विवश होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य व कहानी

विवश होना मुहावरे का अर्थ vivash hona muhavare ka arth – मजबूर होना

दोस्तो मनुष्य जीवन में अनेक ऐसे पल होते जिसमें व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी कर सकता है । मगर कभी कभार ऐसा पल भी आ जाता है की वह चाह कर भी कुछ नही कर पाता है । यानि वह व्यक्ति जो करना चाहता है वह ‌‌‌किसी कारण से कर नही पाता है । इस कारण से जब  कभी व्यक्ति की इच्छा होने के बाद भी वह काम को नही कर सकता है तो ऐसी स्थिति ‌‌‌पर मनुष्य को विवश होना कहा जाता है ।

विवश होना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग (vivash hona idioms use in sentences)

  • ‌‌रामू ईमानदार तो बहुत है मगर वह अपने अपने अफसरों की अज्ञा के बिना कुछ नही कर सकता बिचारा विवश है ।
  • पुलिस ऐसे ही गुहेगार को छोड देती मगर वह स्वयं कानून के निचे विवश है ।
  • राहुल गुंडो से लोगो की जान बचा लेता मगर उसने अपनी मां से वादा किया था की वह कभी झगडा नही करेगा जिसके कारण से राहुल ‌‌‌विवश है ।
  • अगर मैं आज विवश न होता तो आपकी मदद जरूर कर देता ।
  • किसन के पास जब अपने ही पिता के खिलाफ सबुत प्राप्त हो गए तो वह अपने पिता को जेल में डालने के लिए विवश हो गया ।
  • अधिकारीयो का ऑडर मान कर महेश गरीब को तनख्वाह के लिए बार बार चक्कर कटाने के लिए विवश हो गया ।
  • मुंशी जी लोगो की ‌‌‌मदद करना चाहते थे मगर सेठ ने हमदर्दी दिखाने से मना किया था जिसके कारण से बिचारे मुंशी जी विवश हो गए ।
  • ‌‌‌मैं यह जूर्म कभी नही करता मगर बेटे की जान बचाने के लिए मैं भी विवश हूं ।
  • मैंने विवश होकर यह काम किया है वरना मैं अपने जीवन में ऐसा कभी नही करता ।

‌‌‌विवश होना मुहावरे पर कहानी (संत और राजा का न्याय), (vivash hona idioms in story)

‌‌‌प्राचीन समय की बात है किसी नगर में एक महान संत रहा करता था जो की बहुत ही शांत स्वभाव का था और हमेशा ही अपने आप में मस्त रहता था । इस संत को दुनियादारी से कभी भी कोई लेना देना नही रहा था । मगर वह हमेशा ही भ्रमण करता रहता था और एक समय वह ऐसे नगर में पहुंच चुका था जहां पर उसे बहुत ही कष्टो ‌‌‌को झेलना पडा था ।

उस समय की बात कुछ इस तरह की थी की एक बार संत भ्रमण करते हुए किसी रामदास राजा के नगर में जा पहुंचा था । उस राज्य में राजा रामदास का जो सेनापति था वह बहुत ही क्रुर स्वभाव का था और इसकी कारण से सेनापति ने मंत्री के साथ मिल कर लोगो का धन लूटना शुरू कर रखा था ।

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और राजा को इस बारे ‌‌‌में कुछ भी पता नही था क्योकी राजा काफी समय से बिमार चल रहा था जिसके कारण से राजा को महल से बाहर जाने का मोका नही मिलता था । और न ही वह अपने राज्य के हाल चाल को जान सकता था । यही कारण था की सेनापति और मंत्री ने इतना अधिक आतक मचा रखा था ।

इसी नगर में वह महान संत पधारा था मगर जैसे ही संत ने इस ‌‌‌नगर में अपना पैर रखा तो संत के कष्ट शुरू हो गए क्योकी सेनिको ने संत के पास जो भी धन था वह सब हडप लिया । मगर संत ने सोचा की यह तो अच्छा ही हुआ लोगो से अन्न लेकर अपना पेट भर सकता ‌‌‌हूं तो मुझे धन की क्या जरूरत है ।

मगर ऐसा कुछ नही हुआ क्योकी जैसे ही संत आगे बढता जा रहा था उसे लोगो के चेहरे ‌‌‌उमाशी छाई ‌‌‌देखी। कोई हंस कर बाते तक नही कर रहा था सभी बैल की तरह काम करने के लिए जा रहे थे  । इस तरह से लोगो को देख कर संत को कुछ समझ में नही आया ।

