो एक गरीब के साथ रहता है यह तो कोई काम का नही नही है । मगर किसन ऐसा नही सोचता था क्योकी वह अपने आप को हमेशा ही मिसन से ‌‌‌छोटा ही मानता था । जिसके कारण से वह मिसन को अपने साथ न रहने के लिए भी कहने लगा था ।

मगर मिसन नही मान रहा था क्योकी उसे मालूम था की किसन बडा ताक्तवर है जिसके कारण से यह कठिन काम को भी जल्दी कर सकता है । कुछ समय बितता गया और किसन और मिसन बडे हो गए तो मिसन के पिता ने उसे अपने कारोबार ‌‌‌में लगा दिया । अब बचा किसन जिसके पास किसी प्रकार का काम नही था जिसके कारण से वह दर दर की ठोकरे खाता रहता था ।

तभी मिसन को लगा की हम गाव में कुछ अलग ही करते है जो पहले किसी ने नही किया हो । ‌‌‌इस तरह से दोनो ने एक साथ मिल कर काम शुरू करने की योजना बनाई । और फिर उन्हे पता चला की हमारे गाव में ऐसे लोगो की काफी अधिक कमी है जो की मकान बनाते हो क्योकी हमारे राज्य का राजा भी जब अपना महल बनवाता है तो वह बाहर से आदमी को लेकर आता है जिसके कारण से ‌‌‌उनको भी अधिक पैसे देने पडते है साथ ही हमारे ‌‌‌राज्य के सभी लोगो के साथ ऐसा होता है ।

इस तरह से फिर दोनो को यह बात सही लगी तो मिसन ने अपने पिता से इस बारे में पूछा तो उसके पिता ने भी इस बात के लिए ‌‌‌सपोर्ट कर दिया और दोनो की मदद कर कर उन्हे यह काम शुरू कर कर दे दिया था । क्योकी उसके पिता जो काम करते थे वे राज्य से बहार के भी होते थे ‌‌‌तो उन्होने अपने राज्य से बहार के कुछ विश्वासदार मजदूरो को बुलाया और यह काम करने को कहा ।

साथ ही कहा इसमे आपको बहुत ही अधिक मुनाफा होगा क्योकी जो हम दूसरे राजा को टेक्स देते है वह बन जाएगा । इस तरह से फिर वे लोग भी मान गए थे । और अब तक किसन व मिसन काफी अधिक बडे हो गए थे तो दोनो मिल कर ‌‌‌काम संभालने लगे थे ।

क्योकी किसन के पास पैसे नही थे मगर मिसन के पिता के पास पैसे थे जिसके कारण से पैसे लगाने का काम मिसन का होता है और मजदूरो की देख रेख का किसन का होता था । इस तरह से काम को शुरू किया गया । जिसके कारण पहले गाव के छोटे मोटे लोग ही किसन और मिसन से घर बनवाते थे

मगर ‌‌‌धिरे धिरे जब लोगो को पता चला की किसन और मिसन कम किमत में अच्छा मकान बना देते है तो लोग उनसे मकान बनवान लगे थे । इस तरह से किसन और मिसन का करोबार चलने लगा था । मगर पैसो की अधिक धनराशी मिसन अपने पास रखता था क्योकी वही धन को खर्च ‌‌‌करता था ।

इस बात से ‌‌‌किसन को कोई अतराज नही था क्योकी उसे ‌‌‌पता है की यह सही है । धिरे धिरे समय बितता गया और एक बार ऐसा समय आ गया की वहां का राजा तक उन्हे काम देने लगा था । मगर सभी लोग मिसन को ही जानते थे क्योकी वह धनवान जो था और इसी तरह से राजा मिसन को ही काम देता था वह किसन को जानता तक नही था ।

जब राजा किसन के पास न आकर मिसन से काम कराने की बात ‌‌‌करने लगा तो मिसन को अपने आप पर अभिमान हो गया और उसने सोचा की मैं तो किसन को बेवजह अपने साथ रखता हूं । यह तो एक मजदूर है जिसके कारण से इसे इतनी अधिक किमत नही मिलनी चाहिए। इस तरह से फिर मिसन उसे कम किमत देने लगा था ।

इसी तरह से एक बार राजा ने मिसन को महल बनाने का काम दिया था और कहा की ‌‌‌इस महल में गुप्त कमरे भी बनाने है साथ ही गुप्त रास्ते भी बनाने है जिसके बारे में किसी को भी पता न चल सके । ‌‌‌इस तरह से फिर किसन और मिसन दोनो मिल कर इस काम को करते रहे ।

