सुबह का चिराग होना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

सुबह का चिराग होना मुहावरे का अर्थ subah ka chirag hona muhavare ka arth – अंत पर होना

दोस्तो इस संसार मे जो भी  कोई जन्म लेता है वह एक दिन मरता भी जरूर है । और जब किसी के मरने का समय आ जाता है तो उसके लिए कहा जाता है की यह तो अब अंत पर है । इस तरह से जब अंत पर कोई होता है ‌‌‌तब वहां पर इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ।

सुबह का चिराग होना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • जेठालाल कितने दिनो से बिमार चल रहा है अब तो उसे सुबह का चिराग भी समझा जाए तो कोई गलत नही है ।
  • जब किसी के मरने का समय आ जाता है तब उसे सुबह का चिराग कहा जाता है ।
  • बेटा मे तो अब सुबह का चिराग ‌‌‌हो गया ‌‌‌हूं तुम अपना ध्यान रखना ।
  • तुम क्या अभी सुबह का चिराग बन जाओगे अभी तो तुम्हारे बेटे बेटी की शादी भी नही हुई है ।
  • प्रताबसिंह का बेटा तो सुबह का चिराग हो गया है ।
  • महेश के केंसर हो जाने के कारण अब वह सुबह का चिराग है ।
  • किसी के कोरोना हो जाने पर उसे सुबह का चिराग ही समझना चाहिए ।
  • ‌‌लाचंद को जब डॉक्टर के पास लेकर गए तो डॉक्टर ने यह कह कर वापस भेज दिया की अब यह सुबह का चिराग है ।

‌‌‌‌‌‌सुबह का चिराग होना मुहावरे पर कहानी Idiom story

एक बार की बात है दिवाकर नाम का एक आदमी अपने बेटो के साथ रहा करता था । उसके घर मे उसके दो ही बेटे थे और दोनो बेटो की शादी हो गई थी । इस कारण से दिवाकर की बहुत ही अच्छी तरह से देखभाल होती थी जिसके कारण से दिवाकर हट्टा कट्टा बन गया था । और जब उसे कोई देखता तो कहता की दिवाकर तुम्हारे बेटे बहुओ ‌‌‌ने तुम्हारी बहुत ही अच्छी देखभाल की है जिसके कारण से ही तुम इतने हट्टे कट्टे दिख रहे हो ।

तब दिवाकर उन लोगो से कहता की यह तो बात है मेरे बेटो को अच्छी पत्नी मिली है तभी तो वे मेरी दिन रात सेवा करती रहती है । इस तरह से कहते हुए दिवाकर अपने बेटो और बहुओ की प्रसंसा ‌‌‌करता था ।

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साथ ‌‌‌ ‌‌‌ही जब किसी की सेवा होती है तो उसकी प्रसंसा होती ही है । धिरे धिरे समय के साथ दिवाकर की ‌‌‌उमर बढने लगी थी और अचानक एक दिन वे बिमार हो गए । बिमार हो जाने के कारण से दिवाकर के बेटो ने उन्हे हॉस्पिटल जाने के लिए कहा पर दिवाकर ने मना कर दिया और कहा की नही मैं ठिक हूं ।

उसे लग रहा था ‌‌‌की उसे कोई छोटी मोटी बिमारी होगी जो ऐसे ही ठिक हो जाएगी । पर एक माह बित गया था पर भी दिवारक बिमार चल रहा था । तब उनके बेटो ने किसी तरह से उसे राजी कर कर हॉस्पिटल मे ले गए थे ।

वहां पर जाने के बाद दिवाकर के बेटो को पता चला की हमारे पिता को ‌‌‌हिृदय रोग है और साथ ही इनका यकृत भी कमजोर हो गया है । तब डॉक्टर ने यह ‌‌‌कह दिया था की यह बिमारी बहुत ही पावरफुल है और इसका इलाज भी बहुत कठिनाई से हो पता है ।

डॉक्टर की बात सुन कर दिवाकर के बेटो ने कहा की अगर इलाज है तो इलाज किजिए और जितने भी रूपय लगेगे वे हम आपको दे देगे । ऐसा कहने पर डॉक्टरो ने उनका इलाज करना शुरू कर दिया था । इलाज एक महिने तक चला फिर भी उन ‌‌‌पर कोई असर नही हो रहा था । इस कारण से डॉक्टरो ने दिवाकर के बेटो को कह दिया की आपके पिता अब सुबह का चिराग है ।

