हथेली पर सरसों जमाना का मतलब व वाक्य मे प्रयोग

हथेली पर सरसों जमाना मुहावरे का अर्थ hatheli par sarson jamana muhavare ka arth – ‌‌‌किसी कठिन काम को तुरन्त करना ।

दोस्तो जब किसी व्यक्ति को ऐसा काम दिया जाता है जो बताए गए समय मे समाप्त न हो फिर भी वह किसी तरह से उस कार्य को समाप्त करने लग जाता है और जब वह कार्य बताए गए समय से पहले या समय ‌‌‌पर उसे कर देता है । ‌‌‌जो वह कार्य उतने समय मे हो पाना कठिन था । फिर भी उसने उस कार्य को समय पर कर दिया ।

इस कारण से यह कहा जाता है की  इसने तो इतने कठिन कार्य को बहुत ही तेज किया है । दोस्तो इस तरह से जब कोई कठिन कार्य को बहुत ही शीघ्र कर देता है तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

हथेली पर सरसों जमाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌चोर को पकडने के लिए मैंने हथले पर सरसों जमा ली थी तब जाकर यह इतना जल्दी पकडा गया ।
  • परीक्षा नजदीक आ जाने के कारण से मैंने एक दिन मे सारी किताबे याद कर कर हथेली पर सरसों ‌‌‌जमाने वाला काम कर दिया है ।
  • यह काम कर कर तुमने तो आज ‌‌‌मेरी नोकरी बचा ‌‌‌ली ‌‌‌लगता है तुमने इस काम के लिए हथेली पर सरसों जमाई ‌‌‌थी ।
  • अगर तुमने आज हथेली पर सरसों जमा कर काम कर लिया तो तुम्हे बहुत रूपय मिलेगे ।
  • प्रताब ने हथेली पर सरसों जमा कर एक दिन मे ‌‌‌कूवा खोद दिया ।
  • बॉस ने एक घण्टे मे काम पूरा करने को कहा तो मैंने भी हथेली पर सरसों जमा ली और उन्हे आधें घण्टे मे ही काम पूरा कर कर दे दिया ।
  • राम जैसा कोई नही है ‌‌‌उसे कोई भी काम को दे दो हथेली पर सरसों जमा कर उसे जल्दी पूरा कर देता है ।

‌‌‌हथेली पर सरसों जमना मुहावरे पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे फुलाराम नाम का एक लडका रहा करता था । उसके घर मे उसके पिता और उसकी एक छोटी बहन रहा करती थी । उसकी मां थी पर वह अपने पति से अलग और अपने पिता के पास रहती थी ।

फुलाराम के गाव मे कोई विधालय नही था इस कारण से उसे पढाई करने का ‌‌‌मोका नही मिला था । फुलाराम के पिता के पास बहुत खेत थे । पर उनमे से आधे खेत बंजर थे । इस कारण से फुलाराम के पिता उन्हे बेच रहे थे पर कोई उन्हे खरीद नही रहा था । ‌‌‌जब फुलाराम बडा ‌‌‌हो गया तभी भी उसके पास वे खेत थे ।

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अब गाव मे खेती के अलावा और कोई काम था नही इस कारण से उसके पिता ने उसे कहा की बेटा हमारे पास खेत तो बहुत है पर उनमे से आधे उपजाऊ है । तब फुलाराम ने अपने पिता से कहा की पिताजी जो हमारे पास खेत है हम उनमे खेती करते रहेगे ।

इस तरह से कह कर ‌‌‌‌‌‌वह अपने खेतो मे खेती करने के लिए जाने लगा था । तब उसके पिता ने उससे पूछा की कहा जा रहे हो । तब फुलाराम ने कहा की खेत जोतने । तब उसके पिता ने कहा की अकेले से खेत नही जुतेगा इसके लिए मैं भी तुम्हारे साथ ‌‌‌चलता हूं ।

इतना सुन कर फुलाराम ने अपने पिता से कहा की आप यही पर रहो या और कोई और काम कर लो मैं अकेला ‌‌‌ही अपने खेतो जोत दुगा । इतना कह कर वह वहां पर चला गया था । और उसका पिता सोच रहा था की यह अकेला और वह भी एक दिनमे खेत को कैसे जोत पाएगा ।

समय बितता गया और रात होने मे अभी समय बाकी था तभी फुलाराम अपने घर आ गया और घर आकर अपने पिता से कहा की पिताजी मैंने अपना खेत जोत दिया है ।

यह सुन कर फुलाराम ‌‌‌को लगा की यह मजाक कर रहा है।और जब अगले दिन फुलाराम के पिता अपने खेत को देखने गए की हमारा खेत किताना जुता है तो वे देख कर हैरान हो गए । क्योकी जिना फुलाराम ने कहा था उतना ही खेत यानि पूरा खेत जुत गया था ।