मगर जब काम खत्म हुआ तो राजा ने मिसन को बहुत बडी रकम दी । जिसे देख कर मिसन को लालच आ गया और वह किसी को कुछ न देने की सोचने लगा था। और अब जब भी वह नया काम करता किसन को बुलाता तक नही था और न ही महल की कमाई में से उसे हिस्सा दे रहा ‌‌‌था ।

जब किसन के पिता को इस बारे में पता चला तो वह किसन से कहने लगा की बेटा तुमने ‌‌‌उसके साथ काम किया है इसके कारण से तुम्हे आधे रूपय मिलने चाहिए मगर उसने तो तुम्हे काम हो जाने के बाद में दूध की मक्खी की तरह निकाल फैंका । यह बात किसन को समझ में आ गई ।

जिसके कारण से वह तुरन्त ही राजा के ‌‌‌पास चला गया और उनसे न्याय मागने लगा । तब राजा ने कहा की इसमें मैं क्या कर सकता हूं । तुम्हे कि‌‌‌तने रूपय मिलेगे यह तो पहले ही दोनो को बात करनी ‌‌‌चाहिए थी। मगर तभी राजा ने सोचा की ऐसा तो नही चलेगा क्योकी अगर गुप्त राज के बारे में इन्होने किसी को बता दिया तो अच्छा नही होगा ।

 साथ ही उसने सोचा की ‌‌‌मैं बेवजह इन दोनो को कारखाने में भी नही डलवा सकता हूं । तब राजा को समझ में आया की इनका न्याय करना होगा । जिसके कारण से राजा ने किसन और मिसन को अकेले में बुलाया और दोनो से बात की तो राजा को समझ आया की मिसन ने तो किसन को दुध में मक्खी होना समझा और अब इसे निकाल फैंका है ।

तब राजा ने मिसन से ‌‌‌कहा की तुम दोनो को मुनाफे में से आधे आधे रूप लेने होगे । यह सुन कर मिसन मना करने लगा और कहने लगा की इसमें मेरे पैसे लगे थे तभी काम शुरू हो सका । यह सुन कर राजा को भी लगा की बात तो सही है । तभी उसने किसन को 40 प्रतिशत मुनाफा दिलवाया और मिसन को 60 प्रतिशत ।

मगर अभी भी मिसन को लग रहा था की राजा ‌‌‌ने उनके साथ सही नही किया है । मगर अब वह राजा की बात को टाल भी नही सकता था । मगर अब राजा ने दोनो को अलग अलग काम करने को कह दिया था ।

क्योकी किसन के पास पैसे आ गए तो वह अपना काम अलग करने लगा मगर मिसन के पास पैसे तो थे मगर उसे नॉलेज न होने के कारण से काम सही तरह से नही होता था और इसी के विपरीत ‌‌‌किसन अच्छी तरह से काम करता था । जिसके कारण से वह धनवान बनता जा रहा था ।

यह देख कर मिसन ने सोचा की ‌‌‌उसने किसन को दूध की मक्खी समझ कर गलत कर दिया था । मगर अब मिसन को किसन से अलग काम करना पडा और ‌‌‌घाटा सहना पड रहा था । इस तरह से राजा ने दोनो का न्याय किया मगर तब राजा को समझ में आया की लोग पैसो की लालच में यह ‌‌‌भूल जाते है की उनका काम किस कारण से चल रहा है । और जो लोग साधारण लगते है उन्हे काम से निकाल देते है । मगर असल में वे ही लोग पूरे काम को करते है।

‌‌‌इस तरह से यह कहानी पूरी होती है ।

दुध की मक्खी मुहावरे पर निबंध

साथियो क्या आपने कभी दूध पिया है और अचानक उस दूध में मक्खी गिर जाती तो आप सबसे पहले उस मक्खी को निकाल फैकोगे क्योकी वह दूध में गिरने के लिए बेकार होती है यानि उसका दूध में कोई महत्व नही होता है। क्योकी दूध में ‌‌‌में मिठास के लिए चीनी ‌‌‌गिरती है और मक्खी गिर जाने के कारण से पूरा का पूरा दूध ही खराब हो जाता है ।

जिसके कारण से वह दुध पिने योग्य तक नही रहता है । और उसे भी फैंकना पड जाता है। इस तरह की घटना में दूध में मक्खी का अर्थ महत्वहिन या बेकार होने से होता है । और मनुष्य जीवन में अगर इस ‌‌‌घटना को मुहावरे के रूप में उतारा जाता है तो बेकार व्यक्ति या महत्वहिन व्यक्ति के लिए इसका प्रयोग होता है । क्योकी मक्खी बेकार होती है जिसका कोई महत्व नही होता है । इस तरह से इस मुहावरे का वाक्य में प्रयोग कहा होगा यह समझ गए होगे ।

इस तरह से हमने इस लेख में दूध में मक्खी मुहावरे के ‌‌‌बारे में जाना ।

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