यहां समझे, सूरज को दीपक दिखाना मतलब और वाक्य मे प्रयोग

सूरज को दीपक दिखाना मुहावरे का अर्थ suraj ko deepak dikhana muhavare ka arth – जो ‌‌‌स्वयं प्रसिद्ध या श्रेष्ठ हो उसके विषय में कुछ कहना

दोस्तो किसी महान या प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे मे पुरी दुनिया जानती है । अगर ऐसे प्रसिद्ध व्यक्ति के विषय मे कोई कुछ बाते कहता है तो जाहिर है वह ‌‌‌शब्द कम ही पड जाएगे । तब ऐसे प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे मे कुछ ही शब्द कहने को सूरज को दिपक दिखाने के समान होगा । क्योकी जब सूरज की इतनी तेज रोशनी के सामने एक दिपक को दिखाया जाता है तो उससे सूरज की तुलना नही हो सकती है। उसी तरह से महान लोगो के बारे मे कुछ ही शब्द कहकर उनकी तुलना नही की जा ‌‌‌‌‌‌सकती है । इसी कारण से इस मुहावरे का अर्थ ‌‌‌यही होता है ।

सूरज को दीपक दिखाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • ‌‌‌तुम उसके बारे मे ऐसा कैसे बोल सकते हो उसके जैसे व्यक्ति के बारे मे यह सब कहना सूरज को दिपक दिखाना होगा ।
  • डॉ भीमराव अम्बेडकर के बारे में कुछ कहना सूरज को दिपक दिखाने के समान है ।
  • श्री कृष्ण का परिचय देना सूरज को दिपक दिखाना होगा ।
  • आप तो मेरे बारे मे यह कह कर सूरज को दिपक दिखा रहे ‌‌‌हो ।
  • राम भग्त हनुमान के गुणो के बारे मे कुछ कहना सूरज को दिपक दिखान है ।
  • हमारे लिए तो हमारे सेठ के बारे मे कुछ कहना सूरज को दिपक दिखाना है ।
  • रामवतार के बारे मे अगर हम आपको बताएगे तो लोग इसे सूरज को दिपक दिखाना कहेगे ।
  • ‌‌‌देश को आजाद काराने मे अपना बलीदान देने वाले लोगो के बारे मे कुछ बताना सूरज को दिपक दिखाना कहा जाता है ।

सूरज को दीपक दिखाना मुहावरे ‌‌‌पर कहानी Idiom story

प्राचिन समय की बात है किसी नगर मे एक राजा रहा करता था । जिसका नाम हर्षवर्धन था । राजा बहुत ही शांत स्वभाव का था और जब भी कोई उनके पास मदद मागने के लिए आता तो वह लोगो की मदद कर दिया करता था । राजा को अपने आप पर राजा होने का घमण्ड तक नही था । वह लोगो के बिच मे ही रहकर भोजन भी ‌‌‌किया करता था ।

इस तरह से राजा लोगो को अपना मानता था और उनके बेटो को अपना बेटा मानता था । कभी कभी तो राजा अपने नगर के छोटे बेटो को महल दिखाने के लिए भी ले जाता था और अपने साथ उन्हे बैठाकर खाना भी खिलाता था । इस तरह से राजा का प्रेम देखकर गाव के लोग उन पर मोहित हो गए ।

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साथ ही राजा एक तरफ अपने ‌‌‌लोगो को प्रेम देता था वही दुसरी तरफ अपने दुश्मनो को मोत के घाट उतारने के बारे मे एक बार भी नही सोचता था । अगर राजा का सिहासन जाने की भी बात आ जाती तो राजा उसके बारे मे न सोच कर अपने नगर के लोगो के बारे मे सोचता था ।

इसी तरह से एक बार की बात है राजा अपने महल मे आराम से नगर के लोगो की समस्या ‌‌‌सुलझा रहा था । तभी उनके पास एक सेनिक दोडा दोडा आया और कहा की महाराज पास के राजा ने हमारे राज्य पर हमला बोल दिया है ।

इतना सुनते ही राजा ने अपने सेनिको को तैयार होने को कहा और ‌‌‌अपने राज्य के लोगो से कहा की आपकी हिफाजत करने के लिए अभी मैं जीवित हूं । इस कारण से आप आराम से ‌‌‌रहिए । इतना कह कर हर्षवर्धन ‌‌‌राजा युद्ध करने के लिए जाने लगा था । और कुछ की पल मे वे घोडे पर सवार होकर अपने सेनिको के साथ युद्ध ‌‌‌भूमी मे चले गए थे ।

जब राजा हर्षवर्धन ने वहा देख की उस राजा के सेनिक हमारे राज्य के सेनिको को मार रहे है । तो राजा जोश मे आ गया और अपनी सेना को आदेश दिया की जाओ और उसकी सेना को मार गिराओ । ‌‌‌इतना सुनते ही वे सभी युद्ध लडने लगे थे ।

