‌‌‌टक्कर लेना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग क्या होता है

टक्कर लेना मुहावरे का अर्थ takkar lena muhavare ka arth – मुकाबला करना या लड़ाई करना ।

दोस्तो आज के समय में लड़ाई होना आम बात होती है । मगर मुकाबले की बात करे तो यह कुछ अलग हो जाता है । क्योकी इसमें दो लोगो के बिच में किसी बात को लेकर मुकाबला होता है। हालाकी ‌‌‌दोनो को अलग नही कहा जा सकता है क्योकी दोनो में झगड़ा हो रहा है । और आज के समय में भी जब दो लोगो के बिच में झगड़ा होता है तो इसे टक्कर लेना कहा जाता है।

‌‌‌जैसे की आपने किसी को भला बुरा कह दिया तो आप जिसे भला बुरा कह रहे है उसके साथ आपका झगड़ा हो जाता है तो इस तरह से आपके लिए कहा जाएगा की आपने भला बुरा कह कर उस व्यक्ति से टक्कर ले ली । मतलब झगड़ा ले लिया ।

‌‌‌टक्कर लेना मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग क्या होता है

‌‌‌टक्कर लेना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग || use of takkar lena idiom in sentence in Hindi

  • किसन ने रामलाल पहलवान को भला बुरा कह कर उससे टक्कर ले ली ।
  • तुमने तो स्वयं ही मुसीबत से टक्कर ली है तो भला अब हम कैसे बचा सकते है ।
  • जब किसन को पता चला की पुलिस वाला रिश्वत लेता है तो उसने पुलिस वाले के खिलाफ आवाज उठा कर उससे टक्कर ले ली ।
  • ‌‌‌क्रिकेट के मेंच में भारत ने पाकिस्तान से टक्कर ली और पाकिस्तान को हरा दिया ।
  • बलवत पहलवान इस बार शेरखान से टक्कर लेने वाले है काफी आधिक मजा आने वाला है ।
  • अपने से बड़े लोगो को भला बुरा कह कर तुमने स्वयं ही उनसे टक्कर ले ली ।
  • ‌‌‌देश में गलत कार्य करने वाले बदमाशो के बारे में पत्रकार ने सच छाप कर उसने बदमाशो से टक्कर ले ली ।

‌‌‌टक्कर लेना मुहावरे पर कहानी || story on takkar lena idiom in Hindi

दोस्तो प्राचिन समय की बात है किसी नगर में बलवत नाम का एक पहलवान रहा करता था । जो की अपने बल के कारण से काफी अधिक जाना जाता था । कहते है की उसे हराने वाला कोई भी माई का लाल पैदा नही हुआ था । और कई बार तो बलवत बिना मुकाबले के ही विजयता बन जाता था ।

‌‌‌इस कारण यह था की बलवत जिसके साथ भी मुकाबला करता था उसे काफी बुरी तरह से मार पीटता था । जिसके कारण से कोई भी डर के कारण से बलवंत के साथ मुकाबला नही करना चाहता था । और इसी तरह की एक बार की बात आपको मैं बताता हूं ।

‌‌‌हुआ कुछ इस तरह से था की एक रामकिसन नाम का एक लड़का था जो की विदेश में डॉक्ट्रर का अध्ययन कर कर अपने शहर आया था । और वहां पर आकर जब उसने बलवंत को ऐसा करते देखा तो उसे पता चला की बलवंत कोई मुकाबला नही कर रहा है बल्की लोगो को मुकाबले के रूप में काफी बुरी तरह से मारता रहता है । और यह सब देख कर ‌‌‌उसे लगा की उसे बलवंत से बाते करनी चाहिए । की वह ऐसा न करे ।

और जब रामकिसन बलवंत से बाते करने के लिए उसके पास जाता है तो बलवंत उसे यह कह देता है की रामकिसन तुम ठहरे एक डॉक्टर तो तुम्हे तो इसका फायदा उठाना चाहिए । क्योकी जिसको भी में मुकाबले में मारता हूं वह इतलाज के लिए आपके पास आएगा और ‌‌‌इस काम के बदले में आपको तो मुझे कुछ देना जरूर चाहिए ।

इस तरह से कहने पर रामकिसन समझ गया की यह नही रुकने वाला है । तो अगल ही दिन रामकिसन ने लोगो को समझाया की बलवंत को मुकाबला करने से बैन कर देना चाहिए । क्योकी यह लोगो को इस तरह से मारता है की वह अपने जीवन में कभी ठिक नही हो सकते है ।

मगर ‌‌‌लोगो को किसी से क्या लेना उन्हे तो यह सब देख कर काफी अधिक आन्नद आता था । तो किसी ने रामकिसन डॉक्टर की बात नही सुनी थी। अब रामकिसन के पिता भी उसे मना करने लगे थे । मगर वह नही माना और बलवंत के खिलाफ आवाज उठाने लगा था। और इस तरह से बलवंत से रामकिसन ने टक्कर ले ली ।

‌‌‌कहानी के अंत में काफी मजा आएगा आप पढते रहे ।

दोस्तो इसके बाद में बलवंत ने सोचा की इस डॉक्टर का कुछ करना होगा वरना यह सच में मुझे मुकाबले से बाहर करा सकता है । तो यह सब देखने के बाद में बलवंत ने अपने मुकाबले के दम पर जिन लोगो से जानकारी बनाई थी उनसे रामकिसन को विदेश भेजने के बारे में कुछ करने ‌‌‌को कहा था ।

मगर जैसे की उन लोगो ने रामकिसन को विदेश भेजने के बारे में कुछ करने की कोशिश की तो उन्हे पता चला की रामकिसन ने विदेश से अपनी नोकरी कुछ महिनो तक के लिए यही पर बना ली है और जब तक इसका काम पूरा नही हो जाता है तब तक यह अपने शहर में रहेगा ।