तब जाकर उसके पिता को पता चला की उसने जो कहा था वह पूरा कर दिया है । जब अगले दिन गाव के ‌‌‌लोग भी उधर से जा रहे थे तो वे भी यह सब देखकर हैरान हो गए थे । तब उन लोगो ने फुलाराम के पिता से कहा की कल दोनो बाप बेटे रात भर लग रहे थे क्या ।

तब फुलाराम के पिता ने कहा की नही कल मैं तो अपने घर पर ही था और मेरा बेटा ही खेत जोतने के लिए आया था । यह सुनते ही वे सभी हैरान हो गए थे और फिर कहा ‌‌‌की उसने तो इस काम को करने के लिए हथेले पर सरसों जामाई होगी तभी यह इतना जल्दी हो गया ।

इसी तरह से फुलाराम ने अपने बाकी खेतो को भी जोता था । साथ ही जो बंजर ‌‌‌भूमी थी वह भी उसने दो तिन दिनो मे उपजाऊ बना दी थी । हालाकी उस ‌‌‌भूमी मे फसल इतनी अच्छी नही होती थी पर समय के साथ वह ‌‌‌भूमी बहुत ही अच्छी बन ‌‌‌गई थी ।

कहने का अर्थ है वह ‌‌‌भूमी जो पहले बंजर थी वह समय के साथ इतनी अच्छी बन गई थी की फुलाराम के बाकी ‌‌‌के खेतो मे भी उतनी अच्छी फसल नही होती थी । जिसके कारण से गाव के लोग भी उस ‌‌‌भूमी को अच्छे दामो मे खरीदने को तैयार हो गए थे ।

जब कोई उनसे पूछता की इस ‌‌‌भूमी को इतनी जल्दी उपजाऊ कैसे बनया । तब फुलाराम और उसके पिता कहते की हमने यह काम करने के लिए हथेली पर सरसों जमाई थी । तब जाकर यह उपजाऊ बनी । इस तरह से आप लोगो को यह पता चल गया होगा की इस कहानी का मुहावरे से क्या सम्बंध है ।

‌‌‌हथेली पर सरसों जमाना मुहावरे पर निबंध

दोस्तो आप लोगो ने देखा होगा की जब कोई व्यक्ति अपनी हथेली पर सरसों जमाने की कोशिश करता है तो वह उससे होना बहुत ही कठिन है । पर उसे जमाने का एक तरीका होता है जिसके कारण से वह पहले की तुलना मे काफी समय पहले जम जाती है ।

इसी तरह से जब कोई व्यक्ति किसी ‌‌‌कार्य को करने के लिए जितना समय लगता है अगर उस समय से पहले ही उसे पूरा कर देता है तो उसे हथेली पर सरसों जमाना कहा जाता है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ बहुत ही शीघ्र कार्य करना होता है ।

दोस्तो जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को जल्दी यानि समय से पहले पूरा कर देता है चाहे वह कार्य कितना भी कठिन ‌‌‌क्यो न हो तब उस समय इस मुहावरे का प्रयाग किया जाता है और कहा जाता है की इसने तो इस कार्य को करने के लिए हथेली पर सरसों जमाई थी ।

इस तरह से आप लोगो को यह पता चल गया की इस मुहावरे का अर्थ क्या है और इसका वाक्य मे प्रयोग कैसे करते है ।

हथेली पर सरसों जमाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of in Hindi

दोस्तो जब सरसों पर पानी गिरता है तो वह जमना शुरू कर देती है । मगर इस प्रक्रिया में कुछ समय लगता है जो की घंटो का न होकर दिनो का होता है।

अगर ऐसे में आप हथेली पर सरसों को लेकर उसे जमाने की कोशिश करते है तो आप मुझे यह बताओ की आप सरसों को अपनी हथेली में कितने समय तक रख सकते हो । इसका मतलब है की ज्यादा समय तक नही रख सकते और सरसो जम नही पाती है ।

मगर मान ले की आप ऐसा कर लेते हो मतलब आप हथेली पर सरसो को जमा लेते है  । तो इसका मतलब है की आपने एक कठिन काम को तुरन्त किया है । और इसी बात से आप समझ सकते है की  hatheli par sarson jamana muhavare ka arth – ‌‌‌किसी कठिन काम को तुरन्त करना होता है ।

अब अगर इस तरह की जहां पर बात होती है जहां पर किसी कठिन काम को तुरन्त करने की बात होती है तो वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग होता है और यह आप समझ गए है  ।

‌‌‌निचे बेस्ट हिंदी मुहावरे दिए गए है जो ज्यादातर प्रयोग मे आते है ।

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आँखें फेर लेना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

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