कुछ ही समय बितने के बाद में दो तिन बैलगाडी नगर ‌‌‌के बिचो बिच आ गई जहां पर संत भी मौजूद था और उन बैलगाडियो में लोगो को सेनिक बैठा रहे थे और इसी के ‌‌‌साथ संत को भी सेनिको ने पकड कर बैठा दिया । जिसके कारण संत को कुछ समझ नही आया । जब संत गाव के लोगो के साथ आगे बढ रहा था तो कोई रो रहा था और कोई मायूस बैठा था ।

कुछ ही समय के बाद में संत और उन लोगो को एक पहाड पर लगा दिया जिससे बडे बडे पत्थरो को तोडना था । भला संत इस तरह का काम क्यो करे ‌‌‌मगर सेनिको ने उसकी बात नही मानी जिसके कारण से संत विवश होकर काम करने लगा था ।

इस तरह से जब अंधेरा होने लगा तो उन लोगो को वही बैठा दिया और भोजन के रूप में बासी रोटी लोकर दे दी । जिसे सभी अपना मन मार कर खा रहे थे । अगले दिन फिर से यही काम जारी रहा और जो काम करने से मना करता उस पर जोरो सोरो से ‌‌‌कोडो की बरसाते होती रहती थी ।

जिसके कारण से संत को बहुत ही बुरा लगा मगर वह कुछ भी नही कर सकता था ।इस तरह से संत पर भी कोडो की बरसात होने लगी थी ‌‌‌और इस तरह से संत को उन लोगो के साथ काम करते हुए पूरे 10 दिन बित गए ।

तब संत को समझ में आया की मुझ पर तो इन 10 दिनो तक कष्ट पडा है मगर इन लोगो पर तो ‌‌‌उम्र भर से कष्ट पड रहा है और लोगो को मजबूर होकर काम करना पड रहा है। तब संत ने उन लोगो को किसी तरह से समझाया की अगर हम एक हो जाएगे तो ये सेनिक हमारा कुछ नही बिगाड सकेगे ।

क्योकी वह एक संत था तो लोगो ने उसकी बात मान ली और मार काट करने के लिए खडे हो गए । जिसके कारण से सेनिक डर कर वहां से ‌‌‌भाग निकले । जब इस बारे में सेनापति और मंत्री को पता चला तो वे कुछ सेनिको को ‌‌‌लेकर लोगो को रोकने के लिए आ गए ।

मगर अब संत ने आवाज उठाई और लोगो को विश्वास दिला दिया की अब से आगे कभी भी आप पर कष्ट नही आएगे बस कुछ ही पलो की बात है हमे राजा के पास जाना होगा और उनसे न्याय मागना होगा । जब सेनापति और मंत्री लोगो के पास पहुंचे तो लोग इंट पत्थरो से उन्हे मारने लगे थे ।

जिसके कारण से उन्हे भी अपने प्राण बचा कर वहां से भागना पडा । ‌‌‌मगर अब लोगो को समझ में आने लगा था की संत की बात अगर हम मानेगे तो हमे न्याय जरूर मिलेगा । इसी बात को लेकर लोग संत के साथ हो गए और महल की तरफ ‌‌‌बढने लगे थे ।

 इस तरह से लोगो की भीड महल की तरफ जा रही थी तो राज्य के अन्य लोग भी उनके साथ हो गए थे । ‌‌‌और इतनी अधिक भीड को देख कर सभी सेनिक डर के मारे महल कें अंदर जाने लगे थे । मगर भिड पर काबू पाना बहुत ही ‌‌‌मुश्किल था ।

जब तक महल का दरवाजा बंद होता तब तक भीड अंदर जा पहुंची थी । इस तरह से संत आगे आगे और लोग उसके पिछे पिछे महल ‌‌‌केv अंदर जा पहुंचे और सभी लोग महल के कोनो कोनो में फैल गए ।

यहां तक की ‌‌‌लोग संत के साथ राजा के कमरे में जा पहुचे थे । ‌‌‌जिसके कारण से राजा को यह क्या हो रहा है कुछ भी समझ में नही आ रहा था । मगर तभी संत ने राजा को मंत्री और सेनापति की सारी करतुते बताई और कहा की बिना पैसो के ये किसी से भी बैल की तरह काम करा रहे है। इस तरह से फिर संत ने लोगो के साथ न्याय की माग की ।

जिसके कारण से राजा मन ही मन सोचने लगा की ‌‌‌अगर वह अपने ही सेनिक और मंत्री को दंड देगा तो मेरा साथी कोन होगा जो की मेरे लिए लडने को तैयार रहेगा । मगर तभी संत बोल पडा की महाराज अगर आपने उचित न्याय नही किया तो जंता जो फैसला लेगी वह आपको मानना होगा ।