डॉक्टर की ऐसी बाते सुनकर दिवाकर का छोटा बेटा रोने लगा था । तब डॉक्टर ने उन्हे यह भी कहा की आप अब चाहो तो इन्हे घर ले जा सकते हो । डॉक्टर के ऐसा कहने पर उनके बेटो को भी लगा‌‌‌ की अब हमे हमारे पिताजी को अपने घर ले जाना चाहिए ताकी वहां पर हम कम से कम इनकी ‌‌‌अच्छे से देखभाल कर सकते है ।

ऐसा सोचकर उनके बेटो ने उन्हे घर ले गए थे । जब दिवाकर घर आ गया तो लोग भी उनका हाल चाल पूछने के लिए आने लेग थे । इस तरह से कई लोग आते रहते थे । उन लोगो से ‌‌‌जब कोई पूछ लेता की ‌‌‌आज कहा जाकर आए हो । तब वे लोग कहते की आज तो हम दिवाकर के घर गए थे ।

इतना सुनते ही सामने वाला पूछने लगता की कैसे है दिवाकर जी ठिक है की नही है । तब लोग कहते की ऐसा समझ ‌‌‌लो अब वे सुबह का चिराग हो गए है । तब सामने वाला उनसे पूछता की ऐसा हुआ क्या था उनको । इस तरह से जब उन्हे पूरी बात का पता ‌‌‌चल जाता तो वे लोग कहते की उनको इतनी बिमारी हो कैसे गई थी ।

इस तरह से कहते हुए वे लोग आपस मे बाते करने लगे थे । इस तरह से दिवाकर जी एक ‌‌‌महिने तक बिमार रहे थे । और एक ‌‌‌महिने के बाद उनकी मृत्यु हो गई थी । इस तरह से आप लोगो को यह समझ मे आ गया होगा की दिवाकर जी का जब अंत आने लगा तो लोग उन्हे सुबह का ‌‌‌चिराग कहने लगे थे । जिससे आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ मे आ गया होगा ।

सुबह का चिराग होना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

साथियो जन्म से लेकर अंत तक हमारे जीवन मे बहुत उतार चढाव आते रहते है । और इस समय मे हम लोग देखते है की इस दुनिया मे हर दिन बहुत से लोगो की मृत्यु होती है । और जब उन लोगो की मृत्यु ‌‌‌होना निश्चित हो जाता है और उनके मरने का समय नजदिक आ जाता है ‌‌‌तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है और कहा जाता है की वह तो अब सुबह का चिराग है ।

यानि उसका पता नही की कल की सुबह का सुरज देख लेगा की नही । क्योकी अगले दिन तक वह जीवित रहेगा की नही यह कहना बहुत ही मुश्किल है । और जब कोई मरने लग जाता ‌‌‌है तो वह अगले दिन का सुरज देख लेगा की नही यह दावा नही किया जा सकता है ।

इसी कारण से इस मुहावरे का प्रयोग वहां पर किया जाता है ‌‌‌ज्यहा कोई अंत पर आ जाता है । इस तरह से इस संसार मे अनेक लोगो की मृत्यु होती है और जो लोग ‌‌‌मरने वाले होते है उनके लिए कहा ‌‌‌जाता है की वह ‌‌‌सुबह का चिराग है ।

इस तरह से आप लोगो को इतना समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग कैसे करते है । और इसका अर्थ अंत पर होना होता है ।

सुबह का चिराग होना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of subah ka chirag hona in Hindi

साथियों आपको पता होगा की जो चिराग होता है वह एक ऐसा दिपक की तरह लकड़ी का बना हुआ रोशनी करने वाला होता है । जैसे की हम दिपक को जलाते है तो उससे रोशनी होती है वैसे ही चिराग को जलाने से रोशनी होती है । क्योकी चिराग भी रोशनी करने वाला होता है ।

अब सुबह का चिराग की बात की जा रही है तो इसका मतलब हुआ की यहां पर सूर्य की बात होती है । क्योकी सूर्य दिखाई देने पर ही सुबह होती है और इसका मतलब हुआ की सूर्य की बात हो रही है ।

मगर एक समय ऐसा आता है जब सूर्य का अंत होता है जो की शाम के समय में आता है और यह मुहावरा उसी को दर्शाता है क्योकी वह समय होता हे जब सुबह का चिराग भुजने वाला होता है ओर इस तरह से आप समझ सकते है की subah ka chirag hona muhavare ka arth – अंत पर होना होता है।

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