अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ apni khichdi alag pakana muhaavare ka arth  – स्वार्थी होना या अलग रहना ।

दोस्तो अगर कोई व्यक्ति इतना अगल रहता है ‌‌‌की उसे किसी से कुछ भी नही लेना चाहे वह मरे या जिए । वह व्यक्ति तो अपने आप मे ही खोया रहता है । चाहे ‌‌‌किसी की भी हानी हो पर उस व्यक्ति ‌‌‌को तो अपना ही काम करना है । तो ऐसे लोगो के लिए ही कहा जाता है की अपनी खिचड़ी अलग पकाना । जिसका सिधा सा अर्थ यही है की ‌‌‌अपने सिवा किसी और के बारे मे नही सोचना चाहे वह मर ही क्यो रहा हो  ।

अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का वाक्य मे प्रयोग  || apni khichdi alag pakana use of idioms in sentences in Hindi

  • ‌‌‌अगर सभी लोग अपनी खिचड़ी अलग पकाने लग गए तो इस देश का क्या होगा ।
  • हम सभी यहा पर इस गाव के बारे मे सोच रहे है और महेश अपनी खिचड़ी अलग पकाने मे लगा है ।
  • राहुल को किसी से कुछ नही लेना देना वह तो अपनी खिचड़ी अलग पकाता है ।
  • इस नालायक को चाहे कितना भी समझाया जाए यह तो अपनी खिचड़ी अलग ही पकाएगा।

class="wp-block-heading has-vivid-red-color has-text-color">अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे पर कहानी || apni khichdi alag pakana story on idiom in Hindi

बहुत समय पहले एक गाव मे लखन नाम का एक लडका रहता था । उसके घर मे उसके अलावा और कोई भी नही था । गाव के सभी लोगो से अलग लखन ही था जो किसी से कुछ नही रखता था । वह गाव के लोगो से कोई मतलब नही रखता था ।गाव के लोगो को कुछ भी हो जाए  लखन बस अपने आप मे मस्त रहता था।

जब भी लखन के फायदे की बात आती तो लखन दुसरे लोगो को हानी भी पहूंचा सकता था । गाव के लोगो को पता था कि लखन किसी से कोई मतलब नही रखता है वह अपने फायदे के लिए हमे भी दाव पर लगा सकता है । इस कारण गाव के लोग उसके पास नही जाते थे  न ही उसे कभी देखना चहाते थे ।

‌‌‌लखन के पिता बहुत ही अमीर आदमी थे उनके मरने पर ‌‌‌जो भी लखन के पिता का था वह सब लखन का हो गया । गाव के लोगो मे सबसे अमीर आदमी लखन ही था । एक बार लखन के गाव मे बारीस नही हुई इस कारण वहा के लोगो के ‌‌‌खेतो मे खाने के लिए कुछ ‌‌‌भी नही हो सका ।‌‌‌गाव के लोगो के पास कुछ समय तो खाने के लिए था पर वह बहुत जल्दी पुरा हो गया ‌‌‌बादमे उन लोगो के पास खाने को कुछ नही रहा ।

उस गाव मे केवल लखन ही ऐसा था जिसके पास पैसे थे और खाने का समान ‌‌‌भी था । इस कारण गाव के लोग लखन से कुछ रुपय उधार लेने के लिए गए और लोगो ने कहा की अगली बार जब फसल होगी तो वे लखन को पैसे दे देगे । लखन स्वार्थी था वह अपने फायदे के बिना किसी को कुछ भी नही देता ।

गाव के लोगो के पैसे मागने पर लखन ने कहा की पैसे तो मै दे दुगा पर पैसे देने मे मेरा क्या फायदा होगा। ‌‌‌तब‌‌‌ ने लोगो कहा की हम लोग ‌‌‌तुम्हारे जितने भी रुपये होग उनसे दुगने ‌‌‌अगली बार फसल होगी तब दे देगे । लखन ने कहा की अगर अगली बार भी फसल नही ‌‌‌हुई तब आप मुझे पैसे केसे दोगे । गाव के लोगो ने कहा की अगली बार तो बारीस होगी और फसल भी होगी ।

अगर फसल नही हो सकेगी तो हम कर भी क्या सकते थे । यह सुनकर लखन ने कहा की आपको मै ‌‌‌तभी पैसे दुगा जब आप पैसे वापस नही दे देते तब तक आपको अपने खेत के कागजात मेरे पास रखना होगा । यह सुनकर गाव के लोग कहने लगे की तुम अपने गाव के लोगो की इतनी भी मदद नही कर सकते हो क्या ।

लखन ने कहा की अगर आप कागजात गिरवी नही रखते हो तो मे आपको पैसे नही दुगा । गाव के लोग कर भी क्या सकते थे भुखे रह नही ‌‌‌सकते थे । इस कारण गाव के लोगो ने उसे अपने खेत की जमीन के कागजात देकर कुछ रुपये उधार ‌‌‌ले लिए । जिन लोगो ने समय पर पैसे नही दिए उनके खेत पर लखन ने कब्जा कर लिया और उन लोगो से अपने ही खेत मे मजदुरी कराने लगा ।

