सठिया जाना का अर्थ व वाक्य मे प्रयोग

सठिया जाना मुहावरे का अर्थ  sathiya jana muhavare ka arth – बुद्धि नष्ट हो जाना

दोस्तो आप लोगो ने देखा होगा की कभी कभी जब किसी का दिमाग काम नही करता तो वह एक पागल की तरह करने लग जाता है । या यह कह सकते है की वह क्या बोलता है उसे स्वयं को भी पता नही होता है । जब इस तरह से कोई करने लग ‌‌‌जाता है तब उसके लिए इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है और कहा जाता है की यह तो सटिया गया है ।

सठिया जाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • लगता है की यह सठिया गया है तभी तो ऐसी बाते कह रहा है ।
  • जब कोई सठिया जाता है तो उसकी बात का बूरा नही माना जाता है ।
  • आदमी बुढापे मे सठिया जाता है ।
  • ‌‌‌प्रताब क्या तुम सठिया गये हो जो मरने की बाते कर रहे हो ।
  • अगर तुम जैसे पढे लिखे लोग भी सठिया जाएगे तो हम लोगो का तो कहना ही क्या ।
  • तुम क्या सठिया गए हो जो रघुवीर जैसे महान आदमी के बारे मे अनाप सनाप बक रहे हो ।
  • ‌‌‌प्रिता को दो बाते क्या कह दी वह तो सठिया गई मरने की कोशिश करने लगी है ।

‌‌‌ सठिया जाना मुहावरे पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे प्रताबसिंह नाम का एक लडका रहा करता था । उसके घर मे उसके माता पिता के अलावा और कोई भी नही रहता था । प्रताबसिह के पिता के पास इतना अधिक धन नही था पर उन्होने उसे कभी भी किसी चिज की कमी महसुस नही होने दी थी।

वह जब भी किसी चिज की ‌‌‌जीद करता तो उसके पिता उसे लाकर दे देते थे । साथ ही उसके पिता उससे बहुत ही प्रेम करते थे इस कारण से उसकी हर छोटी मोटी गलती माफ करते रहे थे । उस गाव मे कोई भी विधालय नही था इस कारण से प्रतबासिंह को उसके पिता ने नही पढाया था । प्रताबसिंह के पास खेत के अलावा और कोई कमाई का चारा नही था ।

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इस कारण से वे केवल खेती ही ‌‌‌किया करते थे । जिसके कारण से ज्यादा कुछा फायदा नही होता था फिर भी उनका घरा आराम से चल जाया चलता था ।

प्रताब सिंह को उसके पिता ने कुछ नही कहा था इस कारण से उसे जब भी कोई भला बुरा कह देता तो उसकी बुद्धि नष्ट हो जाती और वह उसे भी अनाप सनाप बकने लग जाता था और कभी कभी वह अपने आप को ही नुकसान ‌‌‌पहुचाने की सोचने लग जाता था ।

इसी तरह से एक बार की बात है प्रताब गाव मे कुछ लडको के साथ बाच चित कर रहा था और अचानक वह किसी से लडने लगा था । तभी उसके पिता वही से आ रहे थे यह सब देख कर उसके पिता ने अपने बेटे को कहा की बेटा तुम क्यो लड रहे हो चलो घर आ जाओ ।

इतना कहने के कारण तो प्रताब को कुछ ‌‌‌भी नही हुआ पर एक दिन फिर प्रताब ने किसी के साथ झगडा कर लिया था । जिसके कारण से उसने जिसके साथ झगडा किया था उसके पिता प्रताब के पिता के पास उसकी शिकायत लेकर आए थे ।

उस आदमी ने प्रताब के पिता से कहा की आपके लडके ने मेरे बेटे को खुब मारा है । जिसके कारण से उसके सिर से खून निकलने लगा है ‌‌‌। इस तरह की ‌‌‌शिकायत प्रताब के पिता के पास पहली बार आई थी इस कारण से प्रताब के पिता ने अपने बेटे की गलती के लिए उस आदमी से माफी मागी ।

तो उस आदमी ने कहा की माफी मागने से कुछ नही होगा जो इसने गलती की है वह जब तक ठिक नही हो जाता तक तक आपको ही उसका ख्याल रखना होगा । तब प्रताब के पिता ने उसे कुछ ‌‌‌रूपय ‌‌‌दिए और वहा से उसे भेज दिया था ।