मगर तभी राजा ने मंत्री और सेनापति को अपने पास बुला कर दंड के रूप में एक माह तक कारागार ‌‌‌मे रहने को कहा । मगर तभी संत और लोग बोल पडे की महाराज यह सही नही है बल्की इन्हे तो वही काम करना होगा जो की ये लोग हमसे करवाते थे ।

इन्हे भी उसी पहाड को फोडना होगा और जंता काम न करने पर इन पर कोडो की बरसात करेगी । इस तरह से कहने पर राजा मन ही मन सोचने लगा की क्या किया जाए । ‌‌‌मगर तभी संत ने कहा की महाराज आप ज्ञानी है न्याय कर दिजिए ।

तब राजा को जंता के आगे विवश होकर एक दिन तक पहाड फोडने का दंड दे दिया । मगर जंता में से कुछ लोग बोल पडे की नही महाराज इन्हे एक महिने तक यह काम करना होगा । अब राजा क्या करे वह अपने मंत्री और सेनापति के साथ ऐसा नही करना चाहता था मगर ‌‌‌उसे विवश होकर एक महिने तक ऐसा करने को कहा था । ‌‌‌

इसके बाद में संत ने सबसे होनहार लोगो को चुना जो की सेनापति और मंत्री को दंड दे सके । इस तरह से फिर वे लोग सेनापति और मंत्री से वही काम करवाने लगे जो की लोगो को करना पड रहा था । अगर कभी मंत्री और सेनापति काम नही करते तो उन पर कोडो की बरसात होती रहती जिसके कारण से उन्हे समझ में आया की कष्ट ‌‌‌क्या होते है ।

इस तरह से एक महिने में दोनो की हालत काफी अधिक खराब हो चुकी थी । जब एक महिना हो गया तब जाकर दोनो को वह काम छोडने का मोका मिला था ।

 इन दिनो के बाद में मंत्री और सेनापति ने कभी भी जंता के साथ गलत नही किया क्योकी उन्हे पता था की उनके साथ क्या हुआ था । और राजा ने भी उनका साथ ‌‌‌नही दिया क्योकी वे लोगो के सामने विवश थे । इस घटना के बाद में सेनापति और मंत्री ने कभी भी लोगो को कष्ट नही दिए और संत भी उस नगर से चले गए ।

विवश होना मुहावरे पर निबंध

दोस्तो मनुष्य आज स्वतंत्र है और वह जो करना चाहता है वह अपनी इच्छा के अधिन कर सकता है यह स्वतंत्रता का अधिकार कहता ‌‌‌है । मगर हम यहां पर अधिकार की बात नही कर रहे है बल्की मनुष्य जीवन में होने वाली ऐसी घटनाओ की बात कर रहे है जो वह अपनी इच्छा से करता आ रहा है ।

जैसे सोना, उठना, बैठना, खाना, ‌‌‌पीना, अपना कार्य करना आदि तरह के कार्य जब वह अपनी इच्छा के अधिन करता है तो मनुष्य विवश नही होता है । मगर कभी कभार ‌‌‌कुछ ऐसे पल भी सामने आ जाते है तब मनुष्य अपनी इच्छा के अनुसार कार्य नही कर पाता है ।

जैसे – अगर हम एक कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी की बात करे तो वह कंपनी में जो भी करता है वह अपने बॉस की इच्छा के अधिन करता है न की अपनी इच्छा के अधिन । जिसके कारण से जब उस कर्मचारी को उसका बॉस उठने को कहता ‌‌‌है तो वह उठता है और जब बॉस बैठने को कहता है तो वह बैठ जाता है ।

यानि संक्षिप्त में कहे तो वह कर्मचारी अपने बॉस के अधिन होता है और उसकी ही बात उसे माननी पड जाती है । इस तरह से जो भी कुछ किया जाता है वह मजबुर होकर करना होता है क्योकी कर्मचारी को पैसे चाहिए और बॉस को काम करवाना है तो कर्मचारी ‌‌‌पैसे कमाने के लिए इस तरह के कामो को करने के लिए मजबुर है ।

इस तरह से जब कोई व्यक्ति किसी भी कारण से अपनी इच्छा के अनुसार नही कर पाता है यानि दुसरे की इच्छा के अनुसार काम करता है तो वह ऐसा करने के लिए मजबुर होता है और इसे ही विवश होना कहा जाता है ।

इस तरह से विवश होना मुहावरे का ‌‌‌अर्थ मजबुर होना होता है यह आप भली प्रकार से समझ गए होगे ।

क्या आपने कभी इस मुहावरे का प्रयोग किया है बताना न भूले ।

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