यह देख कर उन लोगो को समझ में नही आया की ‌‌‌आखिर रामकिसन कौन है । मगर कुछ ही समय के बाद में विदेश से कुछ डॉक्टर उसी गाव में आ जाते है और वहां पर मैंच के बारे मे जानकारी जुटाने लग जाते है । इस तरह से होते देख कर बलवंत को भी डर लगने लगा था । क्योकी उसे पता चलने लगा था की जरूर कुछ होकर रहेगा ।

हालाकी प्रतियोगिता प्रत्यक एक वर्ष में एक ‌‌‌बार होती थी जिसके कारण से अभी उसा समय आया नही था । मुकाबला होने में अभी समय था । इधर जो मुकाबला होता था वह एक आम मुकाबला होता था । मगर रामकिसन के कारण से वह मुकाबला बड़ा बनता जा रहा था ।देश के कुछ अधिकारी भी आते जा रहे थे ।

जो की मुकाबले पर अपनी ध्यान रखने की कोशिश कर रहे थे । तो अब जो ‌‌‌मुकाबला गाव का सरपंच करवाता था उसे अधिकारी न बनतो हुए जिले के किसी अधिकारी को बठा दिया था और जो भी मुकाबले में भाग लेने वाला था उसका पहले टेस्ट लिया जाना था । जिसके बारण से बलवंत का टेस्ट भी हुआ । मगर उसे पता चल गया की अगर यहां पर अपनी बात चलाई तो जरूर मुकाबले में सामिल नही हो सकते है ।

 ‌‌‌जिसके कारण से उसने अपना दिमाग शांत रखा और टेस्ट को पास कर लिया था । अब एक महिने के बाद में मुकाबला था । और काफी अधिक लोग इस समय का इंतजार कर रहे थे । क्योकी पहली बार लोगो को लग रहा था की मुकाबले में बलवंत की हार को सकती है  । और जब मुकाबला शुरू हुआ तो बलवंत को मैदान में बुलाया गया था । ‌‌‌

तभी बलवंत से रामकिसन मिलता है और कहता है की क्यो कैसी लगी इस बार की तैयारी । तब बलवंत ने रामकिसन से कहा की तुमने मुझसे टक्कर लेकर अच्छा नही किया अगर इस बार मुकाबले में हार मेरी होती है तो अगले ही दिन तुम्हारे साथ बुरा जरूर होगा ।

मगर रामकिसन को जरा भी बुरा नही लगा । जब मुकाबला शुरू हुआ ‌‌‌तो काफी लोग मोज मस्ती के साथ आनन्द लेने लगे थे । ओर इधर बलवंत भी मुकाबले में अपनी अच्छी पकड़ बनाने लगा था । मगर बलवंत को अभी तक यह तो मालूम था की अगर सामने वाले पर वार किया जाए और किस स्थान पर वार किया जाए जहां पर ज्यादा लगने पर भी मुझको किसी तरह कार खतरा नही है ।

तो यह बात ध्यान रखर कर ‌‌‌बलवंत ने सामने वाले को हरा दिया । और किसी को यह तक कहने का मोका नही मिला की बलवंत ने खेल में बड़ी हवानियत दिखाई है । क्योकी इस बार बलवंत सही तरह से खेल को जित चुका था । और यह सब देख कर रामकिसन भी खुश था क्योकी वह यही चाहता था ।

‌‌‌मगर उसने बलवंत के साथ अच्छा नही किया जिसके कारण से फिर जब ‌‌‌भी बलवंत मोका मिलता तो वह रामकिसन को नुकसान पहुंचा देता था । मगर यह एक दो महिने तक ही चला था । बादमें रामकिसन अपना काम करने के लिए विदेश वापस चला गया था । और वह विदेश जाने के बाद में सभी को पता चला की रामकिसन विदेश में खैल को खेलने वाले खिलाडियो का इलाज करने वाले डॉक्टरो का हड है ।

‌‌‌और तभी उसे बलवंत के खैल को देखते ही समझ में आ गया की बलवत जान बुझ कर खैल में खिलाड़ियो को चोट पहुंचा रहा है । अब रही बात की रामकिसन के जाने के बाद मे क्या हुआ । तो बता दे की उसके बाद में जब भी मुकाबला होता था तो सब नियमो के अनुसार ही बलवंत को खेलना होता था । अगर ऐसा नही करता तो उसे बहार ‌‌‌निकाल दिया था ।

इस तरह से रामकिसन ने बलवंत जैसे पहलवान से टक्कर ली ओर सब कुछ सही कर दिया ।

टक्कर लेना मुहावरे पर निबंध || essay on takkar lena idiom in Hindi

दोस्तो आपको पता है की टक्कर किसे कहते है । जब दो वस्तु या व्यक्ति आपसे में टकरा जाते है तो इसे टक्कर कहा जाता है । जैसे की दो वाहन काफी तेज गति से एक दूसरे की ‌‌‌और आ रहे है और पास आकर एक दूसरे से टकरा जाते है । तो इसे दो वाहनो की टक्कर हो गई कहा जाता है ।

 उसी तरह से टक्कर लेने का मतलब है की जान बुझ कर टकराना । और मनुष्य जीवन में टकराने की स्थिति लड़ाई या फिर किसी मुकाबले में ही बनती है । तो यही कारण है की टक्कर लेना का अर्थ लड़ाई होना या मुकाबला ‌‌‌करना कहा जाता है ।

अब जब भी मुकाबला होने की बात होती है तो इसे टक्कर लेना कहा जाता है । और यही पर वाक्य में प्रयोग किया जाता है । ‌‌‌आशा है की लेख पसंद आया होगा ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।