फिर प्रताब के पिता ने प्रताब को अपने पास बुलाया और कहा की अगर तुम किसी के साथ सही तरह से बात चित नही कर सकते तो कम से कम तुम उनसे दूर तो रहे सकते हो । साथ ही उसके पिता ने कहा की मैंने कभी भी तुम्हे कुछ नही कहा था पर आज तुमने तो हद ही कर दी तुमने एक लडके का ‌‌‌सर फोड दिया है ।

इस तरह से अपने पिता की बातो को सुन कर वह वहां से भाग कर एक कमरे मे बंद हो गया था और जोर जोर से रोने लगा था । साथ ही कुछ समय के बाद वह अपने कमरे से बाहर निकला और गाव मे चला गया था ।

गाव मे जाकर अपने दोस्तो को कहने लगा की आज मेरे पिता ने मुझे बहुत सुनाया है मैं तो इस ‌‌‌दुनिया से चला जाउगा । मैं मर जाउगा । मुझे ऐसे पिता नही चाहिए जो मेरे को ऐसी वैसी बातो पर डाट देते है । यह सुन कर उसके दोस्तो ने उसे कहा की तुम ऐसी बाते क्यो कह रहे हो ।

ऐसा तो सभी पिता अपने बेटो को कहते है । फिर भी वह नही समझा और मरने की बात करने लगा था । तब उसके दोस्तो ने कहा की ‌‌‌तुम क्या सठिया गए हो जो जरा भी बुद्धि की बात नही कर हरे हो ।

फिर किसी तरह से उसके मित्रो ने उसे समझा बुझा कर उसे ‌‌‌उसके घर छोड कर आए थे । और फिर उसके माता पिता से कहा की आपने प्रताब को क्या कहा था जो ‌‌‌यह सठिया गया है और यह मरने की बात करने लगा था ।

यह सुनते ही उसकी माता ने ‌‌‌अपने पति से कहा की आपने इसे क्या कहा था । तब उसके पति ने अपनी पत्नी से कहा की मैंने तो इसे कहा था की किसी के साथ आराम से ‌‌‌बात नही रह सकते तो उनसे दूर रहो । तभी प्रताब के मित्र बोलने लगे की यह भी ऐसा ही कह रहा था ।

तब उसके माता पिता को पता चला की इसे तो थोडा बहुत कहने पर भी इसकी ‌‌‌बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। साथ ही उन्हे यह भी पता चल गया की यह तभी लोगो के साथ लडाई करने लग जाता है ।

उस दिन के बाद जो भी लोग प्रताब के पिता के पास ‌‌‌शिकायत लेकर आते तो वे कहते की अगर प्रताब को कोई कुछ कह देता है तो वह सठिया जाता है और वह लोगो के साथ ऐसा वैसा करने लग जाता है आप इसकी बातो का बूरा मत माना करो ।

इस ‌‌‌तरह से फिर प्रताब आराम से रहता और जब भी कोई उसे कुछ कहता तो वह अनाप सनाप बकने लग जाता था । इस तरह से आप लोगो को यह समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ बुद्धि नष्ट होना होता है । क्योकी बुद्धि नष्ट होने के कारण ही मनुष्य ऐसा वैसा करने लग जाता है । इस तरह से आप लोग समझ गए होगे ।

सठिया जाना मुहावरे पर निबंध || sathiya jana  essay on idioms in Hindi

साथियों आज के समय में बहुत से लोग है की जो अपना जीवन मोज मस्ती के साथ बिताना चाहते है । कुछ ऐस लोग है जो की अपने जीवन में शांति के साथ बिताना चाहते है तो कुछ ऐसे भी है जो की दुसरो के साथ हमेशा अच्छा करते है ।

मान ले की कोई ऐसा व्यक्ति है जो की दुसरो के साथ हमेशा अच्छे से पेश आता है और किसी को कुछ गलत नही कहता है तो ऐसे व्यकित को समान मे अच्छा व्यक्ति और नेक दिल व्यक्ति माना जाता है और यह आपको पता है ।

मगर मान ले की एक दिन वही व्यक्ति दूसरो को किसी बात पर अनाप सनाप कहने लग जाता है और यह सब सुन कर लोग केवल एक ही बात कहेगे की आज तो इसकी बुद्धि नष्ट हो गई है । क्योकी जो पहले कभी ऐसा करता नही था अगर वह आज कर रहा है तो इसका मतलब हुआ की बुद्धि नष्ट हो गई है और यही पर सठिया जाना का प्रयोग होता है तो इस बात से आप समझ सकते है की इस मुहावरे का अर्थ बुद्धि नष्ट हो जाना ही होता है ।  

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