लोगो के कहने पर लखन कहता की अगर एक वर्ष ‌‌‌के अंदर आप लोग पैसे नही चुका सके तो आपके खेत हमेशा के लिए मेरे हो जाएगे । जब पैसे नही चुका पाए तो उसने खेतो पर हमेश के लिए कब्जा कर लिया । इस तरह से एक बार गाव मे कुछ डाकु लोगो को लुटकर ले गए तो भी लखन ने गाव के लोगो की मदद नही की । वह सबसे अलग रहता था उसे किसी से कुछ नही लेना देना था । 

‌‌‌एक बार गाव मे कुछ लोग आए और लोगो को कहने लगे की अगर आप हमे कुछ दिनो तक अपने खेत दे दो तो हम आपको बहुत रुपये दे देगे । पर गाव के लोग नही माने और उसे वहा से जाने को कहा । तब वे आदमी लखन के पास गए और उससे मदद मागने लग । लखन ने कहा की ठिक है पर आप लोग इस जमिन पर जो भी करो मेरे को इससे कोई मतलब नही ‌‌‌है ।

आप लोग जो भी पैसे गाव के लोगो को देने वाले थे उसका दुगना मुझ दे दो । पैसे पाकर लखन ने गाव के लोगो के खेतो के कागजात उन आदमियों को दे दिया । इस तरह से लखन अपने लिए कुछ भी कर सकता था । वह दुसरो को भी हानी पहूंचाने मे पिछ नही हटा और लोगो के खेतो को किसी और को दे दिया । इस तरह से लखन अपनी ‌‌‌खिचड़ी अलग पकाता । अब आप समझ गए होगे की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे पर निबंध || apni khichdi alag pakana essay on idioms in Hindi

‌‌‌साथियो आज का समय ही ऐसा है की हर कोई अपने बारे मे ही सोचता है वह अपने लिए दुसरो को भी हानी पहूंचा सकता है । ऐसे लोगे के लिए कहा जाता है की अपनी खिचड़ी अलग पकाना । इस तरह के लोग आपको हर जगह पर मिल जाएगे । पर हम आपको उन लोगो के बारे मे नही बताएगे ।

‌‌‌इस तरह के लोगो को अगर कोई ‌‌‌फर्क नही पडता की दुसरे लोगो को क्या हो रहा है । अगर उन्हे उसमे फायदा दिख रहा है तो वे दुसरो की मदद कर देगे वरना उनके पास तक नही आते है । इस तरह के लोगो के दिल मे दुसरो के लिए कोई प्रेम नही होता है ।

अगर इन लोगो के सामन किसी को मार भी दे तो ये लोग उसको बचाएगे तक नही । मगर हर व्यक्ति ऐसा नही होता है । अनेक लोग इनसे बहुत अलग होते है वे दुसरो को हानी पहूंचाकर खुद का पैट नही भरते है ।

वे लोग तो अपना पैट न भर कर दुसरो का पैट भरते रहते है। पर जो लोग स्वार्थी होते है केवल अपने लिए ही जिते है दुसरे चाहे मर ही रहे हो वे तो खुद के बारे मे सोचते रहते है । ‌‌‌ऐसे स्वार्थी लोगो के लिए ही कहा जाता है की अपनी खिचड़ी अलग पकाना । इस तरह से आप समझ गए होगे की इस मुहावरे का अर्थ क्या है ।

अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का तात्पर्य क्या होता है || What is the meaning of apni khichdi alag pakana in Hindi

दोस्तो पहले के समय के अंदर सबसे अच्छा भोजन जो था वह खिचड़ी को माना जाता था जोकी प्रत्येक घर के अंदर अक्सर देखा जाता था ।

मगर वर्तमान में ऐसा नही है क्योकी खिचड़ी को कोई अब खाना तक नही चाहेगा । मगर जिसके पास कुछ न हो वह आज भी खिचड़ी को खाता हुआ देखा जाता है  ।

अगर बात पहले के समय की करे तो जो लोग अपने माता पिता से अलग हो जाते थे उन्हे खाने के लिए कुछ अन्न दिया जाता था जो की वह अपने माता पिता से अलग रह कर बना कर खाता था और जो कोई अलग होता था वह पहले के समय मे ज्यादातर खिचड़ी बना कर ही खाता था ।

तो अगर कोई अपनी खिचड़ी अलग पकाने लग जाता था तो इसका मतलब होता था की अलग रहना और इसी तरह से आज के इस मुहावरे का अर्थ भी अलग रहना होता है ।

और इसी तरह से जो लोग स्वार्थी होते है उनके लिए भी इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है ओर कहा जाता है की यह अपनी खिचड़ी अलग पकाता है  । तो इस तरह से अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का तात्पर्य – स्वार्थी होना या अलग रहना होता है ।