साथ ही राजा भी युद्ध करने लगा था । धिरे धिरे समय बित गया और रात होने को थी । तब तक दोनो राजाओ की सेना बहुत खत्म हो गई थी । जब उस राजा ने राजा हर्षवर्धन की सेना को तहस नहस कर दिया तो वह राज के राज्य की तरफ बढने लगा था ।

तभी राजा हर्षवर्धन ने उसका सामना ‌‌‌किया और उसे रोकने की कोशिश की पर राजा हर्षवर्धन उसे नही रोक पाया ‌‌‌और घायल होकर जमीन पर गिर गया था । जब वह घायल हो गया तो राजा ने अपनी सेना को राजा हर्षवर्धन के राज्य की ओर बढने का आदेश दे दिया था ।

यह सुनकर राजा हर्षवर्धन ने हिम्मत कि और उसके सर पर अपनी तलवार से वार किया जिससे राजा ‌‌‌का सर जमीन पर जा गिरा । जब दोनो राज्य की सेना को पता चला की हमारा राजा मर गया है तो वे अपने अपने राजा के शव को उठाकर अपने राज्य की ओर ले गए ।

जब राजा हर्षवर्धन का शव उनके राज्य मे पहुंचा तो लोग उनकी याद मे विलाप करने लगे थे । कुछ समय ‌‌‌बाद राजा ‌‌‌की सेना बोलने लगी की राजा हर्षवर्धन बहुत ही अच्छे ‌‌‌राजा थे उन्होने कभी भी किसी के साथ गलत नही किया था ।

तभी उस राज्य के लोग बोलने लगे की राजा के बारे मे कुछ कहना सूरज को दिपक दिखाने के समान है । यह सुनकर उस नगर के सभी लोग बोल पडे की हां सच कहा आपने राजा के बारे मे हम जितना भी कहेगे वह कम ही पडेगा ।

इस तरह से जब समय बित गया और अगली पिढी के ‌‌‌लोगो से भी कोई पूछ लेता की राजा हर्षवर्धन कैसा राजा था । तब भी उस राज्य के लोग यही कहते की उनके बारे मे कुछ कहना सूरज को दिपक दिखाना होगा ।

इस तरह से कहकर लोग उनकी माहनता बताते की वे कितने महान थे । इस तरह से आप लोगो को समझ मे आ गया होगा की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

‌‌‌सूरज को दिपक दिखाना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

साथियो आप लोगो को पता है की सूरज को जब दिपक दिखाया जाता है तब ऐसा लगता है की मानो दिपक की रोसनी सूरज का एक छोटा सा भाग है । उसी तरह से जब किसी महान व्यक्ति के बारे मे कोई उसकी माहनता बताता है तो उसके बारे मे जो भी कहा जाता है वह कम होता है । इस तरह ‌‌‌दोनो बाते एक ही हो जाती है ।

इस कारण से ऐसे स्थान पर सूरज को दिपक दिखाना मुहावरे का प्रयोग किया जाने लगा है । इस तरह से इस मुहावरे का अर्थ जो ‌‌‌स्वयं प्रसिद्ध या श्रेष्ठ हो उसके विषय में कुछ कहना होता है । इस तरह से आप समझ गए होगे ।

सूरज को दीपक दिखाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of suraj ko deepak dikhana in Hindi

साथियों सबसे पहले तो आप मुझे यह बताए की क्या सुरज के सामने दिपक को लेकर जाने से दिपक सुरज का समना कर सकता है मतलब बराबरी कर सकता है । तो इसका उत्तर नही होगा । क्योकी सूर्य का ताप दिपक की तुलना में कई गुणा अधिक है ।

तो फिर इसका मतलब तो यह हो जाता है की दिपक की तुलना में सुरज श्रेष्ठ है और दिपक को अगर सुरज के समाने लेकर जाया जाता है तो इससे सुरज के बारे में ही जानने को मिलता है मतलब सुरज की श्रेष्ठता के बारे में ज्यादा पता चलता है । तो इसका मतलब हुआ की  ‌सुरज स्वयं प्रसिद्ध या श्रेष्ठ है उसके विषय में दीपक स्वयं कुछ कह रहा है । और आप इस बात से यह समझे की इस मुहावरे का जो अर्थ होता है वह – जो ‌‌‌स्वयं प्रसिद्ध या श्रेष्ठ हो उसके विषय में कुछ कहना ही होता है ।

तो इस तरह से आप यह समझ गए है की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

‌‌‌निचे बेस्ट हिंदी मुहावरे दिए गए है जो ज्यादातर प्रयोग मे आते है ।

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कान पर जूं न रेंगना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

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